परदेशी अब बुढ़वा होगे।69 बच्छर के उमर माे खाँसत खखारत गली खोर मा निकलथे। ये गाँव ला बसाय मा वोहा अपन कनिहा टोरे रहिस। पहाड़ी तीर के जंगल के छोटे मोटे पउधा मन ला काट के खेत बनाय रहिस। डारा पाना के छानी मा अपन चेलिक काया ला पनकाय रहिस। अंगेठा बार के जड़कला ला बिताय रहिस। अपन सब संगवारी मन ला नवा गाँव बनाय बर अउ खेती खार पोटारे बर जिद करके बलाय रहिस। पाँच परिवार के छानी हा आज तीन सौ छानी वाला परिवार के उन्नत गाँव बनगे।
गाँव या पाँच ठन झाला असन घर रहय।चारो मुड़ा जंगल।बिजली पानी के आरो नइ रहय।देस ला नवा नवा अजादी मिले रहय।पाँचो संगवारी के बिहाव पाछू परिवार बाढ़िस।देखा सीखी दूसर गाँव के मनखे मन घलाव जँगल ला चतरा के घर कुरिया, खेत बना लीन। सबो घर मा जंगल के जीव जन्तु ले बांचेबर अंगेठा बारे रहय। जंगल मा लकड़ी के काय कमती।बारो महिना अंगेठा बरे। बीड़ी माखुर पीये बर सुभीता रहय।सरकार बदलीस तब ये गाँव के काया बदल गे। राजस्व गाँव बनगे। पट्टा बनगे, भूमि के अधिकार मिलगे। गाँव मा पहुँच मार्ग, बिजली, इस्कूल धीरे धीरे बने लगिस। गाँव के उन्नति बर परदेशी अउ चारों संगवारी गाँव के मनखे मन संग खाँद जोर के चलिन।
गाँव के शोर अतराब मा बाढ़े लगिस। परदेशी अउ ओकर संगवारी के लइका मन के नउकरी लग गे। सबो मन बहू बेटा नाती पंथी वाला होगे।फेर खेती बूता ला नइ छोड़ पाईन। डारा पाना के घर हा खपरा छानी अउ अब गच्छी वाला मकान मा बदल गे। घर मा टाईल्स बिछ गे।पहिरावा अउ खाय पीये के तरीका बदल गे। गाँव के तीर तखार के जंगल अब दुरिहा होगे। जेन घर मा बारो महिना अंगेठा के आगी रहय उहाँ अब गैस चूल्हा हा आगे।
अंगेठा के तीर मा बइठ के परिवार संग भात साग खवाई, चहा बनाई अउ पीयई छूटगे।नाचा पेखन ला रातभर अंगेठा के तीर मा बइठ के देखाई अब नोहर होगे। जड़कला के दिन मा आज अंगेठा के आगी तापे बर परदेशी खाँसत खखारत गली मा किंदरथे फेर जाकिट अउ सुवेटर पहिरइया मन के बीच मा अंगेठा के आगी कहाँ मिलही!
हीरालाल गुरुजी”समय”
छुरा,जिला गरियाबंद