हमर छत्तीसगढ़ म किसम किसम के खाई खजाना भरे हे। तस्मई, बरा, भजिया, चिवरा, उखरा, सोंहारी, खुरमी, ठेठरी, अउ नई जानन कतका कन बियंजन हावे। फेर किसान मन अउ छत्तीसगढ़ के मितान मन ल बोरे बासी ह जादा मिठाथे। मोर छत्तीसगढ़ के संगवारीमन ल एक कति काजू,बदाम, पिसता, अखरोट, इटली, दोसा दे देवव अउ दूसर कति एक बटकी म बोरे बासी दे देवव ओमन बोरे बासी ल खाही। काबर, बोरे बासी म बिटामिन के खजाना हे। जेहर बोरे बासी खाथे ओला बिटामिन के टानिक बूढ़ात ले लेहे बर नई परय।…
Read MoreCategory: गोठ बात
लोक सुराज के परचार म दिखिस छत्तीसगढ़ी भासा
छत्तीसगढ़ी ल सिरिफ प्रचार-प्रसार के भाखा मानथे सरकार, काम-काज अउ पढ़ई-लिखई के नहीं! लोक सुराज के आरो ल छत्तीसगढ़ी भासा म सून अउ पढ़के मन गदगद होगे। चउक-चउक म बड़े-बड़े पोस्टर अउ पोस्टर म छत्तीसगढ़ी के हाना। रेडियो अउ टीवी म छत्तीसगढ़ी गीत-संगीत। छत्तीसगढ़िया बर सबले बड़े खुसी के बात ये रहिसे के सरकार के योजना के आरो छत्तीसगढ़ी म दे जावत रिहिस हावय। फेर हमला खुसी ले जादा दुख होइसे के सरकार ह छत्तीसगढ़ी ल काम- काज अउ पढ़ई-लिखई के भासा बनाये के बजाय प्रचार-प्रसार के भासा समझत हाबे।…
Read Moreहरियर तरकारी
बारा महीना के बारा ठन साग-भाजी हमर भुईंया के माटी ह सोन माटी हाबय, कुछु उपजा लेवा उपज जाथे, हमर धरती म के कोरा ह हमन ला हरियर-हरियर बनसपति ले नवांजथे, हम जीब जोहर पइदा करे हाबय, तेकर आतमा के तीरपती बर, जीभ के सुवाद बर अव सरीर के पोसन बर आनी-बानी के अन्न अव साग-सालन पइदा करे हाबय, बारा महीना के कई बारा ठन परकार के साग-भाजी अदल-बदल के बनावा तभो ले मन ह नई जुड़ावय, अव जम्मो ले बिबध परकार के बयनजन बनथे, मय अभी जाड़ महीना के…
Read Moreसियान मन के सीख : चोला माटी के हे राम
सियान मन के सीख ला माने मा ही भलाई हे। तइहा के सियान मन कहय-बेटा! चोला माटी के तो आय रे। फेर संगवारी हो हमन उॅखर बात ला बने ढंग ले समझ नइ पाएन। संगवारी हो जब.जब अक्ति के तिहार आथे अउ माटी के पुतरा.पुतरी मन बजार मा दिखथे तब सियान मन के गोठ.बात हर सुरता आए लगथे। का सिरतोन हमर चोला हर ए माटी के पुतरा.पुतरी कस हरै ए बात हर अडबड सोचे के आय। संगवारी हो अक्ति के दिन नान.नान लइकन मन माटी के पुतरा.पुतरी के कतका सुघ्घर…
Read Moreनवा अंजोरी गे काय रे…
छत्तीसगढ़ राज बने चाैदह साल होगे। साल 2015 के बिहान हो गे हे! अब्बड़ होथे 15 साल फेर का छत्तीसगढ़ अऊ छत्तीसगढ़ियां मन बर नवा अंजोरी गे हे? सोचे बर पड़त हे। का बड़े-बड़े भवन, डामर के सड़क अऊ विकास के नाम धूल धुआं छोड़त कारखाना, यही विकास के पैमाना ये? अपन घर, अपन सहर हमन आज अनजान होगे हन। कोनो पहिचान नई आये, नवा-नवा चेहरा, नवा लोग एइसे लगथे के हमन दुसर सहर, राज के हन। छत्तीसगढ़ियां परमपरा, संस्कृति नंदात हे। नाचा-गम्मत, रहस, ददरिया, करमा, सुआ के जगह डीजे,…
