छत्तीसगढ़ म जनचेतना के उन्नायक संत गुरु घासीदास

संत परंपरा के मनखे मन जन-चेतना के बिकास म अपन योगदान दे के समाज ल एक नवा दिसा देथे। समाज में अइसे कतको बिसगति समा जाथे, जोन ह समाज ल आगू नइ बढ़न दे। धीरे-धीरे समाज म एक जड़ता आ जाथे। आम मनखे मन ये जड़ता ल अपन जीवन म अपना लेथे अउ रूढ़ता के कारण एला संस्कृति के हिस्सा मान बइठथे, परुं जोन मनखे मन भीतरी म आत्म-चेतना होथे, वो हा ये जड़ता ल टोरे के अपन बिचार समाज ल देथे। समाज ह कभू नवा बिचार ल सोझे नइ…

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ढेलवा डोंगरी

हमर गांव डाहर झलप के तीर म ढेलवा डोंगरी हे। एकर ले संबंधित भीम अउ हिरमिसी कैना (हिडम्बनी) के एक कथा हे। ये डोंगरी म ओ कैना के महल रिहीस अउ झूले बर बड़े जनिक ढेलवा रिहीस। पंडो मन के बनवास के समय घूमत घामत एक दिन भीम ह ओ डोंगरी म आगे। ढेलवा झूलत हिरमिसी कैना ओकर ऊपर मोहागे। भीम ल किहीस बड़ सुग्घर अउ बल्कहार दीखत हस। लेतो मोला बने ढेलवा झुला। भीम ह वो कैना ल ढेलवा झुलईस। झूलावत झुलावत उत्ती कोती ढेलवा ह जाय तब जोंक…

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छत्तीसगढ़ गौरव के रचियता पंडित शुकलाल पांडेय

 प्रो. अश्विनी केशरवानी भव्य ललाट, त्रिपुंड चंदन, सघन काली मूंछें और गांधी टोपी लगाये सांवले, ठिगने व्यक्तित्व के धनी पंडित शुकलाल पांडेय छत्‍तीसगढ़ के द्विवेदी युगीन साहित्यकारों में से एक थे.. और पंडित प्रहलाद दुबे, पंडित अनंतराम पांडेय, पंडित मेदिनीप्रसाद पांडेय, पंडित मालिकराम भोगहा, पंडित हीराराम त्रिपाठी, गोविंदसाव, पंडित पुरूषोत्‍तम प्रसाद पांडेय, वेदनाथ शर्मा, बटुकसिंह चौहान, पंडित लोचनप्रसाद पांडेय, काव्योपाध्याय हीरालाल, पंडित सुंदरलाल शर्मा, राजा चक्रधरसिंह, डॉ. बल्देवप्रसाद मिश्र और पंडित मुकुटधर पांडेय की श्रृंखला में एक पूर्ण साहित्यिक व्यक्ति थे। वे केवल एक व्यक्ति ही नहीं बल्कि एक…

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लॉकडाउन म का करत हें असम के छत्‍तीसगढ़ वंशी

लाकडाउन के बीच कई दिन के बाद असम म रहइया कुछ छत्तीसगढ़िया मनखे मन ले बातचीत होइस। पहली बात होइस बामनवाड़ी निवासी ललित साहू ले जेकर काली जन्मदिन रहिस। ललित के पूर्वज धमतरी तीर के जंवरतला नाम के गांव ले चाय बागान म काम करे बर असम गे रहिन जिहां अभी उंखर पांचवा पीढ़ी निवास करत हे। अभी हाल म ललित मन तीनो भाई अऊ ओखर पिता, सबो चिकित्सा के क्षेत्र म काम करत हें अऊ कोविड-19 के सेती सबो के अपन-अपन व्यस्तता हे। दुसर बात मोर होजाई निवासी डॉ.…

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कालजयी छत्‍तीसगढ़ी गीत : ‘अंगना में भारत माता के सोन के बिहनिया ले, चिरईया बोले’ के गायक प्रीतम साहू

एक दौर था जब छत्‍तीसगढ़ में रेडियो से यह गीत बजता था तो लोग झूम उठते थे और बरबस इस गीत को गुनगुनाने लगते थे। छत्‍तीसगढ़ी लोक सांस्‍कृतिक कार्यक्रमों के आरंभिक दौर में ददरिया, करमा और सुवा गीत जैसे पारंपरिक लोक छंदों के बीच अपनी भाषा में भारत वंदना गीत सुनकर आह्लादित होना छत्‍तीसगढि़यों के लिए गर्व की बात थी। इस लोकप्रिय और कालजयी गीत के गायक प्रीतम साहू बताते हैं कि वे पहले आर्केस्ट्रा में हिन्‍दी फिल्‍मी गीत गाते थे। उनकी आवाज से प्रभावित होकर सोनहा बिहान के स्‍वप्‍नदृष्‍टा…

