मकर संकराति हिन्दू धरम के एक परमुख तिहार हरे। ए परब ल पूरा भारत भर में एक साथ मनाये जाथे। पूस मास में सुरुज देव ह धनु राशि ल छोड़ के मकर राशि में परवेस करथे इही ल मकर संकराति के नाम से जाने जाथे। मकर संकराति के दिन से ही सूर्य के उत्तरायन गति ह शुरू हो जाथे। ए दिन से रात छोटे अऊ दिन ह बड़े होना शुरु हो जाथे। दिन बड़े होय से परकास (अंजोर) जादा अऊ रात छोटे होय से अंधियार कम होथे। इही ल कहे गेहे –…
Read MoreCategory: गोठ बात
हमर संस्कृति हमर पहिचान
संगवारी हो, हमर हरियर पतित पावन भुइया छतीसगढ़ हवय।महतारी के मयारू कोरा म हमर कला अउ संसकिरीति के पालन पोषण होवत हवय। धान के कटोरा हमर छत्तीसगढ़ के कला अउ संसकिरीति के दुरिहा दुरिहा म पहिचान हवय। हमर छतीसगढ़ के संसकिरीति ह पूरा भारत देश म सबले जादा धनवान संस्कृति के हवय। हरियर भुइया हमर छतीसगढ़ के जतका मीठ संसकिरीति हवय ओतके मीठ हमर गुरुतर भाखा छतीसगढ़ी हवय। करमा ददरिया सुवा पंथी कोन जनि कब ले आगास म गुनंजत् हे उही ला हमर पुरोधा कलाकार मन सहेज के राखे हे।…
Read Moreनवा बछर मोर छत्तीसगढ़ में नवा बिहनिया आही सियान मन के सीख
सियान मन के सीख ला माने मा ही भलाई हे। संगवारी हो तइहा के सियान मन कहय-बेटा! जब तक स्वांसा, तब तक आसा रे। फेर संगवारी हो हमन उॅखर बात ला बने ढंग ले समझ नई पाएन। हमर बर तो जिनगी के हर घड़ी, हर मिनट, हर सेकेंड, हर दिन, हर महीना अउ हर बछर हर नवा होथे। जउन मनखे ला ए बात हर समझ आ जाथे वो हर अपन जिनगी के हर घड़ी के उपयोग करे बर सीख जाथे अउ जउन मनखे हर अतके बात ला नई समझ पावय…
Read Moreसुक्खा पर गे बेलासपुर के दाई अरपा
बेलासपुर के बिकास के धारा म कुछु छूट गे त ओ हवय अरपा नदी, जो ह बेलासपुर ल जीवन देवइया दाई के बरोबर हवय, कई बछर बीतिस अउ बछर के संगे-संग बेलासपुर सहर म थोरकिन बदलाव घलोक आईस, फेर अरपा नदी म कोनो देखे लइक बदलाव नई आइस, अरपा ह जइसन पहली रहिस, वइसने अभी के बेरा म घलोक हवय। पाछु के बेरा म त थोरकिन बोहात दिख घलोक जाए फेर अभी के बेरा म ओहु नई बांचे हे, अब तो ऊपर वाला भगवानेच कुछु कर सकत हे। अरपा ल…
Read Moreलोक परब छेरछेरा : समाजिक समरसता के तिहार
जिनगी मा दान दक्छिना के घातेच महत्तम हावय, असल सुख-सान्ती दान पुन मा समाय हावय। हमर देश अउ धरम मा दान अउ तियाग के सुग्घर परमपरा चले आवत हे, भले वो परमपरा मन के नाँव अलग-अलग रहय फेर असल भाव एकेच होथे- दान अउ पुन। अइसने एकठन दान पुन करे के सबले बङ़े लोक परब के नाँव हे छेरछेरा परब। लोक परब एकर सेती कहे जाथे के एहा जन-जन के जिनगी मा रचे बसे हे, समाय हे। हमर छत्तीसगढ के जीवन सइली मा तो छेरछेरा हा नस मा लहू रकत…
Read Moreदान-पुन के महापरब-छेरछेरा