Read Moreअसल जिनगी म तको ‘नायक’ हाबे मनु फिल्म मेकर
छत्तीसगढ़ी भासा म बने एतिहासिक फिलिम ‘कहि देबे संदेश’ ह सन् 1965 म बने हाबे। ओ बखत स्वेत/स्याम के जमाना रिहिसे, मनोरंजन के माध्यम सिमित रिहिस, माने घरों-घर टीवी नइ पहुंचे रिहिस। ओ समे छत्तीसगढ़ी भासा म फिलिम के सिरजन ह सिरतोन म छत्तीसगढ़ के कला अउ छत्तीसगढ़ी भाखा के इतिहास ल पोट्ठ करथे। रायपुर जिला के खरोरा तिर के गांव कुर्रा (बंगोली) के कुर्मी परिवार म 1937 म जनमे मनु नायक ह अपन कारज के बल म समाज, गांव अउ राज बर सिरतोन म एक नायक बनके उभरिस। मनु…
Read Moreआगू दुख सहिले
सियान मन के सीख ला माने मा ही भलाई हे। तइहा के सियान मन कहय-बेटा! आगू दुख सहिले रे! पाछू सुख करबे। फेर संगवारी हो हमन उखर बात ला नइ मानन। जम्मो मनखे मन पहिली सुख पाए के मन रखथे। उमन के सोच अइसे रहिथे के बाद मा दुख ला तो भोगने हावय एखर सेती पहिली सुख पा लेथन। संगवारी हो सुख अउ दुख के सीधा संबंध हावै बने अउ बिगडे करम से। गीता मा भगवान हर कहे हावय के मैं हर ए दुनिया मा कोनो ला सुख अउ दुख…
Read Moreसियान मन के सीख- चुप बरोबर सुख नहीं
सियान मन के सीख ला माने म ही भलाई हे। संगवारी हो तइहा के सियान मन कहय-बेटा! चुप बरोबर सुख नही रे। फेर संगवारी हो हमन उॅखर बात ला बने ढंग ले समझ नइ पाएन। आज के जमाना म मनखे मन बोले बर अतका ललाइत रहिथे के उनला पते नइ चलय के उमन बोलत-बोलत का बोल डारिन। जउन ला देखौ तउन गरजे बर तियार रहिथे काबर के उनला ए लगथे के मय बोल-बोल के सारी दुनिया ला जीत लेहूॅ। मोरे चलती रही अउ मोर आगू म फेर कोनो के बोले…
Read Moreगांव होवय के देश सबो के आय
मनखे जनम जात एक ठन सामाजिक प्राणी आवय । ऐखर गुजारा चार झन के बीचे मा हो सकथे । एक्केला मा दूये परकार के मनखे रहि सकथे एक तन मन ले सच्चा तपस्वी अउ दूसर मा बइहा भूतहा जेखर मानसिक संतुलन डोल गे हे । सामाजिक प्राणी के सबले छोटे इकाई घर परिवार होथे, जिहां जम्मोझन जुर मिल के एक दूसर के तन मन ले संग देथें अपने स्वार्थ भर ला नई देखंय कहू कोनो एको झन अपन स्वार्थ ला अपन अहम ला जादा महत्व दे लगिन ता ओ परिवार…
Read Moreराजभासा छत्तीसगढ़ी के फैइलाव बर कोसिस
बर अऊ पीपर के छोटकन बीजा म बड़का बर, अऊ पीपर रूख तियार हाे जाथे वइसने बोलियों हर आय। बोली एक बेरा म छोटकन जघा म बोले जाथे अऊ बोलईया मइनखे मन के संख्या ह बाढ़त चले जाथे, अऊ धीरे-धीरे भासा के रूप ले लेथे। हिन्दी के महतारी अपभ्रंस हर आय वइसनहे छत्तीसगढ़ी के महतारी अर्द्ध मागधी अपभ्रंस आय जेला बाद म पूरवी हिंदी घलो कहे गईस। छत्तीसगढ़ी के जनम 1000 ई. म अर्द्धमागधी अपभ्रंस ले हाेइस तब ले छत्तीसगढ़ी बोले जावत हावय। अवधी अऊ बघेली ह छत्तीसगढ़ी के बहिनी…
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