छत्तीसगढ़िया मन ल पहली अपन भाखा ल अपनाये ल लगही तभे होही छत्तीसगढ़ी भाखा के विकास
छत्तीसगढ़ म छत्तीसगढ़ी भाखा बर राज भाखा आयोग त बना डारे हे फेर भाखा के विकास बर कुछु काम नइ होइस, अठरा बछर होगे छत्तीसगढ़ राज ल बने तभो ले इहा के छत्तीसगढ़ी भाखा ह जन-जन के भाखा नइ बन सकिस, कतको परयास करत हे जन मानुष मन अपन भाखा ल जगाये के, तभो ले अतना पिछड़े त कोनो भाखा नइ होही जतन छत्तीसगढ़ी भाखा हे, काबर के छत्तीसगढ़ी भाखा ल जतका खतरा परदेशिया मन ले हे जेन मन इहा आ के अपन भाखा के विकास करत हे, ओखर ले जादा खतरा अइसे छत्तीसगढ़िया मनखे ले हे जेन ह डिंग मारे बर अपन भाखा ल छोड़ के दूसर भाखा म गोठियाथे, फेर ये कभु नइ सिख पावत हे के दूसर भाषी मनखे मन जब इहा आ के अपन भाखा म गोठियाये बर नइ भुलाये, अपन भाखा कोखरो भी आधु म बोले म कोनो संसो नइ करय, तभो ले येला देख के छत्तीसगढ़िया मन कुछु नइ सीखत हे, येखर बर मोर कहना हे कि परदेशिया मन ले छत्तीसगढ़ी अउ छत्तीसगढ़ी भाखा ल खतरा नो हे खतरा त अपन राज के अइसने मनखे ले हे जेन ह जानबूझ के छत्तीसगढ़ी भाखा बोले गोठियाय म संसो करथे अउ अपन भाखा ल बने ले गोठियाय नइ, अउ तभो ल जतन छत्तीसगढ़िया मनखे हे उमन ठान लेवय की आघु ले जोन भी मनखे कने मिलही चाहे ओ हा छत्तीसगढ़िया होवय या चाहे परदेशिया सब्बो ले छत्तीसगढ़ी भाखा म गोठियाही त हमर भाखा ल कोन परदेशिया कोनो दूसर मनखे ले खतरा नइ रही, अउ येही ल देख के जो बाहरी मनखे हमर छत्तीसगढ़ राज म अही त मजबूरी म छत्तीसगढ़ी भाखा ल शिख के आये ल लगही, त सब्बो ले छत्तीसगढ़ी भाखा म गोठियावव चाहे कोनो भी मनखे होवय, फेर हमर छत्तीसगढ़ी राज अउ इहा के भाखा के विकास होये ले कोनो नइ रोक सकय।
अनिल कुमार पाली
तारबाहर बिलासपुर छत्तीसगढ़
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