पूस महिना पुन्नी आगे,छेरछेरा अब आगे। सुनलव मोर भाई, धरम करम अब जागे। पूस महिना पुन्नी आगे…….. होत बिहनिया देखौ,लईका सकलावत हे। कनिहा बाँधे घाँघरा,आँखीं मटकावत हे।। देदे दाई ददा देदव, तोर कोठी हा भरागे। पूस महिना पुन्नी आगे…….. मुठा मुठा धान सकेलय,टुकनी हा भरथे। छत्तीसगढ़ी संस्कार हवै,माने ला परथे।। छेरछेरा तिहार मनावे,भाग घलो लहरागे। पूस महिना पुन्नी आगे…….. देखव जी चारों मुड़ा,घाँघरा बने बाजत हे। बोरा चरिहा मुड़ मा,बोहे ख़ुशी मनावत हे।। छेरछेरा नाचत दुवारी,खोंची खोंची मांगे। पूस महिना पुन्नी आगे……… बोधन राम निषाद राज सहसपुर लोहारा,कबीरधाम (छ.ग.) [responsivevoice_button…
Read MoreCategory: कविता
मोर मन के पीरा
का दुख ल बतावंव बहिनी, मेहां बनगेंव गेरवा ओ। जेने घुंटा मं बांधिस मोला, उही मं बंधागेंव नेरवा ओ। पढ़-लिख का करबे किके, स्कूल मोला नइ भेजिस ओ। टुरी अच चुल्हा फुंकबे किके, अंतस ल मोर छेदिस ओ। किसानी मं मोला रगड़दिस, बुता मं सुखागे तेरवा ओ। जेने खुंटा मं बांधिस मोला, उही मं बंधागेंव नेरवा ओ। चउदा बछर मं होगे बिहाव, सास-ससुर के दुख पायेंव। नइ जानेंव मनखे के मया, मनखे के दुख ल भोगेंव। संझा-बिहनिया पीके मारथे, नोहय मनखे मोर मेड़वा ओ। जेने खुंटा मं बांधिस मोला, उही…
Read Moreनवा बछर के मुबारक हवै
जम्मो झन हा सोरियावत हवै, नवा बछर हा आवत हवै। कते दिन, अऊ कदिहा जाबो, इहिच ला गोठियावत हवै।। जम्मो नौकरिहा मन हा घलो, परवार संग घूमेबर जावत हवै। दूरिहा-दूरिहा ले सकला के सबो, नवा बछर मनावत हवै।। इस्कूल के लईका मन हा, पिकनिक जाये बर पिलानिंग बनावत हवै। उखर संग म मेडम-गुरूजी मन ह, जाये बर घलो मुचमुचावत हवै।। गुरूजी मन पिकनिक बर लइका ल, सुरकछा के उदिम बतावत हवै। बने-बने पिकनिक मनावौ मोर संगी, नवा बछर ह आवत हवै।। नवा बछर के बेरा म भठ्ठी म, दारू के…
Read Moreआगे सन् अट्ठारा : सार छंद
हाँसव गावव झुम के नाचव, आगे सन् अट्ठारा। मया रंग मा रंगव संगी, सबला झारा-झारा।1 मया बसे हे नस नस सबके, हावय प्रान पियारा। अपन पराया मा झन पर तँय, जुरमिल करव गुजारा।2 छोंड़ सुवारथ के बेमारी, बाँट मया के चारा। रंग रूप होथे चरदिनिया, जिनगी कहाँ दुबारा।3 मोलभाव हे करना बिरथा, आगर कभू आजारा। मया दया हा सबले सुग्घर, हावय जगत अधारा।4 मया बाढ़थे बड़ बाँटे मा, कतको कर बँटवारा। गुरतुर बोली हिरदे राखव, बनथे अमरित धारा।5 हाँसव गावव झुम के नाचव, आगे सन् अट्ठारा। मया रंग मा रंगव…
Read Moreनवा बछर के नवा तिहार
नवा बछर के नवा तिहार, दुनिया भर ह मनाही जी।। मोर पीरा तो अड़बड़ जुन्ना, मोर ,नवा बछर कब आही जी?? काबर गरीब के जिनगी ले, सुख के, सुरूज कहाँ लुकागे हे। करजा बोड़ी के पीरा सहीते, आंखी के ,आंसू घलो सुखागे हे।। मोर दशा के,टुटहा नांगर, बूढ़हा बईला हवय गवाही जी…. मोर, नवा बछर कब आही जी? टुटहा भंदई अउ चिरहा बंडी, चुहत ,खपरा खदर छानी मा। जिनगी नरक कस बोझा होगे, भूख मरगेंन हम, किसानी मा।। हाथ पाँव मा छाला परगे, ओमा,मलहम कोन लगाही जी? मोर, नवा बछर…
Read Moreअंगरेजी नवा साल!!
