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गोठ बात

छत्‍तीसगढी गोठ बात : जंवरा-भंवरा

एतवारी बजार के दिन । जाने चिन्हें गंवई के मोर संगवारी सिदार जी असड़िहा घाम म किचकिचात पसीना, म लरबटाये, हकहकात, सायकिल ले उतर के, कोलकी के पाखा म साइकिल ल ओधा के, हमर घर बिहनिया नवबजिहा आइन । कथें मोला- “हजी, चला बजार जाबो । थोड़कन हाट कर दिहा।” जाय के मन तो एकरच […]

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छत्‍तीसगढी गोठ बात : जंवरा-भंवरा

एतवारी बजार के दिन । जाने चिन्हें गंवई के मोर संगवारी सिदार जी असड़िहा घाम म किचकिचात पसीना, म लरबटाये, हकहकात, सायकिल ले उतर के, कोलकी के पाखा म साइकिल ल ओधा के, हमर घर बिहनिया नवबजिहा आइन । कथें मोला- “हजी, चला बजार जाबो । थोड़कन हाट कर दिहा।” जाय के मन तो एकरच […]

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कइसे होही छत्तीसगढ़िहा सबले बढ़िहा?

    ”सतरूहन या सतरोहन नाव त इसकूल म गुरुजी ह सुधार के शत्रुघन या शत्रुहन लिख देथे। अउ एक ठन छत्तीसगढ़ी नाव के राम नाम सत्त कर देथे। आज तक कोनो अइसना नाव लिखइया मनखे छत्तीसगढ़ म नई हे। भावना के छोड़ कोनो दूसर बात नो हे।”   छत्तीसगढिहा ल भाखा के रूप म […]

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छत्तीसगढ़ी भाषा साहित्य अउ देशबन्धु

अभी-अभी जुलाई के देशबन्धु अपन स्वर्ण जयंती मनइस हावय। रायपुर के निरंजन धरमशाला म बहुत बडे आयोजन होईस। हमर मुख्य मंत्री डॉ. रमन सिंह अवइया पचास साल के बाद काय होही एखर ऊपर व्याख्यान दीस। व्याख्यान बहुत बढ़िया रहिस हे। छग के नहीं विश्व के बात होईस जब पूरा विश्व एक हो जही। बहुत अच्छा […]

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लहरागे छत्तीसगढ़ी के परचम

आखिर लहरागे छत्तीसगढ़ी के परचम। छत्तीसगढ़ी भासा ल राजभासा के रूप म आखिरी मुहर लगाय बर बाकी हे। अऊ विदेस म परचम लहरागे। वाह! वाह! हमार भाग! छत्तीसगढ़ी भासा के भाग खुलगे अऊ एखर बढ़ती बेरा आगे। कोनों नइ रोक सकय एखर उन्नति के दुवार ल। हिन्दी के छोटे बहिनी, अऊ मगही मैथिली के सहोदरी […]

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नंदावत पुतरा-पुतरी – सुधा वर्मा

अक्ती (अक्षय तृतीया) बैसाख महिना के तीज ल कहिथें, तीज अंजोरी पाख के होथे। ये दिन ल अब्बड़ पवित्र माने गे हे। अक्षय तृतीय के कहानी सुनव: एक राजा के सन्तान नई रहिस हे। रानी बहुत उदास राहय। रानी ह कखरो घर भी बिहाव होवय त एक झांपी समान भेजय। एक दिन के भात रानी […]

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कहिनी म नारी पात्र के सीमा रेखा – सुधा वर्मा

छत्तीसगढ़ी कहानी म नारी के रूप काय होना चाही। कहानी के नायिका, छत्तीसगढ़ के नारी के आदर्श होना चाही या प्रतिनिधि होना चाही? ऐखर मतलब होईस के घर, परिवार बर बलि चढ़गे या फेर शराबबंदी करवा के एक नेता के रूप म नाव कमा लीस। जेन नारी ह अपन गांव म सबके मदद करीस, शराबी […]

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वर्तमान ह सच आय – सुधा वर्मा

आज के समय म वर्तमान म जियइया मनखे कमती देखे बर मिलथे, सब बड़े-बड़े सपना ले के चलत हावंय अउ वो सपना म अपन वर्तमान ल खतम करत हावंय। कई झन लइका मन डॉक्टर इन्जिनियर बने के चक्कर म बारवीं के रिजल्ट ल खराब कर देथें अउ ड्राप ले के दू-तीन साल तक परीक्छा देतेच्च […]

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हमन कहां जात हन – सुधा वर्मा

रामकुमार साहू के कविता संग्रह के भूमिका लिखत रहेंव त ओमा एक लेख ”तईहा के ला बइहा लेगे” ल पढ़त-पढ़त सोचेंव के ये लेख के जम्मों बात ल मैं ह अपन मड़ई म अलग-अलग रूप मा दे डरे हवं। फेर पढे क़े बाद उही सब बात ह दिल दिमाक मा आए ले धर लीस। गर्मी […]

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दिसाहीनता – सुधा वर्मा

एक समय रहिस हे जब हर पढ़इया अपन गुरू के सम्मान करंय। रद्दा म रेंगत गुरूजी ह हर राहगीर सम्मान के नजर ले देखय। गांव के इसकूल म जब नवा गुरूजी जाथे। त गांव के खाली घर ओखर बर जोहथे। किराया के बात रहिबे नइ करय। गांव के हर मनखे ओला सहयोग देथे, ओखर सम्मान […]