सबके पार लगइया – किसन कन्हैया

कृष्ण जन्माष्टमी ल पूरा देस में धूमधाम से अऊ बहुत उल्लास के साथ मनाये जाथे।काबर इही दिन भगवान सिरी किसन कन्हैया के जनम होय रिहिसे । जन्माष्टमी ल भारत भर में ही नही बल्कि बिदेस में बसे भारतीय मन भी ऊंहा धूमधाम से मनाथे।जन जन के आस्था अऊ विश्वास के प्रतीक भगवान सिरी कृष्ण ह स्वयं ए दिन पृथ्वी में अवतरित होय रिहिसे । एकरे पाय कृष्ण जन्माष्टमी मनाय जाथे । अवतार के दिन – भादो के महिना अंधियारी पाख में अष्टमी के दिन आधारात के भगवान सिरी कृष्ण ह…

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तिरंगा कब ऊंच होही ?

रिगबिग सिगबिग चारों मुड़ा दिया कस बरत रहय झालर लट्टू। झिमिर झिमिर गिरत पानी बरसात म, किंजरे बर निकले संकर भगवान पूछत रहय – काये होवथे पारबती। पारवती मइया किथे – तहूं कहींच नी जानस भगवान, पनदरा अगस्त के भारत अजाद होये रिहीस, ओकरे खुसी म इहां के जनता मन अपन झंडा ल फहराये के बेवस्था करत हे, मिठई बनावत हें, नाचत गावत हें। भगवान किथे – खाये पीये नाचे कूदे के बात समझ आगे पारबती, फेर झंडा काबर फहराथे, मे समझेंव निही य…। मइया किथे – दुनिया ल देखाथें…

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माटी के मया सियान मन के सीख

सियान मन के सीख ला माने मा ही भलाई हे। संगवारी हो तइहा के सियान मन कहय-बेटा! माटी के अबड़ मया़ होथे रे। फेर हमन उॅखर बात ला बने ढंग ले समझ नई पाएन। संगवारी हो जब हमन छोटे-छोटे रहेन तब हमन ला प्राथमिक विद्यालय के गुरूजी बहिन जी मन परीक्षा होय के बाद पुट्ठा के घर अउ नई तो माटी के खिलौना बना के स्कुल में जमा करे बर कहय। जम्मों संगवारी मिल के माटी के रिकिम-रिकिम के खिलौना अउ साग जइसे कि भॉटा, पताल, मिरचा, फल में सुन्दर…

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लोग लइका बर उपास – कमरछट के तिहार

छत्तीसगढ़ ल धान के कटोरा कहे जाथे । काबर इंहा धान के फसल जादा होथे ।इंहा के जादातर मनखे मन ह खेती के काम करथे । किसान मन ह अपन खेत में हरियर हरियर धान पान ल देख के हरेली तिहार मनाथे । हरेली तिहार के बाद से छत्तीसगढ़ में बहुत अकन तिहार मनाये जाथे । ओमे से एक परमुख तिहार कमरछठ भी हरे । कमरछठ ल महिला मन अपन लोग लइका के सुख सांति अऊ समरिदधि के खातिर मनाथे । भादो महिना के अंधियारी पांख के छठ के दिन कमरछठ मनाय…

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मया-दुलार:राखी तिहार

मया, दया अउ दुलार के चिन्हार राखी तिहार। राखी तिहार ला रक्छा बंधन के नाँव ले हमर देश भर मा सावन पुन्नी के दिन मनाय जाथे। राखी तिहार हा भाई-बहिनी के तिहार माने जाथे। ए दिन हर बहिनी मन हा अपन भाई मन के कलई मा राखी बाँध के ओखर लम्बा अवरदा के असीस माँगथे। एखर बदला मा भाई मन हा अपन बहिनी के हमेसा रक्छा करे के वचन देथे। रक्छा के बचन के संगे-संग अपन-अपन हिसाब ले बहिनी मन ला उपहार दे के तिहार राखी तिहार हा हरय। ए…