मया-पिरीत के भूंइया छत्तीसगढ़,सेवा सद्भाव के मीठ अमृत छत्तीसगढ़,सोझ,सहज,सरलता के भूंइया छत्तीसगढ़,जिहां सिरजन,संस्कार,समरसता के बोहवत हे गंगा धार। इही निरमल धारा म हमर छत्तीसगढ़ के लोक परब अउ तिहार मन सिरजे हावय। हमर परब अउ तिहार मन खेती संस्कृति ले जुड़े हावय जउन ह मनखे ल मनखे संग जोर के कारज करथे। मनखे के हिरदे म प्रकृति अऊ खेती के प्रति मया पलपलावत रहिथे। खेती-किसानी के संग जिनगी जुड़े रहिथे। हमर खेती संस्कृति के अलगे चिन्हारी हे जेखर सेती हमर महतारी ल ‘‘धान के कटोरा‘‘ कहिथे। ‘‘धान के कटोरा‘‘ जब…
Read Moreमुक्का उपास
माघ महीना के अमावसिया ला मौनी अमावसिया कहे जाथे। एहा एक परब बरोबर होथे एखरे सेती एला मुक्का उपास के परब कहीथे। ए दिन ए परब के बरत करइया मन ला कलेचुप रहीके अपन साधना ला पूरन करना चाही। मुनि सब्द ले मौनी सब्द हा बने हावय। एखर सेती ए बरत मा कलेचुप मउन धारन करके अपन बरत ला पूरा करइया ला मुनि पद हा मिलथे। ए दिन गंगा-जमुना मा असनांद करना चाही। ए अमावसिया हा सम्मार के परगे ता अउ जादा बाढ़ जाथे। ए दिन धरती के कोनो कोन्टा…
Read Moreछेरछेरा के तिहार – लइका मन पारत गोहार
हमर भारत देश में पूजा पाठ अऊ दान के बहुत महत्व हे। दान करे बर जाति अऊ धरम नइ लागय। हमर भारतीय संसकिरती में हिन्दू, मुसलिम, सिख, ईसाई, जैन सबो धरम के आदमी मन दान धरम करथे अऊ पून कमाथे। हमर वेद पुरान अऊ सबो धरम के गरन्थ में दान के महिमा ल बताय गेहे। हमर छत्तीसगढ़ में भी अन्नदान करे के बहुत महत्व हे। इंहा के मनखे मन बड़ दयालु हे। कोनों आदमी ल भूखन मरन नइ देख सकय। एकरे सेती दूसर परदेस के मनखे मन घलो आके इंहा बस जथे। छत्तीसगढ़…
Read Moreतिल सकरायत
मकर संकरान्ति ला छत्तीसगढ़ मा तिल सकरायत तिहार के नाँव ले जाने अउ मनाय जाथे। अइसने एला तमिलनाडु मा पोंगल,आंध्रप्रदेश कर्नाटक मा संकरान्ति, पंजाब मा लोहिङ़ी अउ उत्तरप्रदेश मा खिचङ़ी परब के रुप मा मनाथे। सुरुज नरायन के मकर राशि मा जवई हा मकर संकरान्ति कहाथे। ए दिन सुरुज देव हा उत्तरायन हो जाथे। बेद-पुरान के हिसाब मा उत्तरायन ला देबी-देवतामन के दिन अउ दक्छिनायन ला रतिहा कहे जाथे। ए दिन हा इस्नान, दान, जप, तप अउ साधना-अनुस्ठान के अब्बङ़ भारी महत्तम होथे। तिल सकरायत के दिन सुरुज के एक राशि ले दुसर राशि मा होय परिवरतन…
Read Moreदान के महा परब छेरछेरा
ये संसार म भुइंया के भगवान के पूजा अगर होथे त वो देस हाबय भारत। जहां भुइंया ल महतारी अऊ किसान ल ओखर लईका कहे जाथे। ये संसार म अन्न के पूरती करईया अन्नदाता किसान हे। हमर छत्तीसगढ़ ल धान के कटोरा कहे जाथे। हमर सभ्यता, संसकिरीति म तिहार के बड़ महत्तम हाबय। हमर सभ्यता अऊ संसकिरीति म ये तिहार मन रचे बसे हावय। ये तिहार म दान के परब छेरछेरा घलो हावय। हमर ये छेरछेरा तिहार पुस पुन्नी के दिन मनाये जाथे। फसल ल खेत-खार ले डोहार के कोठार…
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