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भंवरा तोर मन के नोहे: बद्री विशाल परमानंद

परगे किनारी मा चिन्हारी, ये लुगरा तोर मन के नोहे
लागे हाबे नैना मा कटारी, ये कजरा तोर मन के नोहे
लडठका ह लउकत हे दांतन मा तोर
मीठ बोलना बजा देते मादर ला तोर
लइसे लागे तोर खोपा मा गोई
गुंझियागे हे करिया बादर ह वो
इंद्रराजा आगे धनुषधारी, ये फुंदरा तोर मन के नोहे…..
कोन बन मा बंसरी बजाये मोहना
सुरता समागे सूरसुधिया
जकर बकर होगे रे लकर धकर होगे रे
कइसे परावत हे रधिया
जइसे भगेली कोनी नारी, ये झगरा तोर मन के नोहे…..
नाचत हे रधिया नचाये मोहना
झूमर झूमर बंसरी बजाये मोहना
महर महर ममहागे रितुवा बसंती
बिन्द्रावन मुसकाये मोहना
मोर मन के फुलगे फुलवारी, ये भंवरा तोर मन के नोहे
बद्री विशाल परमानंद
Chhattisgarhi geet