आके हमर गांव…

तैं झुमर जाबे रे संगी, आके हमर गांव तोला का-का बतांव, तोला का-का बतांव…. उत्ती म कोल्हान के धारा रेंगत हे बोहरही दाई जिहां मया बांटत हे जिहां बिराजे महादेव-ठाकुरदेव के पांव…. चारोंखुंट तरिया अउ डबरी जबड़ हे लोगन के मया पहुना बर अबड़ हे मया-भेंट पाबे अउ अंतस म ठांव… रंग-रंग के भाजी-पाला, आनी-बानी खाई मुसकेनी, अमारी अउ लम्हरी तोराई इढऱ के कढ़ी देख, मन होही खांव-खांव… सुशील भोले म.नं. 54-191, डॉ. बघेल गली, संजय नगर (टिकरापारा) रायपुर (छ.ग.) मोबा. नं. 080853-05931, 098269-92811 ईमेल – sushilbhole2@gmail.com ब्लाग – http://mayarumati.blogspot.in/

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छत्तीसगढ़ ला जनम दिन के बधई

अपन चुनर म जड़ एक नवा सितारा ले। अउ बछर भर मन भरके तैं इतरा ले।। कतको ऑंखी देख तोला अइसने फूटत हे। बचके रहिबे आतंकी अबके खतरा ले।। नवा नेवरिया के संग सुरू म नीक लागथे। हो घसेलहा गिनहा बने पसरा बगरा ले।। बचपने म पग पग म होवत हे धमाका।। कइसे निपटबो कोन जनी उमर सतरा ले।। बाहिरी बइरी संग लड़त मारत बनथे। उबाए परत हे अपने लइका अब थपरा ,ले।। मोर सोन चिरइया उड़ तैं सुछंद अगास। धान कोठी के ले दाना अउ जग म बगरा ले।।…

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ऐसो के देवारी म

[bscolumns class=”one_half”] चारो मुड़ा गियान के उजियार हो जाए अगियान के अंधियारी घलो मिट जाए, दिया जले मया-पिरीत के सबो अंगना अऊ दुवारी म, कुछु अइसन हो जाए ऐसो के देवारी म। समारू के बेटा घलो नवा कपड़ा पहिर सके, मंगलू के नोनी सुरसुरी जलाके फटाका फोर सके, दिखे बबा अऊ डोकरी दाई के चेहरा म खुसी के चिन्हारी न, कुछु अइसन हो जाए ऐसो के देवारी म। घमघम ले बाली के मारे धान के पउधा ह लहस जाए, डोली म फसल ह सोना-चांदी बरोबर चमक जाए, गुलाब अऊ गोंदा…

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बूढ़ी दाई

पितर मन के पियास बर अंजरी भर जल साध बर, बरा-बबरा, सोंहारी संग हूम रंधनी खोली के खपरा ले उड़ावत धुंगिया बरा के बगरत महमहई लिपाये-चंउक पुराये ओरवाती म बगरे फूल ओखरे संग भुखाए लइका दूनो मन, अगोरत हावय कोन झकोरा संग, मोर बूढ़ी दाई आही. अउ बरा बबरा खवाही. संजीव तिवारी

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नोनी

पढ़-लिख लिही त राज करही नोनी। नइते जिनगी भर लाज मरही नोनी॥ पढ़ही त बढ़ही आत्म विसवास ओकर दुनिया मा सब्बो काम काज करही नोनी। जिनगी म जब कोनो बिपत आ जाही, लड़े के उदीम करही, बाज बनही नोनी। पढ़ही तभे जानही अपन हक-करतब ल, सुजान बनही, सुग्घर समाज गढ़ही ोनी। परवार, समाज अउ देस के सेवा करही, जिनगी ल सुफल करे के परियास करही नोनी। गणेश यदु संबलपुर कांकेर

