एक दीया अउ जलावव

एक दीया अउ जलावव, कखरो अंधियारी कुंदरा ह, अंजोर होजय। सुवारथ के गंवईं मा, मया मा लिपे गली खोर होजय।। एक दीया वीर सिपाही, भारत के रखवार बर। देश के खातिर प्रान गवईंया, अउ ऊंखर परिवार बर ।। देशभक्ति के भाव मा, मनखे मनखे सराबोर हो जय… एक दीया अजादी देवईया, भारत के भाग्य बिधाता बर। एक दीया ओ जम्मो मनखे, जौन ,जियत हे भारत माता बर ।। वन्दे-मातरम् ह, मया म बांधे ,डोर होजय…. एक दीया मोर गाँव किसान बर, जेन करजा ,बाढ़ही म लदाए हे। जांगर तोड़के ,लांग्हन…

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देवारी तिहार आवत हे

हरियर हरियर लुगरा पहिरके दाई बहिनी मन नाचत हे आरा पारा खोर गली मोहल्ला सुवा गीत ल गावत हे सुग्हर संदेश के नेवता देवत देवारी तिहार आवत हे घर अंगना कोठा कुरिया पेरौवसी माटी म छबावत हे जाला जक्कड़ खोंदरा कुरिया निसैईनी चड़के झटावत हे लाली सफेद पिंवरी छुही घर अंगना ल लिपावत हे कोल्लर कोल्लर माटी लाके गईरी माटी ल मतावत हे ओदरे खोदरे भाड़ी ल चिक्कन चिक्कन चिकनावत हे घर मुहाटी के तुलसी चउंरा मारबल पथरा म बनावत हे खिड़की फुल्ली कपाट चौखट रंग रंगके कलर म पोतावत…

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सुरता तोर आथे

पहाति बिहानिया हो चाहे, संझाति बेरा के बुड़त संझा हो! काम बुता म मन नी लागे, भईगे सुरता तोर आथे! का करवं तोर बिन, ऐको कन मन नई लागे! हर घड़ी बेरा कुबेरा, सुसक सुसक्के रोवाथे! बईहा पगला दीवाना होगेवं, मया म तोर मयारु! अब तो अईसे लागथे, तोर बिन कईसे रहि पांहु! जिनगी जिए जियत मरत ले, किरिया तोला खवाहुं! मया के जिनगी रहत ले, अपन सजनी तोला बनाहुं!! ✒मयारुक छत्तीसगढ़िया सोनु नेताम”माया” रुद्री नवागांव धमतरी मया तोला करथवं तोर नांव के गोंदना गोंदाऐवं मोर मया के चिंन्हारी बर…

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दीवाली तिहार

दीवाली के तिहार हे करा जी साफ सफाई सुंदर हे तन मन हमर मिलके खुषी मनाई लइका खेलत हे घर मा दीया आवा जलाई रंग बिरंगा रंगोली ला मिलके आज बनाई लक्ष्मी जी के पूजा करा दुख के होही बिदाई दुब फुल ला अर्पण करके जम्मो झन खावा मिठाई सुंदर सुंदर कपडा पहिरा थाली आवा सजाई भक्ति भाव ले रोषन करा दुवारी अउ अंगनाई लइका मन राकेट छोडिन छोडिन आज लडाई महतारी के कोरा मा दुख ला जी बिसराई कोमल यादव मदनपुर खरसिया 9977562133 [responsivevoice_button voice=”Hindi Female” buttontext=”ये रचना ला…

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तोरे अगोरा हे लछमी दाई

होगे घर के साफ सफाई, तोरे अगोरा हे लछमी दाई। घर अँगना जम्मों लिपागे, नवा अंगरक्खा घलो सिलागे। लेवागे फटक्का अउ मिठाई। तोरे अगोरा हे लछमी दाई।1 अंधियारी मा होवय अंजोर, दिया बारँव मैंहा ओरी ओर। हूम धूप अउ आरती गा के, पँईया परत हँव मैंहा तोर। बाँटव बताशा खुरहोरी लाई, तोरे अगोरा हे लछमी दाई।2 तोर बिना जग अंधियार, संग तैं ता रतिहा उजियार। तोर किरपा हा होथे जब, अन धन के बाढ़य भंडार। सरी सुख के तैं सदा सहाई, तोरे अगोरा हे लछमी दाई।3 कलजुग के तहीं महरानी,…

