छत्तीसगढ़ी गज़ल

लईका ले लईका के बाप होगे
करिया ले सादा चुंदी अपनेआप होगे!

बिन मंतर भोकवा कस देखत हे
दाई नेवरा त गोसईन सांप होगे!

कुड़ेरा कस मुहू बनाय बहू खटिया धरे
बेटा मनात बिहनिया ले रात होगे!

घर बार नही जमीन जहेजाद नही
का बताबे इंहा तो करेजा के नाप होगे!

अपने घर म परदेशिया बनगे ‘लकवास’
दू मीठ बोली के आसरा घलो पाप होगे!

बूंद बूंद लहू गोरस ले सिरजाए जेन काया
लाज बचईया कइसे आज चुपचाप होगे?

ललित नागेश
बहेराभांठा(छुरा)
४९३९९६
[responsivevoice_button voice=”Hindi Female” buttontext=”ये रचना ला सुनव”]


Share
Published by
admin