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एक पाती सुरूज देवता के नाव

जग अंधियारी छा गे हवय, मन ला कईस उजियारंव गा। आ जतेस तै सुरूज देवता, बिनती तोर मनावंव गा॥ कारी अंधियारी बादर, हफ्ता भर ले छाय हवय, शीत लहर के मारे, देहें सरी कंपकपाए हवय। यहां मांग-पूस मं, सावन कस बरसत हे, कोन परदेस गे तैं, दरस नई मिलत हे॥ कतेक दु:ख ला गोठियावंय मय, काला गोहरावंव गा। आ जतेस तै सुरूज देवता, बिनती तोर मनावंव गा॥ धान के झरती मिंजई, अउ ओनहारी बगियावत हे। खेत अउ बियारा मं, किसान हा रिरियावत हे, बछर भर के मिहनत हा, पानी म…

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डॉक्टर दानी के बानी

( नगर निगम चुनाव) बस दु महीना बाद होवय्या हे हमर प्रदेस म निगम के चुनाव, तेन ला जीते बर रमन हा नवाकार्यक्रम बर मांगत हे सुझाव्। में हा जनता डहार ले उनला चुनाव जीते के तरीका बतावत हवं, सबले पहली प्रसासनिक खर्चा ला कम करव कीके समझावत हवं। अब सरलाता से बनना चाही जनता के जम्मो सरकारी सर्टिफ़िकेट, तभे, चुनाव म बच पाही रमन सिंग के कमजोरहा टीम के विकेट। अउ साथे साथ म रजिस्ट्री आफ़िस के फ़ंक्सनिंग ला घलो सुधारव, एके जमीन के रजिस्ट्री के कागज ला दसो…

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पितर पाख

पितर पाख भर बिहनिया नदिया म कनिहा भर पानी म खड़े सोंचथंव ललियावत-करियावत जल ह कब उजराही. यहा तरा बाढ़त परदूसन ले आघू जब बजबजावत गंगा ह गंगा, अउ नदिया ह नदिया नइ रहि पाही. त कोन बेटा पानी देहे बर नदिया अउ गया जी म पिंडा, नैनी उतर के हाड़ा सरोए बर गंगा जाही. अइसन म तो मोर लहकत पुरखा पितर पाख म घलव पियासे, बरा के आसे, ओरवाती ले लहुट जाही. तेखरे सेती चेत करे के इही समें हे पितर पाख ला अब तो हमला जल देबी के…

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का आदमी अस

अपन भासा के बोल न जाने, अपन भासा के मोल न जाने। जनम देवईया जग के पहिली, मॉ सबद के तोल न जाने।। पर भासा ल हितु मानथस।। झुंड म चले जिनावर हिरना, कीट पतंगा पंछी परेवना। संग भाई के चले न दु दिन, भूले, न पूछे पियारी बहना।। दाई ददा ल दुर भगाथस।। धरम करले धाम बनाले सत करम कर काम बनाले। धन दौलत कुछु साथ न जावे जिनगी म कुछु नाम कमा ले।। मानुस कस जी मानुस अस।। अपन हक छीने बर जान हितुवा अउ बइरी पहिचान। खाले…

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तय जवान कहाबे

जा मोर बेटा तय जवान कहाबे, माता के रक्षा बर जान गंवाबे जा मोर बेटा तय जवान कहाबे। दुनिया मा किसम-किसम, के मनखे भरे हे कानो हे गरीबहा त, कानो धन ला धरे हे, अइसन के बीच रही, जिछुटठा झन कहाबे जा मोर बेटा तय जवान कहाबे। मालिक ला गुण नई लागयए जबरन खिसियाही गा थोरेक जादा कमाबे त, दुनिया सिसियाही गा अइसन अनदेखना के, तीर झन ओधियाबे जा मोर बेटा तय जवान कहाबे। पइसा के राहत ले जी, तीर मा ओधियाही गा हो जाबे गरीबहा त, मुंहू ला टेंडवाही…

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