भगवान शंकर के अनेक नाव

सावन आ गे संगवारी हो, ये मौसम धरती बर जरूरी हे । किसान मन बर जरूरी हे ।ये पूरा महिना हर भगवान शंकर के भी मन पसंद हे । “देवों के देव”महादेव के पूजा अराधना के बेरा हवे,हमार कतको संगी मन कांवर बोह के जल अरपन करे बर जाथे रेंगत रेंगत, अउ कतेक बहिनी मन उपास घलाव रहिथें। भगवान शंकर ला बेल पान आंक के फूल, धतूरा के फूल, फल, कच्चा दूध, जल, गंगा जल अरपन करे जाथे। ऐ सब जिनिस हर भगवान शंकर के मनपसंद हवे। भगवान के बहुत…

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भगवान शंकर ला का का अर्पन करे जाथे

भगवान शंकर ला सबले अधिक भांग हर भाथे..,भांग अउ गांजा भगवान ला चढाऐ जाथे । कहे जाथे ना कि लोहा ला लोहा हर काटथे । ,जहर ला जहर काटथे..।.विषपान तो कर लिन संसार ला बचाये बर., फेर ओकर ताप हर तो रहबे करही ।ओ ताप ला थिराही कहिके..भांग, धतुरा,अउ आंक ला चढाथे । फेर शीतलता मिलही कहि के अनेक चीज चघाथें भक्त मन , जइसे..दूध,दही,शहद,गन्ना के रस,जल ऐ सब हर शीतल करथे । संसार ला गंगा के दर्शन कराईन ए पाय के गंगा जल चघाय जाथे…! फेर अउ जिनिस हवे…

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हमर हरेली तिहार

[responsivevoice_button voice=”Hindi Female” buttontext=”ये रचना ला सुनव”] हमर हिन्दू धरम मा बच्छर भर के पबरित महीना सावन ला माने गे हे। भक्ती, अराधना, आस्था अउ बिसवास के पावन महीना सावन हा कहाथे। असाढ़ महीना हा जेठ के जउँहर जीवलेवा गरमी ले अधमरा अउ अल्लर परे जम्मों जीव जगत ला हबेड़ के उठाथे। सावन महीना धूमधाम ले आके सबो परानी मन के तन मन के पियास ला बुझाथे। सावन महीना सुग्घर रिमझिम फुहार ले खुशी के बिरवा ला पोसथे। चारो खूँट धरती दाई के कोरा हा हरियर-हरियर भर-भर दिखे ला धर…

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कलाकार के कला के नई रहिगे हे मोल

[responsivevoice_button voice=”Hindi Female” buttontext=”ये रचना ला सुनव”] अभी के बेरा म छत्तीसगढ़ म कला के कमी नई हे अउ कलाकार मन के घलोक कमी नई हे, फेर कला के मान करईया मन के कमी होंगे हे। अब सब झन कला या कलाकार ल पइसा म तौलथे, ओखर जीवन भर के महेनत सम्मान के कोई अहेमियत नई समझे। छत्तीसगढ़ के भासा ल सविधान म सामिल नई करे गे हे तेखर कारन ईहा के कलाकार जेन मन अपन महतारी भाखा म अपन कला ला बगरावत हे तेखरो कमे पुछैया हे,तेखर सेती अतका…

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शिवशंकर के सावन सम्मार

[responsivevoice_button voice=”Hindi Female” buttontext=”ये रचना ला सुनव”] हमर हिन्दू पंचांग के दिन तिथी के नामकरन हा कोनो ना कोनो देवी-देवता मन ले जुड़े हावय। सब्बो सातो दिन के नाँव के कथा हा अलग-अलग हावय। सनातन धरम मा जम्मों तिथी के नाँव हा देवता मन ले जुड़े मिलथे। सातो दिन पहिली मा सबले पहिली दिन इतवार के संबंध भगवान सूरुज नरायन ले माने जाथे। तीसरइया दिन मंगलवार के संबंध हा संकट मोचन हनुमान ले माने जाथे। कोनो कोनो जघा मा कोनो कोनो मन हा ए दिन गनेस देवता के दिन मानथे।…

