गरीबा महाकाव्य (छठवया पांत : तिली पांत)

६. तिल्ली पांत वंदना अपन तरी मं रखत अंधेरा – दूसर जगह उजाला । अपन बिपत ला लुका के रखथय – पर के हरथय पीरा ।। खुद बर – पर के दुख ला काटत उही आय उपकारी । पांव परंव मंय दिया के जेकर बिन नइ होय देवारी ।। काव्य प्रारंभ “मंगलिन कपड़ा मिल’ एक ठक हे, ओकर स्वामिन मंगलिन आय ओकर गरब अमात कहूं नइ, काबर के धन धरे अकूत. कपड़ा मिल के कुछ आगुच मं, सकला खड़े हवंय मजदूर खलकटभाना बुल्खू द्वासू, झनक बैन अउ कई मजदूर. उंकर…

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गरीबा महाकाव्य (पंचवईया पांत : बंगाला पांत)

पाठक – आलोचक ले मंय हा नमन करत मृदुबानी । छिंहीबिंही खंड़री निछथंय पर सच मं पीयत मानी ।। एमन बुढ़ना ला झर्रा के नाक ला करथंय नक्टा । तभो ले लेखक नाम कमाथय – नाम हा चढ़थय ऊंचा ।। मेहरुकविता लिखत बिधुन मन, ततकी मं मुजरिम मन अ‍ैन तब बिसना कथय – “”तंय कवि अस, कविता लिखथस जन के लाभ. झूठ बात ला सच बनवाये, करथस घटना के निर्माण पर अब सच ला साबित कर, निज प्रतिभा के ध्वज कर ठाड़. घटना – पात्र काल्पनिक खोजत, एमां बुद्धि समय…

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गरीबा महाकाव्य (चौंथा पांत : लाखड़ी पांत)

धरती माता सबके माता-सब ले बढ़ के गाथा । मोर कुजानिक ला माफी कर मंय टेकत हंव माथा।। अन्न खनिज अउ वृक्ष हा उपजत तोर गर्भ ले माता । सब प्राणी उपयोग करत तब बचा सकत जिनगानी ।। “”कहां लुका-भागे डोकरा? तोला खोजत हन सब कोती सुन्तापुर के सब छोकरा । कहां लुका भागे छोकरा…? चुंदी पाक गे सन के माफिक अंदर घुसगे आंखी बिना दांत के बोकरा डाढ़ी पक्ती – पक्ती छाती. झड़कत रथस तभो ठोसरा…।। हाथ गोड़ के मांस हा झूलत कनिहा नव गे टेड़गा कउनो डहर जाय…

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कहा नहीं : छत्तीसगढ़ी कहानी संग्रह

कहा नहीं (छत्तीसगढ़ी कहानी संग्रह) कुबेर प्रथम संस्करण: 2011 आवृत्ति: 300 सर्वाधिकार: लेखकाधीन मूल्य: 125 रु. प्रकाशक: प्रयास प्रकाशन सी – 62, अज्ञेय नगर, बिलासपुर ( छ.ग. ) दूरभाष – सचल: 09229879898 भूमिका : कथात्मकता से अनुप्राणित कहानियाँ समीक्षा : सौंदर्य भी है और सुगंध भी 01 आज के सतवन्तिन: मोंगरा 02 बाम्हन चिरई 03 बसंती 04 दू रूपिया के चाँउर अउ घीसू-माधव: जगन 05 कहा नहीं 06 फूलो

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गरीबा : महाकाव्य – तीसर पांत : कोदो पांत