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भाई -बहिनी के तिहार – राखी

(राखी तिहार विशेष) भाई बहिनी के सबले पवित्र तिहार हरे राखी ह। बचपन में भाई बहिनी मन कतको लड़ई झगरा होत राहय, फेर राखी के दिन ओकर मन के प्रेम ह देखे बर मिलथे । राखी तिहार के अगोरा भाई बहिनी दूनो झन मन करत रहिथे। कब मनाथे – राखी के तिहार ल सावन महिना के पूरनिमा के दिन मनाय जाथे ।ए दिन भाई बहिनी मन बिहनिया ले नहा धो के तईयार हो जाथे ।भगवान के भी पूजा पाठ कर ले थे ओकर बाद बहिनी मन ह रोली, अकछत, कुमकुम…

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बादर गरजत हे

[responsivevoice_button voice=”Hindi Female” buttontext=”ये रचना ला सुनव”] सावन भादो के झड़ी में, बादर ह गरजत हे । चमकत हे बिजली, रहि रहि के बरसत हे । डबरा डबरी भरे हाबे , तरिया ह छलकत हे । बड़ पूरा हे नदियाँ ह जी , डोंगा ह मलकत हे । चारों कोती खेत खार , हरियर हरियर दिखत हे। लहलहावत हे धान पान, खातू माटी छींचत हे । सब के मन झूमत हाबे, कोयली गाना गावत हे। आवत हाबे राखी तिहार, भाई ल सोरियावत हे। घेरी बेरी बहिनी मन , सुरता ल…

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प्रेमचंद के काहनी अऊ छत्तीसगढ़

[responsivevoice_button voice=”Hindi Female” buttontext=”ये रचना ला सुनव”] प्रेमचंद ल छत्तीसगढ़ के लईका सियान सबो जानथे उखर काहनी इस्कूल अऊ कालेज म पढ़ाय जाथे, प्रेमचंद ल हिन्दी काहनी के सम्राट कहे जाथे काबर कि वो हा 300 ले आगर काहनी लिखे हावय, ओला उपन्यास सम्राट घलाव कहिथे। सेवासदन, प्रेमाश्रम, रंगभूमि, कर्मभूमि, गोदान, गबन, कफन, अईसने अड़बड़ अकन उपन्यास लिखे हावय। उही किसम ले बूढ़ीकाकी, ईदगाह, पूस की रात, नशा, गुल्ली डंडा, नमक का दरोगा, आत्माराम, गृहदाह, जूलुस, भाड़े का टट्टू, सत्याग्रह, सवा सेर गेहूं प्रेरणा, बाबा जी भोग, पशु से मनुष्य,…

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समे समे के गोठ ये

[responsivevoice_button voice=”Hindi Female” buttontext=”ये रचना ला सुनव”] सांच ल आंच काय हे जेन मेर गलत दिखते तेला बोले बर पड़ही, जेन ह हमर छतीसगढ़ के माटी के अपमान करही, जेन ह ईहाँ के मया ल लात मारही अऊ जेन मनखे ह ईहा के जर जमीन जंगल के सत्यानाश करे बर उमड़े हे तेने ह हमर बईरी ये। वोहा कभू हमर हितवा नई हो सकय, फेर सोचथव आज के समे म सब अपनेच सुवारथ में डूबे हाबय, कमे देखे अऊ सुने बर मिलथे छतीसगढ़ भुईयां के पीरा ल समझईया । अभिच…

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सावन अऊ शिव

सावन महिना में शिव , सावन अऊ सोमवार के विशेष महत्व हे । एकरे पाय छोटे से लेकर बडे़ तक सावन सोमवारी ल मनाथे । सावन महिना के सोमवार के पूजा अऊ उपवास करे से भगवान शिव ह जल्दी प्रसन्न होथे । ये व्रत ह बहुत ही शुभदायी अऊ फलदायी होथे । सावन मास में शिव के पूजा करे से 16 सोमवार व्रत के समान फल मिलथे । भगवान शंकर के विधि विधान से पूजा करे से घर में सब परकार के सुख शांति अऊ लछमी के प्राप्ति होथे ।…

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