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गुरू-पून्नी

[responsivevoice_button voice=”Hindi Female” buttontext=”ये रचना ला सुनव”] गुरू के महत्तम बर संत मन के कहना हे के यदि बरम्हा-बिस्नु-महेस ह ककरो ले घुस्सा होगे हे त ओकर ले ये दुनिया म एक-अकेल्ला गुरू ही हे जउन ह तिरदेव के घुस्सा ले बचा सकत हे, फेर यदि गुरू ककरो बर घुस्सा होगे त ये दुनियां म अइसन कोन्हों नइहे जउन ह गुरू के घुस्सा ले बचा सकय, तिरदेव मन घलो नइ बचा सकय| गुरू-पुन्नी के सुघ्घर पबरीत बेरा म आवव गुरू काला कहिथे अउ गुरू के परकार के होथे, ओकर बारे…

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अंगाकर रोटी कइसे चुरही

[responsivevoice_button voice=”Hindi Female” buttontext=”ये रचना ला सुनव”] तीन बच्छर पूरगे पूनाराम अपन बेटी मोनिका ल पुरखौती गांव नई लेगे हावय। गरमी के छुट्टी मा जाबो कहिके मनाय रहिस।छुट्टी सुनाय पाछू ऐसो मोनिका जिदेच कर दिस। बेटी के मया अउ जिद के आगू थोरको नइ बनिस। शनिचर के संझा बेरा जाय के मुहुरत बनिस। पूनाराम ल भेलई मा रहिते सहरी जिनगी कभू कभू गरु लागथे। कतको घांव गांव आयबर सोचथे फेर आ नइ सकय। बेटी के जिद ह एक मउका अऊ दे हावय।गांव जाय के पहिली दिन ओला नानपन मा गरमी…

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ब्लाग लिखईया मनखे मन ला दे-बर परही GST

नवा जी.एस.टी. कानून ह लागू होए म 3 दिन बांचे हे, 1 जुलाइ ले जी.एस.टी. होवत हे लागू, जी.एस.टी. के बारे में विस्तार ले कतको गजट, समाचार, पतरिका म जानकारी मिल जाही। एखर अनुसार हमन ला बुनियादी पदारथ मा 0%, 5%, 12%, 18% and 28% (+अउ लक्जरी समान मा सेस अलग ले) लगही। अईसे तो सियान मन विस्तार ले बताहीं के कामा कतका-कतका जी.एस.टी. लगही, कुछु ह मंहगा होही त कुछु ह सस्ता, मै हर तो अतके बताए बर लिखत हौं भई के अब हम ब्लागर मन के बिरादरी बर…

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पर भरोसा किसानी : बेरा के गोठ

[responsivevoice_button voice=”Hindi Female” buttontext=”ये रचना ला सुनव”] रमेसर अपन घर के दुवारी मा मुड़ धर के चंवरा मा बैइठे हे उही बेरा बड़े गुरुजी अपन फटफटी मा इस्कूल डाहर जावत ओला देख परीस।खड़ा होके पूछिस का होगे रमेसर? कइसे मुड़धर के बइठे हस ? रमेसर पलगी करत कहिस- काला काहंव गुरुजी, बइला के सिंग बइला बर बोझा। तुही मन सुखी हव।गुरजी कहिस-तब कहीं ल बताबे कि अइसने रोते रबे, बोझा ल बांटबे त हरु होही।बिमारी के दवाबूटी करे जाथे। रमेसर हाथ मा मुड़ी धरे कहे लगीस- किसानी के दिन बादर…

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कबीर जयंती : जाति जुलाहा नाम कबीरा बनि बनि फिरै उदासी

[responsivevoice_button voice=”Hindi Female” buttontext=”ये खबर ला सुनव”] परमसंत कबीर दास जी अईसन कलम के बीर हरे जे ह अपन समय के समाज म चलत धरम अउ जाति के भेदभाव, कुरीति, ऊंचनीच,पाखंड, छूवाछूत अउ आडंबर के बिरोध म अपन अवाज ल बुलंद करिस अउ समाज म समता लाय खातिर अपन पूरा जीवन ल लगा दीस । ओ समय म लोग-बाग मन एक तरफ तो मुस्लिम राजा मन के अत्याचार म त्रस्त राहय त दूसर तरफ हिंदू पंडित मन के कर्मकांड, पाखंड अउ छुवाछुत ले। वईसे तो कबीर दास जी ह पढ़े-लिखे…

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