परगे किनारी मा चिन्हारी, ये लुगरा तोर मन के नोहे लागे हाबे नैना मा कटारी, ये कजरा तोर मन के नोहे लडठका ह लउकत हे दांतन मा तोर मीठ बोलना बजा देते मादर ला तोर लइसे लागे तोर खोपा मा गोई गुंझियागे हे करिया बादर ह वो इंद्रराजा आगे धनुषधारी, ये फुंदरा तोर मन के नोहे….. कोन बन मा बंसरी बजाये मोहना सुरता समागे सूरसुधिया जकर बकर होगे रे लकर धकर होगे रे कइसे परावत हे रधिया जइसे भगेली कोनी नारी, ये झगरा तोर मन के नोहे….. नाचत हे रधिया…
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धनी धरमदास के सात छत्तीसगढ़ी पद
(1) पिया बिन मोहे नीक न लागै गाँव। चलत चलत मोर चरन दुखित भे, आँखिन पर गै धूर। आगे चलौ पंथ नहिं सूझै, पाछे परै न पॉव। ससुरे जावँ पिया नहिं चीन्है, नैहर जात लजावै। इहाँ मोर गाँव, उहाँ मोर पाही, बीच अमरपुर धाम ॥ धरमदास बिनवे कर जोरी, तहाँ गाँव ना ठाँव ॥ (2) साहेब बूड़त नाव अब मोरी काम क्रोध के लहर उठत हे, मोह-पवन झकझोरी | लोभ मोरे हिरदे घुमरत हे, सागर वार न पारी ॥ कपट के भँवर परे हे बहुते, वों में बेड़ा अटके |…
Read Moreउठौ उठौ छत्तीसगढ़ लाल- बंशीधर पाण्डे के गीत
उठौ उठौ छत्तीसगढ़ लाल अपन जगा के देखो हाल मोरध्वज कंस राजा महा रहिस सत्तपन धारी जहां नृप कल्याण साय के सुन्दर रहिस गोपल्ला वीर धुरन्धर जे दिल्ली में नाम कमाइस छत्तीसगढ़ बलवीर देखाइस कवि गोपाल चंद्र प्रहलाद रहिन जहां कविता अल्हाद ते छत्तीसगढ़ ला सब लोग हांसत है तब ताली ठोंक आगू जूता पाछू बात तब आवै छत्तीसगढ़ हाथ ऐसे हाना जोरे हावै छत्तीसगढ़ ला बोरे हावै। हे छत्तीसगढ़िया भाई मन अपन जगा के निनन््दा ऐसन सुनके जब हम चुप हो जावो तो का फेर हम मनुज कहाबो। बंशीधर…
Read Moreगिरिवर दास वैष्णव के गीत
सत्तावन के सत्यानाश किस्सा आप लोगन ला, एक सुनावत हौ भाई। अट्टारह सौ सन््तावन के, साल हमर बड़ दुखदाई। बादसाह बिन राज हमर, भारत मां वो दिन होवत रहिस। अपन नीचता से पठान मन, अपन राज ला खोवत रहिस। इन ला सबो किसिम से, नालायक अंगरेज समझ लेईन। तब विलायती चीज लान, सुन्दर-सुन्दर इन ला देहन। करिस खुशामद खूब रात दिन, इन ला ठग के मिला लेइस। और जमीन लेके थोड़े से, कीमत ला चौगुन देइस। कपड़ा लत्ता रंग रंग के, घड़ी-घड़ी दे ललचाइस। तब बेटा से बाप अऊ, भाई…
Read Moreलाला फूलचंद श्रीवास्तव के कौशल प्रान्त ( छत्तीसगढ़ ) के बन्दना
जै जै कौशल्या के देश धोती, पगड़ी, छाता-छितोरी, जेकर भूषा-वेश ॥ जै जै….. ॥ अर्र तता तत गीता गाइन, हलधर जी के मंत्रा पाइन। नहि अपन खाके पर ला पोसे, नहि जाये बिदेश॥ जै जै….॥ छल कपट कछु नहि जाने, ब्राह्मणविष्णु खूबिच माने। पर हित खातिर माटी होके, पकाये अपन केंस ॥ जै जै….॥ छत्तीसगढ़ के छत्तिस बोली, उमड़ जाये ले नवधा गोली। रण चण्डी चढ़ जाये खप्पर, नहि देखे अपन शेश ॥ जै जै…..॥ सत्य, अहिंसा, दया, छमा, परिपूरन कौशल माता। राम लला कोरा में खेले, दूध पूत के…
