आगे बादर पानी के दिन अब तो पानी – पूरा आही
बीत गे बोरे – बासी के दिन दार – भात ह अब भाही।
फरा अंगाकर रोटी चीला – चटनी संग सब खावत हें
खेत – खार म कजरी – करमा भोजली गॉंव-गॉंव गाही ।
अंगना गली खोर म चिखला नोनी खेलय कोन मेरन
सम्हर पखर के बादर राजा सबो झन ल नाच नचाही ।
संग म पानी के झिपार के गेंगरुआ परछी म आगे
भौजी निच्चट छिनमिनही हे ननंद वोला अब डेरवाही ।
चिक्कन होगे सबके एडी ‘शकुन’ सबो झन भभरत हावैं
चौमास ह कोठी ल भर दीही जुर मिल सबो ददरिया गाहीं ।
शकुन्तला शर्मा , भिलाई [ छ ग ]
shaakuntalam.blogspot.com
“बूड़ मरय नहकौनी दय” (छत्तीसगढ़ी गज़ल संग्रह) ले