बिदेसी बाबू बिसराये ब्यौहार , पहिर अँगरेजी चोला महतारी अउ बाप , नजर नइ आवै तोला जाये बर परदेस , तियागे कुटुम – कबीला बन सुविधा के दास , करे बिरथा जिनगी ला का पाबे परदेस ले , नाता – रिस्ता जोड़ के असली सुख इहिंचे मिलै , झन जा घर ला छोड़ के छप्पय छन्द डाँड़ (पद) – ६, ,चरन – १२, पहिली ४ डाँड़ रोला अउ बाद के २ डाँड़ उल्लाला होथे. माने छप्पय छन्द हर १ रोला अउ १ उल्लाला ला मिला के बनाये जाथे. तुकांत के…
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