अनियाव सहय अउ देखय समझय वो तो कायर आए बहादुर नोहे
आघू पांव परे पाछू घात करे वो बइरी रे सगा पाहुन नोहे
जाके जंग म खेलय होरी असली वोही लाल लहू ये महाउर नोहे
(Chhattisgarhi Kavita Fagun by Laxman Masturiya लक्ष्मण मस्तूरिया की छत्तीसगढ़ी कविता)
2 replies on “लक्ष्मण मस्तुरिया के कविता : आडियो”
बहुत सुग्घर वाह जी
सवैया के बानी मस्तुरिया के जुबानी
मन भर गे, आदरणीय मस्तुरिया जी ल सादर नमन