उदेराम के सपना-2

(एखर पहिली के अंक में आपमन उदेराम के सपना के आधा (भाग एक) ल पढ़ेव। जेमा उदेराम ह अपना दाई-ददा मेर लबारी मार के गांव वापिस आ जाथे अउ मछरी मारथे। पढ़िस-लिखिस नहीं तेकर सेती अपन अवइया पीढ़ी के लइका मन ल पढ़ाहूं-लिखाहूं अउ बने कमइया बनाहू कहिके सपना देखे रहीसे। ओकर सपना ह कइसे पूरा होइस। अब पढ़व ‘उदेराम के सपना’ के भाग दू जेमा कइसे ओकर लइका मन पढ़-लिख के आगू बढ़िन) ”दु:ख होइस चाहे सुख होईस अपन गोसइया ल देवता मान के ओकर भक्ति करीस। सब दुख…

Read More

उदेराम के सपना

‘चुनाव के करजा ल छूटे बर बबा ह कभू-कभू खिसिया के काहय- ए टूरा ह हम्मन ल सड़क म लाय बर किरिया खा हे तइसे लागत हे। उदेराम ह गांव ले सहर तक करजा म बिल्लाय राहे। दुरूग म पांच कण्डिल करा एक झन सेठ ह कथे- कस उदेराम तोर मुड़ म अतेक-अतेक करजा हे अउ तैंहा जीयत कइसे होबे। उदेराम कथे- अरे भई तैं रूपियच तो लेबे ना जान थोर लेबे। वाह रे हिम्मत कतको बरोड़ा अइस फेर उदेराम ला कोनो नइ हला पइस। करजा म लदाय राहे।’दुदुरूग ले…

Read More

मोर पहिली हवाई यात्रा

घूमें फिरे के सऊख कोन ल नी राहय? फेर मोर सऊख ल झन पूछ। फटफटी, मोटर, कार, रेलगाड़ी मोटरबोट पानी जिहाज, सब म कई पईत घूम डरे हौं। बस हवाई जिहाज भर बांचे रिहिस। दसों साल ने योजना बनावंव फेर समजोगे नइ बइठय। केहे गे हे न बिन समजोग के कांही कारज सिध्द नइ होय अउ ओखर उप्पर वाला के मरजी बिगन एक ठी पत्ता नइ डोलय। हर बखत हवाई यात्रा के योजना फैल खा जाय। सबले बड़े अड़ंगा तो माहंगी टिकस के आय। दूसर अड़ंगा राहय जानकारी के कमी।…

Read More

मोबाइल के बड़े-बड़े गुन

यूनिवर्सिटी ऑफ कैलीफोर्निया के इंजीनियर प्रोफेसर के दिमाग म बात अइस। सोचीस, सहर-गांव सबो जगा मोबाइल के अड़बड़ चलन होगे हे, गांव मन म रोग के जांच कर इलाज करइया (क्लिनिक लैब्स) साधन घलो नइये। अइसे म, एक ठी पोर्टेबल माइक्रोस्कोप बनाके वोला मोबाइल ले जोड़ दे जाय। इंजीनियर प्रोफेसर मन अइसे सोचे बात ल कर घलो डरीन अउ सेल स्कोप बना घलो डरे हे। ये उपकरण (मसीन) (मोबाइल) हा मलेरिया अउ टीबी (क्षय रोग) फैलइया कीरा (जीवाणु) के कोटोला उतारही अउ नेटवर्क ले दुनिया भर म कहूं भेज सकत…

Read More

ढ़पोरशंख के किस्‍सा : भावना श्रीवास, तखतपुर

एक झन बावहन अऊ बम्हनीन रहिस उमन अड़बड़ गरीब रहीन। एक दिन बम्हनीन ह बावहन ल कहिथे कि तुमन कुछु अइसे उपाय करा जेखर ले हमर गरीबी ह दूर हो जाय। दूसर दिन बावहन हर जंगल म तपस्या करे बर चल दिस। ओकर तपस्या ले प्रसन्न हो के भगवान विस्नु ह दरसन दिहिस अऊ वरदान मांगे बर कहिथे त बावहन हर कथे महराज मै बड़ गरीब हव, मोर गरीबी ल दूर कर देवा। भगवान ओला एक ठन सिद्ध संख दिहिस अऊ कहिस ए संख लंग तंय जेन मांगबे- तऊन तोला…

