सोनाखान के सोन-शहीद बीर नारायण सिंह

शहीद बीर नारायण सिंह ह छत्तीसगढ़ के पहिली शहीद आय। 10 दिसंबर सन् 1857 म अतियाचारी अंग्रेज मन बीर नारायण सिंह ल फांसी दे दे रिहिन। ओखर अपराध अतके रिहिस के सन् 1856 के भयंकर दुकाल के समे वो ह अपन जमीन्दारी के भूख से तड़फत जनता बर एक झन बैपारी के अनाज गोदाम के तारा टोर के उंहा भराय अनाज ल जनता म बांट दे रिहिस। अतके न हि ये बात के जानकारी लगिहांत वो समै के रइपुर के डिप्टी कमिश्नर ल घलो पठो दे रिहिस के ये काम…

Read More

जादू के खेला

जादू के खेला अब्बड़ परसिध्द है। का लइका, का सियान, का बुढ़वा का जवान अउ का मइलोगन। सब्बो मन ला जादू देखे के बड़ सउक होथे। आजकल तो कोनो जादू के खेला देखे ला नइ मिलय। अइसे लागथ हे के ये खेला हा नंदावत जात हे। जादूगर हा जब अपन खेला ला जनता जनार्दन के आगू पेस करथे, तब ओकर लीला के बरनन कइसन करे जाय। ओकर करतब ला देख-देख के देखइया मन चारों भांवर चित हो जाथे अउ घेरी-बेरी ताली उपर ताली बाजत रहिथे। आगू के जमाना मा ये…

Read More

वाह रे मनखे के मन =2=

मन माछी उड़ी उड़ी खोजे घाव राजा जइसे खोजे दांव सब काट डरे धरम रुखुवा कहाँ ले पाबे मया के छांव न तिरथ करे न गए मंदिर दूनो गोड़ संचरगे हांथी पांव पर ल रोवत देख हंसे मनखे चिन्ह चिन्ह करे नीयाव नजर गड़े कोटना जूठा बइठ बरेंडी करे काँव काँव हपटे गिरे ल उठाये नहीँ करे उदीम काला गिरांव तोर चाल बड़ा तिर्छन्डि रे फेंके पासा शकुनी के दांव रचे उदिम आनी बानी “बादल”सरबस कइसे खांव। –चोवा राम वर्मा बादल

Read More

स्वच्छ भारत के मुनादी

स्वच्छ भारत के मुनादी २ अक्टूबर के होईस अउ ‘स्वच्छ भारत’ के सपना ल पूरा करे बर सब सफाई करे म जुटगें। ‘जुटगें’ शब्द ह सही हावय काबर के ये दिन अइसना रहिस हे के प्रधानमंत्री ले लेके एक सामान्य मनखे तक सफाई के काम करिन। ‘भारत रत्न’ सचिन तेंदुलकर, अनिल अम्बानी अउ सोनी सब चैनल के ‘तारक मेहता’ धारावाहिक मन ये अभियान म जुरगें। देश के जम्मो मनखे मन एक दिन सफाई करिन। फेर ‘प्रधानमंत्री’ के ‘स्वच्छ भारत’ के मुनादी होते रहिस अउ ये काम अभी तक चलत हावय।…

Read More

छत्तीसगढ़ ला जनम दिन के बधई

अपन चुनर म जड़ एक नवा सितारा ले। अउ बछर भर मन भरके तैं इतरा ले।। कतको ऑंखी देख तोला अइसने फूटत हे। बचके रहिबे आतंकी अबके खतरा ले।। नवा नेवरिया के संग सुरू म नीक लागथे। हो घसेलहा गिनहा बने पसरा बगरा ले।। बचपने म पग पग म होवत हे धमाका।। कइसे निपटबो कोन जनी उमर सतरा ले।। बाहिरी बइरी संग लड़त मारत बनथे। उबाए परत हे अपने लइका अब थपरा ,ले।। मोर सोन चिरइया उड़ तैं सुछंद अगास। धान कोठी के ले दाना अउ जग म बगरा ले।।…

