आप सब इंटरनेट बउरइया आव, आप मन अपन भाषा ल इहि माध्यम म बढ़ावा दव। पेपर-पुस्तक छपवाई म बड़ पैसा लागथे फेर ये माध्यम म आप अपन बात अउ बिचार बिना पइसा के लिख के देस-बिदेस म फइला सकत हव। हमर गीत-संगीत अउ नाच ल, आडियो-वीडियो रूप म ये माध्यम म डार के जादा ले जादा लोगन तक हमर महान संस्कृति के धजा फहरावव। सोसल मीडिया ह अभी के जमाना म अभिव्यक्ति के बड़का चौपाल आए, ऐमा आप अपन भाषा म अपन अभिव्यक्ति दव अउ अपन प्रदेस के संस्कृति के बारे म गोठ-बात करके, संगी मन के मन म अपन प्रदेस बर मया अउ गरब के भाव बढ़ावव। ये ठीहा मन म आप छत्तीसगढ़ी बोले-लिखे बर जोजियाये के बल्दा अपन भाषा के अतका उपयोग करव के आघू वाला ल आपके गोठ ल समझे बर छत्तीसगढ़ी के शब्द ल सीखे ल पर जाय।
इही भाव ल लेके गुरतुर गोठ के हमर ये उदीम, इंटरनेट (मेकराजाला) म छत्तीसगढ़ी भाखा के साहित्य ल आघू लाये के हे। हम ये वेब साईट म 2008 ले छत्तीसगढ़ी के रचनाकार मन के रचना सरलग डारत आवत हावन। हम चाहत हावन के हमर भाखा के जादा ले जादा साहित्य इंटरनेट म आवय। ये खातिर हम जमो संगी मन संग गिलोली करथन के, आप अपन ब्लॉग या बेवसाईट बना के अपन अउ अपन संगी साथी मन के रचना घलव ला डारव। हम सब जुरमिल के उदीम करबोन त हमर साहित्य सहजे म इंटरनेट के माध्यम ले हमला पढ़े-गुने ल मिल जाही।
मोर एके ठन अउ गिलौली हावय के ये बेवसाईट या कोनो ब्लॉग म एक पईत छपे रचना ला घेरी बेरी इंटरनेट म छापे के बजाए नवा रचना ल इंटरनेट म डारव। येखर ले हमर भाखा के साहित्य इंटरनेट म घलव बने पोठ होही अउ पाठक मन ल घलव बने रकम-रकम के बिसय पढ़े ल मिलही। ये बेवसाईट के रचना ल कापी करके कहू आप अपन ब्लॉग या बेव साईट म डारहू त पाठक ल नवा का मिलही। आप अपन दाई भाखा छत्तीसगढ़ी बर सिरतोन म मया करथव त नवा रचना अपन बेव साईट या ब्लॉग म डारव। ये साईट के कोनो रचना ल आप कहूं अपन ब्लॉग या बेवसाईट म डारना चाहत हव त बने होही के हमर साईट के पूरा रचना डारे के बजाए, हमर साईट म छपे रचना के लिंक ल अपन म लगा लव। येखर ले पाठक ल आपके वेब साईट या ब्लॉग के रचना के संगें संग हमरो साईट के रचना पढ़े ल मिलही।
आप अपन दाई भाखा छत्तीसगढ़ी बर अपन असल मया देखाव, अउ इंटरनेट म हमर भाखा के भंडार ल भर दव। मोर डांड तो छोटे तभे होही संगी, जब आप बड़का डांड खींचहू। मोर मिहनत ले बनाए ये साईट के रचना मन ल अपन साईट म छापे के बजाए आप छत्तीसगढ़ी के ई पेपर (भास्कर, पत्रिका, हरिभूमि) अउ आरकाईव म चल देहे देशबंधु मड़ई के रचना मन ल अपन साईट म जघा देहू तभो छत्तीसगढ़ी बर बड़का काम हो जाही।
हमर भाषा ल आघू बढ़ाये खातिर सरकार ल घलव अपन डहर ले उदीम करना चाही। सरकारी योजना मन के जानकारी अउ सरकारी कागज-पत्तर ल छत्तीसगढ़ी म छपवाना चाही अउ छत्तीसगढ़ी के प्रयोग सरकारी कार्यालय मन म चालू कराना चाही। मंत्री-अधिकारी मन ल घलव छत्तीसगढ़ी भाषा म गोठियाना चाही, अपन सियान मन ल अइसन करत देख के जनता के मन म अपन भाषा बर हीन भावना ह दूर होही। अभी अतकेच, आवव भर दन इंटरनेट म हमर भाषा के खजाना ल।
जय छत्तीसगढ़, जय छत्तीसगढ़ी।
– संजीव तिवारी
संपादक: गुरतुर गोठ डॉट कॉम