गति-मुक्ति ( छत्तीसगढी कहिनी संग्रह ) रामनाथ साहू वैभव प्रकाशन रायपुर ( छ.ग. ) छत्तीसगढ राजभाषा आयोग रायपुर के आर्थिक सहयोग से प्रकाशित गति-मुक्ति ( छत्तीसगढी कहिनी संग्रह ) समरपन छत्तीसगढी अऊ हिन्दी के समरथ साहित्यकार श्री अंजनी कुमार ‘अंकुर’ ला मोती अऊ धागा 1. छानही 2. बीज 3. चक्का जाम 4. काकर शहर काकर घर 5. गणित के पाठ 6. पूजा-आरती 7. टिकट 8. गति-मुक्ति 9. नडउकरी 10. गंवतरी 11. कोंचई पान के इड्हर 12. ददा-बेटा 13. छाया-अगास 14. सुरबईहा छानही तीनों के तीनों छानही हर एके कोती रहिस,…
Read MoreCategory: किताब कोठी
पतंजलि के योग दर्शन, बाल्मिकी मूल रामायण, ईशावास्योपनिषद : अनुवाद
छत्तीसगढी कवित्त मं मुनि पतंजलि के योग दर्शन अउ समझईस बाल्मिकी मूल रामायण रचयिता डॉ हर्षवर्धन तिवारी पूर्व कुलपति प्रकाशक श्री राम-सत्य लोकहित ट्रस्ट ज्ञान परिसर पो.आ. रविशंकर विश्वविद्यालय रायपुर ( छ.ग.), मो. 09977304050 अनुक्रमणिका भाग-एक छत्तीसगढी कवित्त मं मुनि पतंजलि के योग दर्शन अउ समझईस 7-84 भाग-दो बाल्मिकी मूल रामायण 85-104 भाग-तीन ईशावास्योपनिषद 105-110 त्याग का अध्यात्म । जगत गुरू स्वामी विवेकानन्द का आध्यात्मिक खोज तथा मानवता और विश्व धर्म 115–126 परिशिष्ट श्री राम सत्य लोकहित ट्रस्ट की कार्य शृंखला 1996-2014 पतंजलि के योगसूत्र ह आध्यात्म साधना के मंत्र…
Read Moreगांधीजी के बानी दैनिन्दिन सोंच बिचार
(छत्तीसगढी राजभासा में ) पूर्व कुलपति आचार्य डॉ. हर्षवर्धन तिवारी, रचयिता मुख्य न्यासी, श्री रामसत्य लोकहित ट्रस्ट ज्ञान परिसर, पो. रविशंकर विश्वविद्यालय, रायपुर छत्तीसगढ मो. 9977304050 प्रकाशक श्री राम सत्य लोकहित ट्रस्ट ज्ञान परिसर पो. रविशंकर विश्व विद्यालय रायपुर छ.ग. मो. 9977304050 मुद्रक महावीर प्रेस गीतानगर, चौबे कालोनी, रायपुर मूल्य : मात्र 240 रुपये समर्पण मोर पिताजी महात्मा गांधी के बिचार औ जिंदगानी से बहुत लगाव रहिस। ओकर जीवन के आदर्श ल ओहा पालन करत रहिस, जीवन भर, औ ओकर जीवन दर्शन के अनुकरन करिन। सोंच बिचार, रहे, सहे मा…
Read Moreछत्तीसगढी उपन्यास – माटी के बरतन
रामनाथ साहू छत्तीसगढ राजभाषा आयोग रायपुर के आर्थिक सहयोग ले प्रकाशित प्रकाशक : वैभव प्रकाशन, अमीनपारा चौक, पुरानी बस्ती रायपुर (छत्तीसगढ) दूरभाष : 0771-4038958, मो. 94253-58748 आवरण सज्जा : कन्हैया, प्रथम संस्करण : 2017, मूल्य : 200.00 रुपये, कापी राइट : लेखकाधीन समरपन हिन्दी अउ छत्तीसगढी के बरकस साहित्यकार डॉ. बिहारीलाल साहू जी ला सादर समरपित ! अध्याय – 1 दूनों परबत के मांझा म जात वो सॉकर डहर जइसे चलत-चलत जाथे तौ वो पहुँचथे रैनपुर । हाँ …,वो गाँव के नाव रहिस रैनपुर अब ले… घलो वोला वोइसनेहेच कथे…
Read Moreडॉ.शैल चंद्रा के किताब : गुड़ी ह अब सुन्ना होगे
संगी हो ये किताब ल बने सहिन पीडीएफ बनाए नइ गए हे, तभो ले डॉ.शैल चंद्रा जी के रचना मन के दस्तावेजीकरण के उद्देश्य से येला ये रूप में हम प्रस्तुत करत हवन। पाछू प्रकाशक या टाईप सेट वाले मेरे ले सहीं पीडीएफ या टैक्स्ट फाईल मिल जाही त वोला प्रकाशित करबोन। 1. सहर के गोठ 14. नंदागे लडकपन 27. भगवान के नांव म 40. आज के सरवन कुमार 2. बैसाखू के पीरा 15. फायदा 28. पढंता बेटा 41. इक्कीसवीं सदी के गंधारी 3. अपन-अपन भाग 16. आज के सीता…