हाडा ह कांपत हे अउ चटकत हे गाल! तभो ले मनाबो हम अंगरेजी नवा साल!! दारू मंद के पारटी होही अउ कुकरा ह हलाल तभो ले मनाबो हम अंगरेजी नवा साल!! तइहा के बात ल बइहा लेगे नवा रंग ढंग हे नवा चाल तभो ले मनाबो हम अंगरेजी नवा साल!! किसान बूडे करजा म अउ जनता हे बेहाल! तभो ले मनाबो हम अंगरेजी नवा साल!! भरस्टाचारी मउज करत हे अउ देस के होगे बारा हाल! तभो ले मनाबो हम अंगरेजी नवा साल!! रीझे यादव टेंगनाबासा (छुरा) [responsivevoice_button voice=”Hindi Female” buttontext=”ये…
Read Moreनवा बछर के नवा उमंग
नवा बछर के नवा उमंग नवा नवा संगी के संग नवा हवा के नवा असर आ गे हे नवा बछर नवा बछर मा संगी जम्मो खुशी ला आज मनावा हलुवा पुरी बोबरा रोटी घर मा आज बनावा पाछू बछर हमन काबर रहेन अशांत एक बछर चल दिहीस चल दिहीस एकांत पीला मटमैला रंग के फुले हे फुल कनेर नील गगन मा उडत हावय तोता मैना अउ बटेर नवा बछर के नवा कहानी नवा नवा हे आज जवानी नवा बछर के नवा कहर आ गे हे नवा बछर कोमल यादव मदनपुर,…
Read Moreगीत-नवा बछर के
नवा बछर के नवा बिहनिया,हो….. नवा सुरुज अब आगे। आवव संगी जुरमिल चलबो, अँधियारी हा भगागे।। नवा बछर के…….. सुरूर सुरूर पुरवईया चलतहे, मन मा आस जगावत हे। नवा काम बर नवा सोंच लव, नवा भाग लहरावत हे।। मन हरियागे तन हरियागे….हो….. मन हरियागे तन हरियागे, खुशहाली अब छागे। नवा बछर के……….. दिन दुगुना अब महिनत कर लव, पथरा फोर कमा लव। नवा जमाना देखत रहि जाय , दुःख पीरा बिसरा लव।। जाँगर पेरव छींचव पसीना….हो…. जाँगर पेरव छींचव पसीना, गंगा एमा समागे। नवा बछर के……….. बिसरे गोठ ला झन…
Read Moreदिखय नही ओर-छोर, त का करन
दिखय नही ओर-छोर, त का करन, पिरात हे पोर-पोर त का करन। दु – दू पइसा जोड़ेन जिनगी भर, सबो ल लेगे चोर, त का कारन। सबो ल हम अपने सही जानेन, नइ लेवे कोनो सोर त का करन। नइ सुहाय अब तो सुआ- ददरिया गजब करत हे शोर त, का करन। अब बदलगे दुनिया के चाल चलन, भट गे नवा अंजोर, त का करन। जिनगी के आस बुतागे अब तो, जिनगी लागे निपोर, त का करन। बल्दाउ राम साहू त का करन= तब क्या करें, पिरात हे= पीड़ा से…
Read Moreनवा साल मुबारक हो
बड़े मन ल नमस्कार, अऊ जहुंरिया से हाथ मिलावत हों। मोर डाहन ले संगी, नवा साल मुबारक हो। पढहैया के बुद्धि बाढहे, होवय हर साल पास। कर्मचारी के वेतन बाढहे, बने आदमी खास। नेता के नेतागिरी बाढहे, दादा के दादागिरी। मिलजुल के राहव संगी, झन होवव कीड़ी बीड़ी। बैपारी के बैपार बाढहे, जादा ओकर आवक हो। मोर डाहन ले संगी, नवा साल मुबारक हो। किसान के किसानी बाढहे, राहय सदा सुख से। मजदूर के मजदूरी बाढहे, कभू झन मरे भूख से। कवि के कविता बाढहे, लेखक के लेखनी। पत्रकार के…
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