Read More

परतितहा मन पासत हे

मानुख ल अपन मन के आस्था ल प्रकट करे बर कोनो से पुछे के जरूरत नइये। जइसन मन म आवथे तइसन रकम ले अपन सरधा ल भगवान म अरपन करव। काबर की भक्ति ह साधन करे ले मिलथे। सिरिफ इही बात के धियान राखव कि कोनो ह साधन के आड़ म अनहोनी झन करै। एक झन अनहोनी करही त साव उपर घलोक कांव कांव होही इकरे सेती साधन ल सेत होके करिहव त जादा बने रही। आस्था अउ भक्ति ल इज्ञान बिज्ञान कुछु काहय फेर पुजा पाठ धरम करम ह…

Read More

नाचे नागिन रेडियो-रेडियो

मैं ओ रेडियो वाला ल पूछेंव- कइसे जी ये रेडियो म का चलत हे अउ ऐला इहां काबर मड़ाय हस। तब रेडियो वाला किथे- ते नइ जानस गा, ये रेडियो में नागिन वाला गाना चलत हे। सांप मन इही गाना में तो नाचत हें। जब तक गाना चलत रही सांप ह नाचत रही। वाह रे केसिट के महिमा आदमी ते आदमी सांप ल घलो नचाय के हिम्मत राखथस। जब ले घर-घर म टीवी, रेडियो आय हे तब ले ये कलाकार मन केसिट म समा गे हाबे। बीस रुपिया के केसिट…

Read More

जन आन्दोलन के गरेर

पापी दुस्ट आत्मा मन के नास करे बर, धरम के रक्षा करे खातिर बर बड़े-बड़े रिसी मुनि, गियानी-धियानी, बखत-बखत मा आगू अईन हे। भगवान राम के गुरु विश्वामित्र, चन्द्रगुप्त के गुरु चाणक्य, शिवाजी के गुरु रामदास, आनंद मठ के सन्यासी जइसे उदाहरन ले इतिहास भरे पड़े हे। गुरु सऊंहत राज नई करय फेर पापी, राक्छस मन के नास करे बर बीर पुरुष मन ला तियार करथे। उन ला प्रेरना देथे। वर्मा:- कइसे जी मिश्रा जी! ये मिस्र मा का होगे जी? मिश्रा:- उही जऊन अब हमरो देस मा घलो होके…

Read More

आन के तान

संगी हो! आजकाल मोला एक ठिक जबड़ भारी रोग हो गे हे। रोग का होय हे, मोर जीव के काल हो गे हे। रोग ये हे के मैं हर, आन कहत-कहत तान कहि पारथां, कोनो आन कहिथें त मैं हर तान समझ पारथों। पाछू, आठ महीना ले मोर कनिहा मा पीरा ऊचे लग गे। सोचेंव लापरवाही बने नोहय। कोनो डॉक्टर ला देखई देत हों। एक झिक कोन्टा-छाप डॉक्टर करा गेंव। देखथों ओकर नाक हर आलूगुण्डा कस फूले रहय। मैं सोंचेव जब ये हर अपने ‘नाक’ नई ओसका सकत हे त…

Read More

अप्रैल फूल के तिहार

हमर देस मा तिहार मनाये के गजब सऊँख। सब्बो किसिम के तिहार ला हमन जुरमिलके मनाथन। तमाम जातपात, धरम-सम्प्रदाय के तिहार मन ला एकजुट होके मनाये के कारन सांप्रदायिक सदभाव अउ एकता के नाम मा हमर दुनिया में अलगेच पहिचान हे। तिहार मनाये बिना हमर बासी-भात तको हजम नई होवय। तिहार मनाये के सऊँख मा हमन प्रगतिसील होगेन। बिदेस के तिहारो ला नई छोड़न। भूमंडलीकरन के जमाना मा नवा पीढ़ी हर “वेलेन्टाइन-तिहार” मनाये बर पगलागे। “वेलेन्टाइन-तिहार” मया करइया जोड़ा के बिदेसी तिहार आय। एमा पुलिस संग रेस-टीप खेल के अपन…

Read More