मड़ई मेला

हमर छत्तीसगढ़ माटी के एकठन प्रमुख परब (तिहार) मड़ई मेला हर आय। मड़ई के नाव लेत्तेच म मन मा उत्साह अउ उमंग भर जथे। ए तिहार ला हमर राउत भैया मन बड़ धूम धाम से मनाथे। मड़ई मेला देवारी ले लेके महाशिवरात्रि परब तक चलथे। मड़ई मेला के आयोजन राउत भैया अऊ पूरा गाँव भरके मिलके करवाथे। मड़ई के आयोजन राउत मन के बदना तको रथे। बदना के सेती एकर आयोजन के खरचा ला बदना बदइया हा अकेल्ला उठाथे। मड़ई के आयोजन राउत मन के कुल देवता बर श्रद्धा अउ बिश्वास आये। मड़ई कराथे तौ उंखर कुल देवता सदा सहाय रथे।

मड़ई मेला आयोजन करेके पहली राउत भैया मन अपन जुराव करथे। जुराव मा गांव के सियान मन ला बलाथे अउ दिन तिथि तारीख ला पक्का करथे। पक्का करे के बाद गांव में हाँका परवाथे के अमुख तारीख अमुख दिन हमर गाँव में मड़ई मेला होही।पारा परोस के गाँव बाजार में तको हाँका परवाथे जेकर से आयोजन में बने बाजार तको लगय अउ आयोजन फसल रहै। राउत भैया मन अपन सगा राउत भाई मन ला नेवता भेजथे हमर गांव में अमुख दिन तारीख के मड़ई होही कहिके। एती गाँव में मड़ई के नाँव सुनते साथ गाँव भर में खुसी अउ उत्साह के लहर दँउड़े लगथे। गाँव भर के अपन बेटी माई, दीदी , बहनी सगा सम्बन्धी ला सोर पँहुचाथे। अपन बेटी माई दीदी बहनी ला लाने जाथे। राउत भैया मन गँड़वा बाजा गाजा के साथ नचवइया परी के तको जुगाड़ लगाथें जेकर से मड़ई मा रौनक बढ़ सके।



मड़ई मेला के दिन मुँधरहा ले राउत में अपन कुल देवता ला गाजा बाजा के संग नाचत कूदत उमंग से दोहा पारत गौठान (दइहान) मा मढ़ा देथें अऊ देवता के भाव भजन करे लगथें। फेर गाजा बाजा के संग गाँव के जम्मो देवी देवता ला नरियर सुपारी चढ़ाये बर अपन संग धरे, नेवता दे ला जाथें अउ उंखर भाव भजन करथें। गाँव भरके अपन किसान भाई मन ला तको नरियर के संग नेवता देथें। जम्मो किसान घर नेवता दे बर घलो गाजा बाजा के संग नाचत कूदत दोहा पारत गली गली जाथें। ओकर बाद गौठान में जाके खीर अउ परसाद बनाथें अउ चढ़ाथें। नरियर सुपारी सँउपत भाव भजन करके देवता ल मनाथें। खीर अउ परसाद ला फेर बाँट के खाथें। रउतइन दीदी मन आके बीच दइहान मा गोबर के गोबरधन बनाथें। मंझनिया के होवत ले मेला मा दुकान सज जाय रथे। ढेलवा, खिलौना, किसम किसम के दुकान, नाना प्रकार के मिठाई, रंग रंग के टिकली फुकली, अउ साग भाजी के बाजार लगे रथे। मड़ई मेला ला देख के सबो के मन भर जथे।



मंझनिया के बेरा होथे त गाँव के सगा पहुना, घर के बेटी माई, दाई दीदी, भैया भउजी, बबा नाती सबो सज धज के मेला देखे बर दइहान जाथें। राउत मन के अलग पहनावा अउ पोशाक सबके मन ला बड़ भाथे। घर ले राउत भैया मन नाचत कूदत दोहा पारत लाठी चालत अखाड़ा खेलत निकलथें। गँड़वा बाजा के अपन अलग धुन अउ परी मन के बिधुन हो के नचाई सबके मन ल मोह लेथे। दइहान मा आथे तहाँ ले सबले पहली नाचत नाचत सात भांवर मड़ई के घूमथें फेर गाय मेरा गोवर्द्धन खुंदवाथें अउ जमके नाचथें। सबला अपन लाठी के ताकत देखाथें। जब कोनो सगा भाई मन के राउत टोली आथे त ओला आधा बीच ले दउड़त आधा झन मन नाने ला नाचत नाचत जाथें। फेर संग में लाठी चालत अखाड़ा खेलत नाचत कूदत पारत दइहान में लाथें। देखइया मन के मन में उत्साह अउ उमंग छाये रथे। हमर मड़ई के उत्साह अउ उमंग हा पहाती बेरा में बन्द हो जथे।

दूसर दिन राउत भैया मन गाजा बाजा के संग अपन किसान भाई मेर जोहार भेट करवाथें अउ आभार परगट करथें। ए प्रकार ले हमर मड़ई हा होथे। जेकर बखान करई असान नई हवै। हमर माटी के खुशबू हमर चिन्हार मड़ई मेला हर आय। फेर अब मड़ई परब तको हा नँदावत हवै। पहली गाँव गाँव में मड़ई मेला होवय फेर अब बहुत कम होथे। एमा राउत भैया मन के उदासीनता कहन ए मजबूरी। फेर शासन ला हर गाँव के पंचायत ला मड़ई मेला आयोजन बर सहायता राशि देना चाही ताकि हमर राउत भैया मन आयोजन ला कर सके साथ ही हमर संस्कृति हा सुरक्षित रहै।

-हेमलाल साहू
ग्राम गिधवा, पोस्ट- नगधा,
तहसील नवागढ़, जिला-बेमेतरा
छत्तीसगढ़, मो.9977831273
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One Thought to “मड़ई मेला”

  1. Archana Sahu

    Bahuuut sundar chhote,,,???…
    Chhattisgarh ki sanskriti me shamil ,mela- madayi ke baare me aapse bahhut achhi aur mahatwapurn jaankari mili,,,…
    Aabhar……?

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