बोधन राम निषाद राज के ददरिया

आँखी म झुले ओ,तोर मोहनी सुरतिया, आँखी म झुले….. आँखी म झुले गा,तोर झुल झुल के रेंगना, आँखी म झुले…. उगती ले सुरुज उगे,बुड़ती म डेरा। तोर मोर भेंट होगे,संझा के बेरा।। आँखी म झुले….. आँखी म झुले ओ,तोर मोहनी सुरतिया, आँखी म झुले…. मया के बंसरी ल,बजाये तैंहा गा। मन मोहना काबर मोला,नचाये तैंहा गा।। आँखी म झुले….. आँखी म झुले गा,तोर झुल झुल के रेंगना, आँखी म झुले….. मारे लबेदा ,आमा के डारा ओ। तहुँ बइठे ल आबे,हमर पारा ओ।। आँखी म झुले….. आँखी म झुले ओ,तोर मोहनी…

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जमुना के तीर तीर हो

जमुना के तीर तीर हो कान्हा गैया चरावे जमुना के तीर तीर हो। कोन बन कान्हा गैया चरावे कहां पियावे पानी। कहां पियावे पानी हो मइया कहां पियावे पानी। कोन बन कान्हा गेंद खेले जमुना के तीर तीर हो। कान्हा गइया चरावे… कउन रंग हे राम के गइया कउने रंग लखन के। कउन रंग लखन हो मइया कउने रंग लखन के। कउन रंग हे कृष्ण के गइया जमुना के तीर तीर हो। कान्हा गइया चरावे… पियंर रंग हे राम के गइया सादा रंग लखन के। सादा रंग लखन के हो…

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बसे हो माया मोरो नैन

बसे हो माया मोरो नै न मोरो नैन दाई फुलवा बसे। बसे हो माया मोरो नैन मोरो नैन दाई फुलवा बसे हो माँ। मन मंदिर में तोला बसा के करत रहिथंव पूजा मां। करत रहिथवं पूजा। तोरेच बेटा आंवंव दाई झन करबे तंय दूजा। बसे हो माया मोरो नैन.. आंखी के रसता ले दाई हिरदय भीतरी समाये माँ। हिरदय भीतरी समाये। तोर भक्ति में मन मोर रंगगे कुछु नइ सुहाये। बसे हो माया मोरो नैन.. मंया दाई के कइसे होथे तोर कोरा में जानेंव माँ। तोर कोरा में जानेंव। बिन…

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नशा मुक्ति के गीत

1.नशा हॅ नाशी होथे नशा हॅ नाशी होथे सुख के फाॅसी होथे घिसे गुड़ाखू माखुर खाए दाँत हलाए मुँह बस्साए बीड़ी म खाँसी आथे गुटका खाए पिच पिच थूके दारू पीए कुकुर अस भूँके धन के उद्बासी होथे चिलम तिरैया के आँखी धँसगे जवान बेंदरा सहीन खोखसगे जग म हाँसी होथे ए तो सुनेव बाहिर कहानी घुना जथे संगी जिनगानी लइका लोग करलासी होथे बिनती हे मोर कहना मानव नशा छोड़े के अभी ठानव देखव उल्लासी होथे। 2. नइ बाँचय तोर चोला रे नइ बाँचय तोर चोला रे नइ बाँचय…

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सेवा जस गीत

बन्दना :– सुमिरन करतहौं दुरगा तोला, करतहौं बिनती तुन्हार ओ। गावत हौं तोर गुन ल दाई, हमरो सुनले गोहार ओ।। तर्ज :– आ गे नौ नौ दिन के नवरात ओ, नौ नौ कलश सजावौ मैं ह आज ओ। जम्मो देवता बिराजे तोर समाज ओ, आ गे नौ नौ दिन के नवरात ओ। पहली कलश माता शैल पुत्री, दूजा कलश ब्रम्ह्चारिणी। तिजा कलश चंद्रघंटा बिराजे, कलश सजावौ मैं ह आज ओ। आ गे नौ नौ दिन के नवरात ओ। नौ नौ कलश सजावौ………… चउथा कलश माता कुषमाण्डा, पांचवा कलश स्कंधमाता। छठा…

