परंपरा की खुशबू है इन कहानियों में
छत्तीसगढी-साहित्य में निरंतर अनुसंधान तथा अन्य विधाओं में सक्रिय लेखनरत डॉ.जयभारती चंद्राकर का यह प्रथम छत्तीसगढी़ कहानी संग्रह है। ‘शहीद के गाँव’ शीर्षक से संकलित इन कथाओं में छत्तीसगढ़ का यथार्थ स्वाभाविक रूप से दिखाई देता है। पहली कहानी ‘शहीद के गाँव’ एक सच्ची कहानी है, जो देश के लिए मर मिटने वाले युवा के अदम्य साहस की कथा कहती है, जिसकी शहादत पर समूचा गाँव गर्व करता है। संग्रह की तेइस कहानियों में ग्रामीण नजीवन, छत्तीसगढ़ की संस्कृति, सुख-दुख, त्याग-बलिदान, घर-किसान, अंधविश्वास के प्रति चेतना और परंपरा की खुशबू है।
ये कहानियाँ सत्य घटनाओं और अपने आसपास के परिवेश को देखते-परखरते संघर्ष के साथ जीते-मरते पात्रों के माध्यम से छत्तीसगढ की सामाजिक संस्कृति और सरलता का बखान करती हैं। छत्तीसगढी़ में आगत शब्दों को यथावत रखने का प्रयास उसके अर्थ-सामर्थ्य और संप्रेषणीयता को सहज ही संरक्षित करता है। एक संवेदनशील स्त्री की आंखों से देखा-परखा सच इन कथाओं के केंद्र में है।
छत्तीसगढ की अस्मिता के विविध रंगों से परिचित कराने वाली ये कहानियाँ पठनीय हैं और संग्रहणीय भी।
– डॉ. सुधीर शर्मा
शहीद के गांव
(छत्तीसगढी कहिनी संकलन)
डॉ. जयभारती चन्दाकर
प्रकाशक : वैभव प्रकाशन, रायपुर ( छ.ग. )
ISBN-978—81-936634-5-5
आवरण सज्जा : कन्हैया साहू
प्रथम संस्करण : 2018
मूल्य : 275.00 रुपये
कापी राइट : लेखिकाधीन
समर्पण
माँ- स्व. श्रीमती स्नेह लता चन्दा, बाबू जी- स्व. श्री एस. एल. चन्दा, पति देव-स्व. श्री के. के. चन्दाकर
आपमन ले मिले मया-दुलार के सुरता के चंदन ले.
नवा पीढी ल रददा दिखावत बिचार
छत्तीसगढी म किस्सा-कहिनी गढे अउ वोला सुनाय के परम्परा बड जुन्ना हे। आज हमर आगू म लोक कथा के जेन ढाबा-कोठी उछलत अउ छलकक ले देखे बर मिलथे, वो सब वोकरे परसादे आय। ए बात अलग हे, के वो कहिनी गढइया मन के नांव पता ल हम नई जान पाए हन, तेकर सेती वोमन ल लोक कथा कहि देथन फेर ए तो जरूर हे, कोनो न कोनो उनला लिखे जरूर हें, तभे आज घलो उन सब हमर आगू म जगजग ले अंजोर बगरावत, मन अंतस के बात कहत खडे हें।
जिहां तक प्रकासित रूप म अपन लिखइया के नांव के चिन्हारी करावत कहिनी मिले के हे, त एला उन्नीसवीं सदी ले मान सकथन । छापाखाना के रूप म प्रिन्टिंग व्यवसाय के संग लोगन अपन मन अंतस के गोठ ल कागद म उतार के वोला प्रकासित रूप म लोगन के आगू म रखे लागिन । आज छत्तीसगढी कहिनी के संसार म एक ले बड के एक नांव अउ उंखर रचना देखे बर मिलथे। जिहां तक महिला लिखइया मन के बात हे, त एमा कछु अंगरी म गिने के ही लाइक नांव हे, जेला पोठ अउ चिंतनशील कहिनी लिखइया के रूप म गिन सकथन, वोमा के एक मयारूक नांव हे- डॉ. जयभारती चन्द्राकर।