छत्तीसगढ़ी गरीबा महाकाव्य रचइता – नूतन प्रसाद प्रथम संस्करण – 1996 मूल्य – पांच सौ रुपये स्वत्व – सुरेश सर्वेद आवरण – कृष्णा श्रीवास्तव गुरुजी डिजाइन एवं टाईपसैट – जैन कम्प्यूटर सर्विसेज, राजनांदगांव प्रकाशक सुरेश सर्वेद मोतीपुर, राजनांदगांव वर्तमान पता सुरेश सर्वेद सांई मंदिर के पीछे, तुलसीपुर वार्ड नं. – 16, तुलसीपुर राजनांदगांव छत्तीसगढ़ मोबाईल – 94241 11060 गरीबा महाकाव्य (तीसर पांत : कोदो पांत)

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गरीबा : महाकाव्य – दूसर पात : धनहा पांत

छत्तीसगढ़ी गरीबा महाकाव्य रचइता – नूतन प्रसाद प्रथम संस्करण – 1996 मूल्य – पांच सौ रुपये स्वत्व – सुरेश सर्वेद आवरण – कृष्णा श्रीवास्तव गुरुजी डिजाइन एवं टाईपसैट – जैन कम्प्यूटर सर्विसेज, राजनांदगांव प्रकाशक सुरेश सर्वेद मोतीपुर, राजनांदगांव वर्तमान पता सुरेश सर्वेद सांई मंदिर के पीछे, तुलसीपुर वार्ड नं. – 16, तुलसीपुर राजनांदगांव छत्तीसगढ़ मोबाईल – 94241 11060 मंय छत्त्तीसगढ़ी म गरीबा महाकाव्य काबर लिखेवं ? आज आप ल जउन कहिना हे, एक वाक्य म कहो। समे “गागर म सागर” भरे के हे। आप बड़े ले बड़े बात ल नानकून…

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भोलापुर के कहानी

(छत्तीसगढ़ी कहानी संग्रह) कथाकार : कुबेर पूर्वावलोकन : डॉ. नरेश कुमार वर्मा लोक की कहानी – प्रथम संस्करण की समीक्षा : डॉ. गोरे लाल चंदेल संपादकीय : सुरेश ‘सर्वेद’ लेखकीय : कुबेर कहिनी ओसरी पारी 1 :  डेरहा बबा 2 :  राजा तरिया 3 :  संपत अउ मुसवा 4 :  लछनी काकी 5 :  सुकारो दाई 6 :  घट का चौका कर उजियारा 7 :  चढौत्तीरी के रहस 8 :  सरपंच कका 9 :  गनेसी के टुरी 10 :  पटवारी साहब परदेसिया बन गे 11 :  साला छत्तीसगढिया 12 :…

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गरीबा : महाकाव्य (पहिली पांत : चरोटा पांत)

साथियों, भंडारपुर निवासी श्री नूतन प्रसाद शर्मा द्वारा लिखित व प्रकाशित छत्‍तीसगढ़ी महाकाव्‍य “ गरीबा” का प्रथम पांत “चरोटा पांत” गुरतुर गोठ के सुधी पाठकों के लिए प्रस्‍तुत कर रहा हूं। इसके बाद अन्य पांतों को यहॉं क्रमश: प्रस्‍तुत करूंगा। यह महाकाव्य दस पांतों में विभक्त हैं। जो “चरोटा पांत” से लेकर “राहेर पांत” तक है। यह महाकाव्य कुल 463 पृष्ट का है। आरंभ से लेकर अंत तक “गरीबा महाकाव्य” की लेखन शैली काव्यात्मक है मगर “गरीबा महाकाव्य” के पठन के साथ दृश्य नजर के समक्ष उपस्थित हो जाता है।…

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भिनसार (काव्‍य संग्रह) – मुकुंद कौशल

छत्‍तीसगढ़ी काव्‍य संग्रह : भिनसार, रचनाकार : मुकुंद कौशल, प्रकाशक : दिशान्‍त प्रकाशन, दुर्ग. प्रथम संस्‍करण : 1989, मूल्‍य : सात रूपये, मुद्रक : रेजीमेन्‍टल प्रेस, दुर्ग. आवरण : मोहन गोस्‍वामी.

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