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रन चंडी बने ओ माता

रन चंडी बने ओ माता महिषा सुर ला मारे बर रन चंडी बने। रन चंडी बने ओ माता… बरम्ह देव के करिस तपस्या महिषा सुर अभिमानी। काकरो हाथ ले मंय झन मरौ बर देवव बरदानी। रन चंडी बने ओ माता.. बर ला पाके महिषा सुर हा रिसी मुनी ला सतावे। दुख ला देख के इन्द्र देव बरम्हा बिष्नु ला मनावे। रन चंडी बने ओ माता.. बरम्हा विष्णु शंकर भोला अइसन सुनता बंधावे। महिषा सुर संग युद्ध करे बर जम्मो देंवता आवे। रन चंडी बने ओ माता… अजर अमर महिषा सुर…

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तोर मुसकी ढ़रत रूप

  तोर मुसकी ढ़ारत रूप ओ दाई नैनन में मोर बसगे। नैनन में मोर बसगे ओ दाई हिरदय में मोर बसगे। तोर मुसकी ढ़ारत रूप हीरा जड़े तोर माथ मटु़किया लाली बिंदिया सोहे। चंदा सुरूज तोर नैना माता भक्तन के मन मोहे। तोर कजरा तीर कमान ओ माता नैनन में मोर बसगे। तोर मुसकी ढ़ारत रूप.. कभू सोनहा हार पहिरे कभू मूड़़ी के माला। दानव दल संघारे खातिर धरे तिरसुल भाला। तोला सुमिरे बेद पुरान ओ दाई नैनन में मोर बसगे। तोर मुसकी ढ़ारत रूप… पानी पवन अऊ रूख राई…

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बेटी मन उपर गीत

1. महॅू संतान अँव  झन करौ गा भेद महूं संतान अँव बिधि के बिधान अँव बचपन म पाँव के पइरी सरग ले सुहाथे घर के बूता म दाई ल हाथ कोन बटाथे लीप बाहर अँगना दुवार कोन सजाथे लक्षमी दू  दिन के मेहमान अँव जोड़थौं बिहा के मैं दू ठिन परिवार ल ए घर ले वो घर ले जाथौं संस्कार ल पीरा सहि कोख ले जनमथौं संसार ल सोचैं तो मैं जग के जान अँव सोचै महतारी तुँहर रहिस कखरो बेटी जेकर ले बिहाव करेव उहू कखरो बेटी कहाँ पाहू…

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धर्मेन्‍द्र निर्मल के योजना प्रचार गीत

धर्मेन्‍द्र निर्मल के ये गीत मन ह सरकारी योजना मन के प्रचार-प्रसार बर संगीतबद्ध करे गए हे अउ ये गीत मन ह प्रदेश के कोना-कोना म प्रदर्शित होवत हे। 1. जम्बूरी डण्डा गीत जम्बुरी भारत के शान ए मान ए जम्बुरी भारत के शान स्वाभिमान हे देश हित खातिर जीना अउ मरना मानव सेवा ही तो जग म महान हे जुरमिल जम्मो वृक्षारोपण करबो भारत भुॅइया म लाबो हरियाली स्वच्छ भारत अभियान के सपना ल सकार करबो अउ लाबो खुशहाली दया मया प्रेम पर उपकार के भावना ल हिरदय म…

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अब का पोरा-जाँता जी ?

अब का पोरा जाँता जी? ठाढे़ अँकाल के मारे, होगेव चउदा बाँटा जी | अब का पोरा जाँता जी। सपना ल दर-दर जाँता म, कब तक मन ल बाँधव ? चांउर-दार पिसान नइहे, का कलेवा राँधव ? भभकत मँहगाई म, अलथी कलथी भुंजात हौ | भात- बासी ल तको, चटनी कस खात हौ | उबके हे लोर तन भर, पड़े हे गाल म चाँटा जी….| अब का पोरा जाँता जी….? सिरतोन के बइला भूख मरे, का जिनिस खवाहूं | माटी के बइला बनाके, अब का करम ठठाहूं | किसान अउ…

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