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मोर गांव के बजार

आबे वो गोई मोर गांव के बजार, घुमाहुं तोला मैंय हटरी बजार! संगे जाबो मोर गांव के बजार, पहिराहुं तोला वो नवलखिया के हार! खवाहुं तोला मैंय जलेबी मिठई, सुरता राखबे मोर रुद्रीनवागांव के बजार! अउ खवाहुं चना मुर्रा लाई, हफ्ता दिन बुधवार भराथे मोर गांव के बजार! कान बर खिंनवा,हाथ बर चुरी! नाक बर नथनी,गोंड़ बर पैईरी! किसिम किसिम आनी बानी के, बारह हाथ के लुगरा लेहुं! मांथ के टिकली सुग्हर फबहि चिंन्हारी मुंदरी तोला देहुं आबे वो गोई मोर गांव के बजार, घुमाहुं तोला मैंय हटरी बजार! सुरता…

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छत्तीसगढ़िया मन जागव जी

जागव जी अब उठव भईया, नो है एहा सुते के बेरा । बाहिर के इंहा चोर घुमत हे, लुट लिही खेतखार अउ डेरा ।। बाहिर ले आके भोकवा मन ह, छत्तीसगढ़ मा हुसिंयार होगे हमन होगेन लीम के काड़ी, उही मन ह खुसियार होगे।। चुहुकत हे हमर धरती मईया ल, सानत हे हमर ,परम्परा अउ बोली। आज रपोटे हे धन खजाना, जेन काली धरय,मांगे के झोली ।। धान बोंवइया भूख मरत हन, इंखर रोज तिहार होगे। परदेश के ,चोरहा मन, इंहा के सरकार होगे।। हमर भाखा संस्कृति ह उंखर बर…

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झगरा रोज मताथे

ननद नोनी तोर भईया हा रोज पी के आथे। ओखी करके बात बात मा झगरा रोज मताथे। ननद नोनी तोर.. पीरा ला मोर मन के नोनी,कोन ला मंय हा बतावंव। नइ माने मोर बात ला बहिनी,कइसे मंय समझावंव। दू दिन बर आना नोनी अपन भईया ला समझा दे। नंनद नोनी तोर.. नइ बताय हंव मइके में,मोर पति के हिंता होही। ददा हा तरूवा पीटही,दाई बमफार के रोही। झन पी दारू ला कहि परथंव,कुट कुट ले मोला ठठाथे। नंनद नोनी तोर… काम बुता मा नइ ठिकाना,ठेलहा घुमत रहिथे। दारू पिये बर…

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फांदा मा परगे किसानी

फांदा मा परगे किसानी नुन मिरचा अउ बासी भात सुते नई हंव कतको रात खेती नई हे बहुत असानी फांदा मा परगे किसानी रगड के हमन बुता करेन बुता करके बिमार परेन ए बछर काबर बरसत नई हे पानी फांदा मा परगे किसानी कोन समझ ही पीरा ला कइसे भगई धान के कीरा ला हमर ले होगे नदानी फांदा मा परगे किसानी किसानी होगे दुखदाई फलत फुलत हे रूखराई सावन के होगे मनमानी फांदा मा परगे किसानी मुड धरके बइठे हन भुख मा हमन अइठे हन पीरा हरा दुर्गा रानी…

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मोर छत्तीसगढ़ कहां गंवागे

मोर छत्तीसगढ़ कहां गंवागे संगी कोनो खोज के लाववं भाखा बोली सबो बदलगे मया कहां के मैंय पाववं कहानी किस्सा सबो नंदागे पीपर पेड़ कटागे नई सकलाय कोनो चाउंरा म कोयली घलोक उड़ागे सुन्ना परगे लीम चाउंरा म रात दिन खेलत जुंआ दारु महुरा पीके संगी करत हे हुंआ हुंआ मोर अंतस के दुख पीरा ल कोनो ल मैंय बतावं मोर छत्तीसगढ़ कहां गंवागे संगी कोनो खोज के लाववं जंवारा भोजली महापरसाद के रिसता ह नंदागे सुवारथ के संगवारी बनगे मन म कपट समागे राम-राम बोले बर छोड़ दिस हाय्…

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