Read Moreगीत: सरद के रात
तैं अँजोर करे चंदा, हीरा मोती के चंदैनी बरे धरती धोवागे निरमल अगास खोखमा फूल के होवथे विकास लानिस संदेस ला डहरचला आवशथे जीव के जुड़ावन सगा लुंहगी मारथे सपरिहा, उमड़त हे मन हा उचैनी चढ़े…… खेत के तीर तीर खंजन चराय कुलकत हे धनमत हांसय लजाय आसा विचारी के मन होगे रीता सरग ले गिर परे धरती में सीता तोला खोजत हे पपिहरा, अइसन निठुर चोला काबर बने….. चंदा संग जमुना फुगड़ी खेले झांकत हे मधुबन दरपन देखे का कहिबे दीदी सुहावन के बात मोहनी सरदा रितु के रात…
Read Moreमोरो कोरा ल भर दे: मन्नीलाल कटकवार
हे राम! गजब मैं पापी, फोकट जनमेंव दुनियाँ म। कतका दिन होगे आए, नइए लइका कोरा म॥ जौन मोर ले पीछू आइन, उन हो गय हें लइकोरी। कोरा म पाके लइका, कुलकत हे जाँवर-जोड़ी ॥ सब धन-दौलत हे घर म, कोठी म धान हे जुन्ना। मोर दुखिया मन नइ मानै, एक ठन बिन घर हे सुन्ना॥ मोर सास-ननंद खिसियाथे, बोलियाथे पारा-टोला। छाती फाटे अस करथे, ठड़॒गी कइथें जब मोला॥ सब कइयथें तेला सहिथौ, छाती म पथरा धर के। मुँहले भाखा नइ बोलॉव, मरजाद रखे बर घर के। अंतस म सुलगे…
Read Moreअन्न कुंवारी के जवानी: मन्नीलाल कटकवार
अन्न कुंवारी के जवानी सब ल आशीष देत रे। मोटियारी कस मुसकावत हे, आज धान के खेत रे। असाढ़ महिना चरण पखारै, सावन तोर गुन गाव । भादों महिना लगर-लगर के, तोला खूब नहवावै। कुवांर महिना कोर गांथ के, तोला खूब समरावे। कातिक अंक अंग म तोर, सोनहा गहना पहिरावै । तोर जवानी देख सरग के, रंभा होगे अचेत रे। मोटियारी कस मुसकावत हे, आज धान के खेत रे॥ उमर जवानी के मस्ती म, कसमकसात हे चोली। ऐती ओती गिरगिर के, बइहर संग करै ठिठौली। बीच खेत ले करगा राणी,…
Read Moreपरेवा गीत: बाबूलाल सिरीया दुर्लभ
उड़िया जा परेवा तंय, ले के संदेस, मोर पिया के देस पामगढ़ जाबे फेर सवरीनारायन, अंगना म लागे हवय आमा के पेड़। गर्रा-धूंका अस तंय जाबे, अऊ ओसने आ जाबे, रूख-राई के छंइहा म झन कोनो मेर सुरताबे। झनिच बिलमबे कोनो मेर न, झन करवे कहूँ अबेर। उड़िया जा परेवा तयं॥ चील- कँउवा-बाज हें अब्बड़ साव-चेती जाबे, सिकारी मन के माया जाल म जाके झन झोरसाबे। मोर दया-मया तंय संग ले जा, तोर होही रखवार। उड़िया जा. ॥ महनंदिया म पानी मिलही, चंडीगढ़ म चारा, तरिया तीर म ऊंखर महल…
Read Moreमारबो फेर रोवन नह दन: समरथ गँवइहा
मारबो फेर रोवन नइ दन तुमन सुख पाबो कहथव कमजोरहा बुद्धि एको रच नइये परे हव भोरहा तिजोरी के कुंजी तूं हमला देहे हव तुंहर सुख ल होवन नइ दन मारबो फेर……… बिन पुछे तुंहला सुनावत हन हाल रेडियो इसटेसन ला करब थोरक खियाल का खरचा करे कतेक खरचा करे हिसाब म हम गलती होवन नइ दन मारबो फेर……… रहिस खरचा के इमानदारी तो रसीद मन साखी हवय पारी के पारी येक बात हय बड़े अफसर बड़े सेठ इ मन के गवाही होवन नइ दन मारबो फेर………. कुर्सी जाय के…
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