छेरछेरा अब आगे

पूस महिना पुन्नी आगे,छेरछेरा अब आगे।
सुनलव मोर भाई, धरम करम अब जागे।
पूस महिना पुन्नी आगे……..

होत बिहनिया देखौ,लईका सकलावत हे।
कनिहा बाँधे घाँघरा,आँखीं मटकावत हे।।
देदे दाई ददा देदव, तोर कोठी हा भरागे।
पूस महिना पुन्नी आगे……..

मुठा मुठा धान सकेलय,टुकनी हा भरथे।
छत्तीसगढ़ी संस्कार हवै,माने ला परथे।।
छेरछेरा तिहार मनावे,भाग घलो लहरागे।
पूस महिना पुन्नी आगे……..

देखव जी चारों मुड़ा,घाँघरा बने बाजत हे।
बोरा चरिहा मुड़ मा,बोहे ख़ुशी मनावत हे।।
छेरछेरा नाचत दुवारी,खोंची खोंची मांगे।
पूस महिना पुन्नी आगे………

बोधन राम निषाद राज

सहसपुर लोहारा,कबीरधाम (छ.ग.)
[responsivevoice_button voice=”Hindi Female” buttontext=”ये रचना ला सुनव”]


Share
Published by
admin