देवी देवता के पूजा इस्थान म होथे मड़ाई

गांव-गवई म मेला मड़ाई के बढ़ महत्व हे, गांव के देवी-देवता के पूजा-पाठ कर के ओला खुशी अउ उल्लास के संग मड़ाई के रूप म मानथे, गांव-गांव म मड़ाई-मेला के अपन अलगेच महत्व रहिथे, मड़ाई मेला ह हमर छत्तीसगढ़ी संस्कृति म परमुख इस्थान रखथे , जेन ह परमुख रूप ले आदिवासी देवी-देवता मन के पूजा ले सुरु होथे, तभोले अभी के बेरा में येला सब्बो वर्ग के मनखे मन जुर मिलके 
खुशी ले मनाथे, अउ सब्बो मनखे मिलके बढ़ धूम-धाम से मड़ई म जाथे, जेमा छत्तीसगढ़ कई विशेष तरहा के परम्परिवेश-भूसासृंगार ल देखे के अवसर मिल 000 गांव-गांव म मड़ाई के तिहार दसहरा तिहार के बाद ले सुरु हो जाथे, अउ माघी पुनि के महाशिवरात्रि
तक चलथे जेमा कुछ इस्थान मनके मड़ई ह पूरा छत्तीसगढ़ म परषिद हे, जइसे बस्तर के मड़ाई, बस्तर म सबले जादा मड़ाई के आयोजन करे जाथे, तेखरे सेती बस्तर ल मड़ाई के संसार कहिथे। ओखर बाद नारायणपुर के मड़ाई पूरा छत्तीसगढ़ म परषिद हे।



इंखर बाद अउ बड़े छोटे गांव सहर हे जहा तरहा-तरह के मड़ाई मेला के आयोजन करे जाथे, मड़ाई के आयोजन ल गांव के मनखे अउ सियान मन मिलके करथे, कोन दिन मड़ाई होही येखर दिन के फईसला गांव के सियाu मन करथे, अउ ढोल बाजा के साथ देवता ल गांव के मड़ाई म लाके पूजा-पाठ करथे।
मड़ाई ह थोड़ बड़का रूप लेके मेला के नाव ले सहर अउ गांव म जगह-जगह भराथे अउ देवी-देवता के पूजा के इस्थान म मनखे मन सक्लाथे, जहा सब्बो किस्म के समान बाजार हाट म मिलथे। अपन जरूरत के समान गवई के मनखे मन इँहा ले खरीदके ले जाथे।
धान मिसाये के बाद बिहाव के समय सुरु हो जाथे बिहाव म लग समान ल गंवाई के मनखे मन मेला मड़ाई ले बिसाथे। अउ बड़ खुशी ले मड़ाई मेला मानथे।
   
अनिल कुमार पाली, तारबाहर बिलासपुर छत्तीसगढ़।
प्रशिक्षण अधिकारी आईटीआई मगरलोड धमतरी।
मो.न.-7722906664,7987766416
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