महतारी महिमा भारी हे, ममता मया महान। हाँथ जोर मैं बंदव दाई, जग बर तैं बरदान।1 जगजननी तैं सब दुखहरनी, कोरा सरग समान। दाई देवी सँउहें हावच, कतका करँव बखान।2 दया धरम के चिन्हा दाई, जप-तप के पहिचान। दुख पीरा मा रेंगत दाई, लाथच नवा बिहान।3 लछमी दुरगा देवी दाई, सारद के अवतार। समता सुमता सादर सरधा, दाई जगत अधार।4 जिनगी के पतझर मा दाई, सबले आस बहार। भँवरजाल भवसागर भय मा, महतारी पतवार।5 सगुन सुवारी संगी सिरतों, अँचरा अमित अपार। महतारी बेटी बहिनी बिन, सुन्ना हे संसार।6 जनम करम…
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परम पूज्य बाबा गुरु घासीदास : सरसी छंद
जेखर जनम धरे ले भुँइया,बनगे हे सत धाम। उही पुरष के जनम दिवस हे,भज मनुवा सतनाम।।1।। बछर रहिस सतरह सौ छप्पन,दिवस रहिस सम्मार। तिथि अठ्ठारह माह दिसम्बर,सतगुरु लिन अँवतार।।2।। तब भुँइ मा सतपुरुष पिता के,परे रहिस शुभ पाँव। बालक के अविनाशी घासी,धरे रहिन हे नाँव।।3।। वन आच्छादित गाँव गिरौदा,छत्तीसगढ़ के शान। पावन माटी मा जनमे हे,घासीदास महान।।4।। महँगू अमरौतिन बड़ भागी,दाई ददा महान। गोदी मा मानव कुल दीपक,पाइन हे संतान।।5।। घोर तपस्या करे रहिन हे,गुरु सतखोजन दास। सँग मा संत समाज सबोझिन,करे रहिन उपवास।।6।। माँग रहिस एक्के ठन सब के,मिलके…
Read Moreसरसी छंद : जनकवि कोदूराम “दलित” जी
धन धन हे टिकरी अर्जुन्दा,दुरुग जिला के ग्राम। पावन भुँइया मा जनमे हे,जनकवि कोदूराम। पाँच मार्च उन्नीस् सौ दस के,होइस जब अवतार। खुशी बगरगे गाँव गली मा,कुलकै घर परिवार। रामभरोसा ददा ओखरे,आय कृषक मजदूर। बहुत गरीबी रहै तभो ले,ख्याल करै भरपूर। इसकुल जावै अर्जुन्दा के,लादे बस्ता पीठ। बारहखड़ी पहाड़ा गिनती,सुनके लागय मीठ। बालक पन ले पढ़े लिखे मा,खूब रहै हुँशियार। तेखर सेती अपन गुरू के,पावय मया दुलार। पढ़ लिख के बनगे अध्यापक,बाँटय उज्जर ज्ञान। समे पाय साहित सिरजन कर,बनगे ‘दलित’महान। तिथि अठ्ठाइस माह सितम्बर,सन सड़सठ के साल। जन जन ला…
Read Moreखुमरी : सरसी छंद
बबा बनाये खुमरी घर मा,काट काट के बाँस। झिमिर झिमिर जब बरसे पानी,मूड़ मड़ाये हाँस। ओढ़े खुमरी करे बिसासी,नाँगर बइला फाँद। खेत खार ला घूमे मन भर,हेरे दूबी काँद। खुमरी ओढ़े चरवाहा हा, बँसुरी गजब बजाय। बरदी के सब गाय गरू ला,लानय खार चराय। छोट मँझोलन बड़का खुमरी,कई किसम के होय। पानी बादर के दिन मा सब,ओढ़े काम सिधोय। धीरे धीरे कम होवत हे,खुमरी के अब माँग। रेनकोट सब पहिरे घूमे, कोनो छत्ता टाँग। खुमरी मोरा के दिन गय अब,होवत हे बस बात। खुमरी मोरा मा असाड़ के,कटे नहीं दिन…
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