करिया बादर छागे

करिया करिया बादर छागे, सनन सनन पुरवैया चलै ना उमड़ घुमड़ के गरजन लागे, कड़क कड़क के बिजुरी चमकै  ना झिमीर झिमीर गीत सुनावै, गावै बरखा रानी नरबा तरिया डिपरा खोचका, गाव माँ भरै पानी टिप टिप छानी चुहचुहागे, खुजरी ओढ़े खपरा उलतैना टरर टरर मेंचका के बोली, मोर नाचै वन मा चकवा चकवी दुनो मिलगे, फूल महके तन मा धरती के अचरा हरियागे, ठुमके गोगी कनिहा लचकै ना…. तो तो तो तो बइला के तुतारी, जोते नांगर खेत ला मारे ददरिया के तान जोही, बासी धरे मेड़ मा नंगरिहा…

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छंद – अजब-गजब

अजब संसार होगे, चोर भरमार होगे चोरहा के भोरहा म चंउकीदार उपर सक होथे सच बेजबान होगे, झूठ बलवान होगे बईमान बिल्लागे ते, ईमानदार उपर सक होथे मुख बोले राम – राम, पीठ पीछु छुरा थाम बेवफा बिल्लागे ते वफादार उपर सक होथे रखवार देख बाग रोथे, जंगल म काग रोथे वरदी म दाग देख, थानादार उपर सक होथे दूभर ले दू असाड़, जिनगी लगे पहाड़ नैनन सावन-भादो, एला खार-खेती कहिथे पानीदार गुनाह करे, कानून पनिया भरे जनता जयकार करे, एला अंधेरगरदी कहिथे ढेकना कस चूसथे, मुसवा कस ठूंसथे बोहाथे…

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गीत – जागो हिन्दुस्तान

सुनो रे संगी ! सुनो रे सांथी ! सुनो मोर मितान ! देसी राज म गोहार होवथे, होगे मरे बिहान ! जागो-जागो, गा जवान ! जागो-जागो, गा किसान ! जागो, जम्मो हिन्दुस्तान ! अजादी संगी ! रखैल होगे, ठाट-बाट अउ पोट के अंधरा कानून कोंदा-भैरा, पग-पग म खसोट हे ईमान के इनाम लंगोटी, बईमान बिछौना नोट हे देस-राज बर सहीद होगे, होगे जे बलिदान दाना-दाना बर तरस जथे, fतंकर लइका अउ सियान ! जागो-जागो, …. देंवता कस मान पावथे, खादी म हुंर्रा-गिधवा सुवारथ के सरकार ए, चोर-लुटेरा मितवा जोगनी लुटइया…

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गीत

माडी भ्‍ार चिखला मा तन ला गडाए, कारी मोटियारी टुरी रोपा लगात हे ।। असाढ के बरसा मा तन ला भिजोए, अवइया सावन के सपना सजात हे ।। धान के थ्‍ारहा ला धर के मुठा मा, आज अपन भाग ला सिरतोन सिरजात हे ।। भूख अउ पियास हा तन ला भुला गेहे, जागर के टुटत गउकिन कमात हे ।। मेहनत के देवता ला आज मनाए बर, माथ के पसिना ला एडी मा चुचवात हे ।। सावर देह मा चिखला अउ माटी के, सिंगार हर मोर संगी कइसन सुहात हे ।।…

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अब तो किरपा कर राम

बनगे छतीसगढ़ धाम, अब तो किरपा कर राम ।। तोर ममा गोते हा राज बनगे। कभू सोचे नइ रहे होबे, वो आज बनगे ।। सब जुरमिल के, लड-जूझ के राज बनाइन पहिलिच बरिस पानी बर बसाये तय। सब सुम्मत-सुकाल बर हाथ लमाइन, पहिलिथ बरिस धान कटोरा रिताये तय। अब दाना-दाना हर हमर लाज बनगे ।1। तोर ममा … कहाँ लिखे भाग हमर पेज अउ सीथा, के लिखे हमर भाग सिरिफ मूख-पियास ला । कहां लिखे भाग हमर देस मा डेरा, के लिखे हमर माग सिरिफ बनबास ला । पेट बिकाली…

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गीत : रामेश्वर शर्मा

सरर-सरर फरर-फरर बहे पुरवाही। सावन सवनाही तब धरती हरियाही॥ बूंद गिरे भुइयां मं सावन के झर-झर। बिजुरी के तड़-तड़ बादर के घड़-घड़। आगे बादर ले मउसम बदल जाही॥ देखव अब चारो डहर मन हरियावे। गावय मल्हार संग ददरिया सुनावे। लइका सियान सब गाही गुनगुनाही॥ बइला के संगे-संग खेत हर जोताही। लछमिन हर खेत मं बीजा बगराही। जिहां देख तिहां बूता भर मन कमाही॥ तात-तात भात नई त बासी ल लाही। अमरित कस जान के कमइया ह खाही। किसनहा के ताकत अबड़-बाढ़ जाही॥ चिरइ-चिरगुन रुखवा मं कलख मचाथे। चारों कोती देख-देख…

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तपत कुरू भइ तपत कुरू

असीस देवे वो देवारी अउ दुकाल-अकाल बेटी के बिदा पन्द्रह अगस्त मडई देखे जाबो उँकरे बर सनमान मडइके के मया इही किसम होना चाही तपत कुरु लछमी – पारवती गोठ ले दे मोर खर लुगरा भज लेबे गा तोरेच खातिर अन्नपुरना गउरी सास डोकरी लेवना चोरी निक लागय चन्दा लेहूं अरझ गेहे तुलसी के कहिनी सारी गुरु नानक सारा छत्तीसगढ महतारी गउरी साँही भउजी बिजली चमकथय मोरो मन कहिथय मैं बुडे हाबँव दरस नई नागिन के फन ल तैय चल नई बाँचय तील्मती-चाँउरमती ढेरा घूमत चलबों संगे संग गारव असें…

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गुरमटिया म सावन अउ महतारी

सावन के का बात हे भाई सावन तो मन भावन ए सबो महीना आथे- जाथे फेर सावन तो सावन ए । आघू के गीत शकुन्तला शर्मा जी के छत्तीसगढ़ी ब्लॉग गुरमटिया म पढ़व. महतारी हर महतारी ए देवी – देवता मन ले बड़े माँ के जनम ह पर बर होथे ओकर त्याग हे सब ले बड़े | आघू के गीत शकुन्तला शर्मा जी के छत्तीसगढ़ी ब्लॉग गुरमटिया म पढ़व.

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