ग़ज़ल

हममन बस गोहरइया1 हावन2।
उनकर पानी भरइया हावन।।

देस के देवता-धामी मन के।
पूजा हममन करइया हावन।

उही मन समरथ, ग्यानी, पंडित।
हम तो पाँव परइया हावन।

राम-राज हर आही कहाँ ले
पाछू-पाछू रेंगइया3 हावन।

दुनिया हर आगु रेंगत हावै।
उनकर पूछी धरइया4 हावन।

बलदाऊ राम साहू

1. चिचोरी करने वाले, 2. हैं, 3. चलने वाले, 4. पूँछ धरने वाले

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