कविता -खुरसी के खेल

आजकाल के जमाना मे भइया खुरसी के हाबे मांग जेला देखबे तेला संगी खींचत हे खुरसी के टांग | खुरसी के खातिर नेता मन का का नइ करत हाबे अपन सुवारथ सबो साधत कहां ले सुराज लाबे | बड़े बड़े आशवासन देके जनता ल लुभाथे खुरसी के मिलते साठ सबला भुला जाथे | भुखमरी गरीबी बेरोजगारी ल मुद्दा बना देथे जनता ल सब बुध्दु बनाके वोट ल ले लेथे | खुरसी के महिमा भारी हे का का नइ कर देथे जेती मिलथे खुरसी ह उही कोती चल देथे | नेता…

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जय सिरजनहार, जय हो बनिहार

पहार काट के रद्दा बनइया भुइंया ले पानी ओगरइया भट्टी म तै देह तपइया ईंन्टा-पखरा के डोहरैया खदान ले कोइला निकलइया बिल्डिंग अउ महल के बनइया तभो ले ओदरे घर म रहइया तै बिस्करमा के सन्तान जय सिरजनहार,जय हो बनिहार अंगरक्खा के तेहा धरैया धोती-बनवई के पहनइया दू जोड़ी बंडी म मुस्कइया चटनी अउ बासी के खवइया सबले गुरतुर गोठ बोलइया खान्ध में रापा-गैती अरोईया सबके घर म अंजोर करइया खुद चिमनी म रतिहा बितइया तोर कारज हवय महान जय सिरजनहार,जय बनिहार अतियाचार शोषन के सहइया आश्वाशन के चटनी चटइया…

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ये दुनिया हे गोल तैय कुछ मत बोल

ये दुनिया हे गोल तैय कुछ मत बोल ये आधुनिक युग के जावाना तैय झन पछताना कान मा सुन आँखी मा देख अपन रद्दा चुपचाप रेग। जिन्दगी होगे सुखियार काम बुता मा मन नईय लागे जबले आलस्य हा डाले डेरा जागर मा पड़गे किड़ा। झुण्ठ बोलय पैसा कमावय भ्रष्टाचार ला अपन व्यवसाय बनावय लईका से लेकर सियानमन चपरासी से लेकर नेतामन सबो भ्रष्टाचार मा डूबे दु पैसा के खातिर अपन ईमान ला बेचे। यहाँ तो मिठ लबरा के वाह वाही हे मिठ मिठ बात मा जनता लुटाये नेता हा जनता…

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गजानंद प्रसाद देवांगन जी के कविता

चूनी के अंगाकर कनकी के माढ़ । खा के गुजारत हे जिनगी ल ठाढ़ । कभू कभू चटनी बासी तिहार बार के भात । बिचारा गरीब के जस दिन तस रात । चिरहा अंगरखा कनिहा म फरिया । तोप ढांक के रहत छितका कस कुरिया । उत्ती के लाली अउ बुड़ती के पिंवरी । दूनो गरीब के डेरौठी के ढिबरी । गीता पुरान होगे करमा ददरिया । गंगा गदवरी कस पछीना के तरिया । कन्हार मटासी ल खनत अउ कोड़त । धरती अगास ल एके म जोड़त । फेर तरी…

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मोरे छत्तीसगढ़ के संगवारी

मोरे छत्तीसगढ़ के संगवारी भैईया मोरे किसान बैईला, नागर, तुतारी तोरे पहचान भुईयाँ दाई तोरे महतारी गा सियान तोला कहिथे छत्तीसगढ़ के मितान भैईया मोरे किसान। मोरे छत्तीसगढ़ के संगवारी भैईया मोरे बनिहार गईति,रापा,हसिया,टगिया तोरे पहचान भुईयाँ दाई तोरे महतारी गा सियान तोला कहिथे छत्तीसगढ़ के मितान भैईया मोरे बनिहार। मोरे छत्तीसगढ़ के संगवारी मोरे भईया जवाना काम, बुता, रखवारी तोरे पहचान भुईयाँ दाई तोरे महतारी गा सियान तोला कहिथे छत्तीसगढ़ के मितान मोरे भईया जवान। मोरे छत्तीसगढ़ के संगवारी मोरे भैईया बिधार्थी कलम, कापी, पुस्तक तोरे पहचान भुईयाँ दाई…

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मोर भुईयां के भगवान

जाँगर तोड़ कमाये तेहा ग किसान, मरत हाबस तभो ले बनगे हस महान I भुररी असन लेसावत हे तोरो अरमान, टेटकत अऊ सेकावत हे तोरो येदे परान I तभो ले तेहा संगी भुईयां के भगवान I जिनगी म नईये तोरो कोई मुकाम, कईसे रहिथस गाँव में तेहा ग सियान I काकर बर करथस तेहा अतेक काम, का सेवक मन बना दिस तोला गुलाम I मन के मालिक रेहेव ग किसान, अब का होगे मोर भुईयां के भगवान I कईसे सजोवव तोला ग जजमान, संजोते सजोवत ऊड़ जाही मोरो दुऊकान I…

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एक बीता पेट बर

परउ परिनिया दूनों परानी । धरे बासी चटनी पानी । कोड़े फेंके ढेला ढेलवानी । पेरथें जांगर तेल कस घानी – एक बीता पेट बर । तिरवर मंझनिया , तपत घाम । भूंजत भोंभरा लेसत झांझ । पेलत झेलत कूदत डंगोवत । लहकत डहकत तलफत झकोरत – एक बीता पेट बर । टूटगे कनिहां , हाय राम । सुख हे सपना दुख के काम । बुधरू बुधनी बेटा -‌ बेटी । उघरा नंगरा मांगे रोटी – एक बीता पेट बर । -गजानंद प्रसाद देवांगन छुरा

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वा बहनी उर्मिला कमाल कर देस

वा बहनी उर्मिला  कमाल कर देस दारु के बिरोध कर कड़ा संदेस दे देस नै करेस जिनगी के सौदा बिहाव करके भारत के नारी मन म हिम्मत भर देस वाह बहनी उर्मिला…………….. फेरा नै रेंग सकय तऊन का साथ देतीस सुग्घर भविष्य के तोला का बिश्वास देतीस नरक ले बद्तर जिनगी हो जतीस तोरो कुरीति के गाल म बने चटकन हन देस वा बहनी उर्मिला……………….. तोर देखे जम्मो बहनी  आवाज उठाहि तोर बिरोध के सुर म अपन सुर मिलाही जउन बरात म दारु ओखर बिरोध होही नारी सशक्तिकरण के तैहा…

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बबा अऊ ढोकरीदाई मन के गोठ बात

बबा अऊ ढोकरीदाई मन के गोठ बात बने कान देके सुन झन ते भाग। अपन जवाना के गोठ ला गोठियाही सुघ्घर मया प्रेम के बात ला बताही। सही रद्दा मा चले बर सिखाही सुघ्घर जिन्दगी के रद्दा धराही। दु भाखा खरी खोटी सुनाही नानम प्रकार के गोठ ला गोठियाही। किस्सा कहानी तोला सुनाही दु पैसा बचाये बर तालो सिखाही। अपन जवाना के गोठ ला गोठियाही सुघ्घर मया प्रेम के बात ला बताही। बबा अऊ ढोकरीदाई मन के गोठ बात बने कान देके सुन झन ते भाग। हेमलाल साहू

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