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हमर देस राज म शिक्षक के महत्तम

कोनो भी देस के बिकास ह सिछक के हाथ म होथे काबर के वो ह रास्ट्र के निरमान करता होथे। वो ह देस के भबिस्य कहे जाने वाला लईकरन मन ल अपन हर गियान ल दे के पढ़ईया लईकरन मन ल ये काबिल बनाये के कोसिस करथे के वो ह देस के बिकास के खातिर कोनो भी छेत्र म सहयोगी बन सकय। हर मनखे के जीनगी म गुरू के बिसेस हमत्तम हावय। हमर देस राज म गुरू अउ सिस्य के परंपरा सनातन काल ले चले आवत हे। हर देस म…

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गणेश पूजा अउ राष्ट्र भक्ति

भारत के आजादी मा गणेश भगवान अइसे तो भगवान गणेश के पूजा आदिकाल से होवत आत हे।कोनो भी पूजा, तिहार बार के शुरुआत गणेश के पूजा ले होथय।सनातन अउ हिन्दू रीति रिवाज मा गणेश ला प्रथम पूज्य माने गय हे। गौरी गणेश के पूजा बिन कोनो पूजा ला सफल नइ माने जाय। हमर देश मा सबले जादा गणेश पूजा महाराष्ट्र प्रांत मा होथय। इहा हर घर,हर जाति धरम के मनखे गणेश मा आस्था राख के पूजा पाठ करथे। गणेश पूजा ला धार्मिक परब ले राष्ट्रीय परब बनाय के श्रेय हमर…

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राजागुरु बालकदास : छत्तीसगढ़ गवाही हे

भिंसरहा के बात आय चिरइ चुरगुन मन चोंहचीव चोंहचीव करे लगे रहिन…अँजोरी ह जउनी हाथ म मोखारी अउ लोटा ल धरे डेरी हाथ म चूँदी ल छुवत खजुवावत पउठे पउठा रेंगत जात हे धसर धसर।जाते जात ठोठक गे खड़ा हो के अंदाजथे त देखथे आघू डहर ले एक हाथ म डोल्ची अउ एक हाँथ म बोहे घघरा ल थाम्हे दू परानी मुहाचाही गोठियावत आवत रहँय…दसे हाथ बाँचे रहिस होही सतवंतिन दीदी के मुँह माथा झक गय,जोहरीन दीदी के का पूछबे मुँह ला मटका मटका के गोठियई राहय कउ घघरा म…

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तीजा – पोरा के तिहार

छत्तीसगढिया सब ले बढ़िया । ये कहावत ह सिरतोन मा सोला आना सहीं हे । इंहा के मनखे मन ह बहुत सीधा साधा अउ सरल विचार के हवे। हमेशा एक दूसर के सहयोग करथे अउ मिलजुल के रहिथे । कुछु भी तिहार बार होय इंहा के मनखे मन मिलजुल के एके संग मनाथे । छत्तीसगढ़ ह मुख्य रुप ले कृषि प्रधान राज्य हरे । इंहा के मनखे मन खेती किसानी के उपर जादा निर्भर हे । समय – समय मा किसान मन ह अपन खुशी ल जाहिर करे बर बहुत…

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धरसींवा के शिव मन्दिर

चरौदा, धरसींवा रायपुर में स्थित शिव मन्दिर के इतिहास के बारे आप अगर गाँव सियान मन ल पूछहू त झटकुन ऊँखर जुबान म पहिली नाम बाबू खाँ के आथे, हाँ ये उही बाबू खाँ आए जब 45 साल पहिली जब पूरा देश आजादी के प्रभात फेरी अऊ जश्न मनाए म डूबे रिहिस त बाबू खाँ अपन मुस्लिम परिवार समेत तहज़ीब के नवा इबारत गढ़े म व्यस्त रिहिस | रायपुर से 20 किमी दूर ग्राम चरोदा म तब बाबू खाँ सरपंच रिहिस अऊ गाँव वाले मन संग बहुत ही मिलनसार रिहिस…

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