आवत हावय दुर्गा दाई, चलव आज परघाबो ।
नाचत गावत झूमत संगी, आसन मा बइठाबो ।।
लकलक लकलक रूप दिखत हे, बघवा चढ़ के आये ।
लाली चुनरी ओढे मइया, मुचुर मुचुर मुस्काये ।।
ढोल नँगाड़ा ताशा माँदर, सबझन आज बजाबो ।
आवत हावय दुर्गा दाई, चलव आज परघाबो ।।
नव दिन बर आये हे माता, सेवा गजब बजाबो ।
खुश होही माता हमरो बर, आशीष ओकर पाबो ।।
नव दिन मा नव रुप देखाही, श्रद्धा सुमन चढाबो ।
आवत हावय दुर्गा दाई, चलव आज परघाबो ।।
सुघ्घर चँऊक पुराके संगी, तोरन द्वार सजाबो।
ध्वजा नरियर पान सुपारी, वोला भेंट चढ़ाबो ।।
गलती झन होवय काँही अब, मिलके सबो मनाबो ।
आवत हावय दुर्गा दाई, चलव आज परघाबो ।।
महेन्द्र देवांगन माटी
पंडरिया (कबीरधाम)
छत्तीसगढ़
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