तुलसीदास हा रामचरित मानस लिखके,गाके अपन जिनगी ला तो सँवारिस अउ संगे संग कलियुग के राम नाम लेवाइया मन के बिगड़ी ला बना दिस।हर कल्प मा राम हा उँखर नाम लेवइया मनके उद्धार करे हे,भाग्य सँवारे हे। प्रभु राम के नाम जपत अहिल्या ला एक जुग पखरा बने बीतगे रहिस।ओकर गृहस्थी हा थोकिन गल्ती मा बिगड़ गे।राम जब ऋषि विश्वामित्र के संग जावत रहिस तब ओकर उद्धार करिस।भीलनी शबरी के जिनगी घलाव बिगड़े रहिस वहू हा अबड़ बच्छर ले राम नाम लेवत रद्दा जोहत रहिस।आखिर मा राम प्रभु उनला दरस देखिके जीनगी ला पबरित करके ओकरो बिगड़ी बना दिस।नवधाभक्ति के ज्ञान दिस। सुग्रीव के बिगड़े गृहस्थी ला राम जी हा सँवारिस हे।बिना गल्ती के भाई हा बैरी बनगे, सुखी गृहस्थी हा छुटगे,परिवार ले अलग रहेबर बिवस होगे।धन ओ ऋषमुख परबत जिहाँ श्राप के सेती बालि नइ जा सकय नइते ओला भाई के हाथ मा मरे बर परतीस।बालि ला मार के सुग्रीव के डर ला भगाईस पाछू प्रभु राम से सुग्रीव के मितानी होगे , ओकरो बिगरे गृहस्थी ला सँवार दिस।
अइसने देव ऋषि दधिची के बिगड़ी ला बना दिस।देवता अउ राक्षस मन के लड़ई बेरा तपस्वी ऋषि दधिची हा देवता मन के गोहार सुनके अपन हाँड़ा ला धनुष अउ वज्र बनाय बर देय रहिस।देवता मन जब लड़ई जीतिस ता धनुष ला शंकर भगवान राख लिस।उही धनुष त्रेताजुग मा मिथला के राजा जनक के घर मा रहिस। हर युग मा प्रान के स्थान अलग अलग बताय गे हवय।जइसे सतजुग मा हाँड़ा, त्रेता मा रकत, द्वापर मा मास, अउ कलजुग मा अन्न। ऋषि दधीचि के प्रान धनुष मा अटके अबड़ बच्छर होगे।प्रभु राम जब धनुषयज्ञ मा धनुष तोड़िस तब ऋषि ला मुक्ति मिलिस।
केंवट के जिनगी के संगे संग ओकर निषाद राजा, परिवार, गाँव के सबोझन के बिगड़ी प्रभु राम बना दिस। गिद्धराज जटायु जौन निरबंशी हँव कहिके राजा दशरथ करा अपन बेटा ला दे देते कहिके गोहार करे गय रहिस। 14 बच्छर के वनवास के आखिरी बेरा मा जब डोकरा होगे रहिस, तब ओकर डेना ला रावन काट दे रहिस, जब घायल होके पीरा खावत परे रहिस तब सीता ला खोजत प्रभु राम रद्दा मा पीरा खात जटायु ला देख के ओकरो उद्धार करिन अउ बेटा बनके ओकर चिता ला आगी दिन अउ पिंड दान करिन।
विभीषण हा श्रापा के सेती राक्षस कुल मा जनम धरे रहिस फेर ओहा हरदम राम नाम लेवत रहिस।लंका मा राक्षस के बीच मा जीयत ओकर जिनगी नरक बरोबर बनगे रहिस।ओकर भाई रावण हा ओकर समझाय ला नइ मानिस उपर ले लात मार के देस निकाला कर दिस। प्रभु राम ओकरो बिगड़ी ला बनाइस अउ ओला लंका के राजा बना के जिनगी सँवार दिस। सोना के लंका ला तियागना छोटे मोटे काम नोहय।
राम प्रभु हा सबके उद्धार करे बर धरती मा अवतार लेय रहिस। देव, दनुज, किन्नर, गंधर्व, धरती, नाग, गाय ,सबके उद्धार करिन।तुलसीदास बाबा हा रामचरित मानस ला लिखके कलयुग के करोड़ो मनखे उपर किरपा कर दिन। आज तो भारत देश के राजनीति मा घलाव श्रीराम के नाम ले सत्ता के डोगा मा चढ़के पार लगा लीन।ओकरे सेती कहे जा सकत हे राम सबके भाग्य सँवारथे।
हीरालाल गुरुजी “समय”
छुरा, गरियाबंद