Read Moreसुरूज नवा उगइया हे : छत्तीसगढ़ी गज़ल संग्रह
अपनी बात साहित्य में गज़़ल का अपना एक विशिष्ट स्थान है। उर्दू साहित्य से चल कर आई यह विधा हिंदी व लोकभाषा के साहित्यकारों को भी लुभा रही है। गज़़ल केवल भाव की कलात्मक अभिव्यक्ति मात्र नहीं है, बल्कि यह जीवन के सभी पक्षों को स्पर्श करती चलती है। सामाजिक सरोकारों के अतिरिक्त युगीन चेतना विकसित करने का भी यह एक सशक्त माध्यम है। निश्चय ही परंपरावादी विद्वानों ने गज़़ल के संबंध में कहा है कि गज़़ल औरतों से या औरतों के बारे में बातचीत करना है,परंतु वर्तमान परिप्रेक्ष्य में…
Read Moreकिताब कोठी : विमर्श के निकष पर छत्तीसगढ़ी़
विमर्श के निकष पर छत्तीसगढ़ी़ डॉ. विनोद कुमार वर्मा (छत्तीसगढ़ राजभाषा आयोग, छत्तीसगढ़ शासन, रायपुर से अनुदान प्राप्त ) प्रकाशक : वदान्या पब्लिकेशन नेहरु नगर बिलासपुर मो. 77710-30030 मुद्रक : अंकुर प्रिंटर्स, बृहस्पति बाजार बिलासपुर मो . 98271-70543 भूमिका संस्कृत, हिन्दी और उसकी प्राय: समग्र प्रमुख लोकभाषाओं यथा-ब्रज, अवधी, भोजपुरी, छत्तीसगढ़ी़ के साथ भारतीय भाषाओं की लिपि देवनागरी है। ध्वनि आधारित होने के कारण उच्चारण भी प्राय: समान ही हैं । प्रश्न उठता है यदि लिपि की समानता है तो वर्णमाला में भेद क्यों ? बीसवीं शताब्दी के पूर्वार्ध में…
Read Moreकिताब कोठी : सियान मन के सीख
भूमिका रश्मि रामेश्वर गुप्ता के “सियान मन के सीख” म हमर लोकज्ञान संघराए हे। ऋषि-मुनि के परंपरा वेद आए अउ ओखर पहिली अउ संगे-संग चलइया ग्यान के गोठ-बात सियान मन के सीख आए। हमर लोकसाहित्य अउ लोकसंस्कृति म ए गोठ समाए हे। कबीरदास जी लिखे हें- तुम कहियत हौ कागद लेखि, मैं कहियत हों ऑखिन देखि। “सियान मन के सीख” कागद लेखि ले जादा ऑखिन देखि बात आए। जिनगी के पोथी आए “सियान मन के सीख” कमिया-किसान मन के गीता आए “सियान मन के सीख”। रश्मि रामेश्वर गुप्ता घर-परिवार अउ समाज के सियानी…
Read Moreछंद बिरवा : चोवाराम वर्मा
छन्द-बिरवा (छत्तीसगढी छन्द संग्रह) चोवाराम ‘बादल’ प्रकाशक आशु प्रकाशन पता- प्लाट नं. 509 मिलेनियम चौक सुंदर नगर, रायपुर (छग) मोबाईल : 09302179153 भूमिका श्री चोवाराम ‘बादल’ छत्तीगढ़ी के जाने चिन्हें कवि हैं। इनमन ‘छंद-बिरवा’ ले जउन संग्रह सौंपत हें, ओहर छातछात छंद के बिरवा बनगे हे। एही ये पोथी के बिसेसता हे अउ छत्तीसगढ़ी भाव अउ विचार ल मात्रिक अउ वर्णिक छंद मा बांधे-छांदे के उदिम घलो। इन छंद के बिसेसता ल बतात आचार्य के पदनी ल धारन कर लेथें अउ उदाहरण के रूप म अपन कविता ल दे के कवि…
Read Moreछंद चालीसा – छत्तीसगढी छंद के कोठी
छंद चालीसा “छत्तीसगढी छंद के कोठी” रमेशकुमार सिंह चौहान प्रकाशक आशु प्रकाशन पता- प्लाट नं. 509 मिलेनियम चौक सुंदर नगर, रायपुर (छग) मोबाईल : 09302179153 छत्तीसगढ राजभाषा आयोग के सहयोग से प्रकाशित आवरण चित्र : प्रकाश सिंह प्रकाश आवरण सज्जा : लोकेश सिंह चौहान प्रथम संस्करण : 2017 मूल्य : 200 रुपये मात्र कॉपी राइट : लेखकाधीन भूमिका गद्य विधा मा जउन महत्व व्याकरण के होथे, पद्य विधा मा उही महत्व छन्द के होथे। छन्द सीखे बर व्याकरण के ज्ञान जरूरी होथे अउ इही व्याकरण हर कोनो भाखा ला समृद्ध…
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