भाखा के महमहई बगरावत छत्तीसगढ़ी पत्रिका : बरछाबारी

छत्तीसगढ़ी भाखा के साहित्य ला चारो खूंट बगराए खातिर नवा प्रदेस म छत्तीसगढ़ी के मान रखइया संगी मन अपन अपन डहर ले सुघ्घर उदीम करत हांवय. अइसनेहे चौमासा पतरिका ‘बरछाबारी’ ला सरलग निकाल के भाई चंद्रशेखर ‘चकोर’ ह हमर भाखा के असल सेवा करत हांवय. ‘बरछाबारी’ के अंक मोला चकोर जी ह भाई जयंत साहू जी के रसदा देखाए के पाछू सरलग भेजत हांवय. ‘बरछाबारी’ के अंक डाक ले मिलतेच जम्मो ला लउहे पढ़ डारत रेहेंव अउ मन म रहय के ये पतरिका म संघराए रचना मन के उप्पर दू…

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बरछाबारी – 19

भाई चन्‍द्रशेखर चकोर के ‘बरछाबारी’ के 19 वॉं अंक ला हम हमर पाठक मन बर इहॉं प्रकाशित करत हावंन, संगी मन ला हमर ये उदीम कइसे लागिस बताहू. आपमन के उछाह होही त, भाई चन्‍द्रशेखर चकोर ले, ये खातिर अनुमति लेके आघू के अंक मन ला हम अइनेहे प्रकासित करे के सरलग उदीम करबोन … संपादक. पाना खुले म थोरकुन बेरा लगही त अगोर लेहू..

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