डॉ. जयभारती चन्द्राकर मूल रूप ले शिक्षिका हे। जेन जंगल छेतर म रहिथे, अउ इस्कूल म पढाथे, एकरे सेती डंकर कहिनी म एक शिक्षिका के दृष्टिकोण, संवेदना, भासा-शैली अउ विचार देखे बर मिलथे। संग म जंगल-झाडी म रहवइया जीव-जन्तु के अंतस ल टमडे के उदिम। ” शहीद के गांव” नांव के उकर ए कहिनी संकलन म कुल तेइस ठन कहिनी हे, जेला हम तीन अलग-अलग रूप म देख सकथन । पहला वो जेमा उन अपन तीर तखार म घटित सत्य घटना मनला कहिनी के रूप देवत दिखथें। दूसर वो जंगल झाडी के जीव उंकर संवेदना जिहां वो रहिथे, बसथे अउ तीसर वो लोककथा के रूप जेला अपन महतारी के कोरा म बइठे, डंकर गोरस पीयत सुते अउ गुने हें।
संकलन के शीर्षक ” शहीद के गांव” एक सत्य करमभूमि गरियाबंद जिला के गांव म घटे हे। गांव के सपूत भृगुनंदन चौधरी के शहादत
के मार्मिक चित्रण अउ वोकर ले आगर उंकर महतारी सुशीला देवी चौधरी के मार्मिक अउ नवा पीढी ल रद्दा देखावत बिचार ।
डॉ. जयभारती चन्द्राकर एक संघर्षशील नारी आय। जेन जिनगी के विसंगति ल झेलत सफलता के मुकाम ल आज छूवत हें। उंकर ए सब छापा हर लगभग जम्मो कहिनी मन म देखब म आथे। ” एंहवाती” जिहा विधवा पुनर्विवाह के संदेस देथे, उहें ” डांड” म विजातीय विवाह के सामाजिक द्वंद् ल अपन दृष्टिकोण देथे, डंकर समाधान के आरो कराथे।
”ददा के मरनी” दू सग भाई के आपसी वैमनस्य ल उजागर करथे। ”बर सावितरी” देव-वरत के अंतर्गत नकस्ली हमला, उंकर आतंक के
रूप ल चिन्हाथे। छत्तीसगढ अभी कुन नकस्ली आतंक ले भारी जूझत हे, अइसन म हर चिंतनशील लेखन म बोकर विविध रूप अउ कार्यकलाप देखब म आथे। वोकर समाधान के आरो कराथे।
महिला लेखिका मन के लेखन म नारीगत विषय के बाहुल्यता दिखथे। चाहे उंकर संरक्षण के बात होय, अधिकार के बात होय या समानता, शिक्षा अउ संस्कार के बात होय म फेर शोषण अउ आने विडंबना जइसन बात होय। डॉ. जयभारती के कहिनी ” आसा अउ किरन” बेटी बचाओ अउ परियावन, ले प्रेरित हे, त निसयनी शिक्षा के महत्व ल प्रतिपादित करथे। अंचरा के आंसू म बेटी ल बेटा के भूमिका निभावत दाह संस्कार जइसे बुता ल पूरा करे के रददा देखाथे। डोरी राखी के, मया के भरम. सुवा कहि देबे संदेस, कोईली बसंती, वैसनवी, तुलसी चंडरा अउ फूलबती, सांवा बाई, लछमी बहू, ए सब नारी जीवम के विभिन्न रूप ल देखाथें।
भलुआ ल चकमा, किसान के पीरा, करजा, झोला वाला बबा, अन्नदाता, बिसाय गोठ, आदि । कहानी मन अपन शीर्षक के नांव अउ चरित्र ल उजागर करथें।
डॉ. जयभारती चन्द्राकर के भाखा गुरतुर हे। शैली रोचक अठ प्रवाहमान हे, जेला पढे, गुने अउ समझे म आसानी होथे । एकरे सेती ए भरोसा होवत हे, के छत्तीसगढी के जम्मो हितवा मन एला पढही अउ लेखिका ल अपन मया, आसीस अउ सुभकामना देहीं ।
सुभकामना अउ मया आसीस मोरो डहर ले।
सुशील भोले
54/191, डॉ. बघेल गली,
संजय नगर रायपुर, (छ.ग.)
मो. 9826992811
लेखिका की अन्य कृतियां –
Osm book!! this book inspired a lot… must read this book!!!