Read More

नान्हे कहिनी : अच्छा दिन आगे

‘हलो! हलो!! ….. नेता जी, राम राम! मय समे बोलत हंव. हमर त अच्छा दिन आगे नेता जी, नाली साफ करत हन!’ सुन के नेता जी तम तमा के किहीस- ‘तोर आगू के नाली ल तेंह साफ नई करबे त काय मंय करहूं रे? नाली म कचरा तुमन डारत हव त तुही मन साफ करव. अउ सुन रे समें…’ समें ह नेता जी के बात ला काट के फोन ल अंजोरी ला देवत कहिस- ‘येदे अंजोरी घला बोलहूं कहत हे नेता जी’ ‘राम राम नेता जी’ अंजोरी बोले लागिस. ‘..…

Read More

कविता : जोंधरा

भुईया वाले रे होगे बसुन्दरा । परोसी झोलत हावय जोंधरा ।। लोटा धर आईन मीठ-मीठ गोठियाईन हमरे पीड़हा पानी हमरे ला खाईन कर दीन पतरी मा भोंगरा । घर गय दुवार गय, गय रे खेती खार हमन बनिहार होगेन, उन सेठ साहूकार बांचीस नहीं रे हमर चेंदरा । सुते झन राहव रे अब त जागव चलव संगी जुरमिल हक ला मांगव खेदव रे तपत हॉंवय हुड़का बेंदरा । -राजकमल सिंह राजपूत दर्री – थान खम्हरिया मो. 9981311462

Read More

माटी पुत्र या माटी के पुतला?

हमर इहां कोनो भी मनखे ल मूल निवासी के रूप म चिन्हारी कराए खातिर एक सहज शब्द के उपयोग करे जाथे- ‘माटी पुत्र” खास कर के राजनीति म। चाहे कोनो पार्टी के मनखे होय, कोनो पद म बइठे नेता होय सबके एके चिन्हारी- ‘माटी पुत्र”। फेर मोला लगथे के ‘माटी पुत्र” कहाए के अधिकार हर कोई ल नइ मिलना चाही, भलुक वोकर ‘माटी” खातिर ‘मया” अउ वोकरो ले बढ़ के माटी के पहचान जेला हमन भाखा, संस्कृति या अस्मिता के रूप म चिन्हारी करथन, एमा वोकर कतका अकन योगदान हे,…

Read More

घुरवा के दिन घलो बहुरथे‬

दू तीन दिन होगे बहिनी ,बहिरी वाली ह नई आवत हे का ?बहिरी ह खियागे हे ,नवा बहिरी लेतेव।,तीहार ह घलो नजदीक हे। वा ! कहाँ ले बहिरी वाली आही। नई जानस का परंदिन बजार में अड़बड़ ,बहिरी बेचाइस,बहिरी के शार्टेज होगे रहीस ,ओखर डिमांड भारी बाड़गे रहीस। ब्लेक में घलो खोजे नई मिलत रहिस हे। हमर प्रधानमंत्री के प्रताप ले बहरी के भाग जाग गे हे।ओखर पांखी आगे हे। घर के कोनो कोंटा में लुकाय कलेचुप रहय ,तेन बहरी संग फोटू खिचीय बर होड़ मचे हे ,का मंत्री, विधायक,…

Read More

श्रीशमि गणेश मंदिर नवागढ

बेमेतरा जिला के नगर नवागढ के हिरदय स्थल मा भगवान गणेश के एक ठन अब्बड़ जून्ना मंदिर हे एइसे माने जाथे के ये मंदिर के निर्माण इहां के राजा रहिस श्री नरवर शाह खुसरो हा संवत 646 मा तांत्रिक तरीका ले करईस । 6 फूट के एके ठन पथरा मा भगवान गणेश के पदमासन मुद्रा उकेरे गे हे । मंदिर के तीरे मा तब ले अब तक एक ठन शमी के पेड़ हवय, जेखर सेती ऐला ‘श्री शमी गणेश‘ के नाम ले जाने जाथे । गणेश के मंदिर अऊ ओखर…

Read More