छत्तीसगढ़ी मुहावरे एवं कहावतें idioms and phrase – छत्तीसगढ़ी में ‘मुहावरा’ को ‘मुखरहा’ और ‘कहावत’ या ‘लोकोक्ति’ को ‘हाना’ कहते हैं। वार्तालाप में वक्ता द्वारा अपनी प्रस्तुति को अधिक प्रभावी बनाने के लिए मुखरहा और हाना का बखूबी प्रयोग किया जाता है। बहुप्रचलित मुखरहा और हाना निम्नानुसार हैं –
छत्तीसगढ़ी मुहावरे (मुखरहा) –
‘मुहावरा’ ऐसी पद-रचना है, जो अपने सामान्य अर्थ से भिन्न किसी अन्य अर्थ में रूढ़ हो गया हो। छत्तीसगढ़ी के कुछ मुहावरे मानक हिंदी के मुहावरों के बिलकुल समान हैं, जैसे- ‘अति करना’ लेकिन कई बार मानक हिंदी में जिन शब्दों से मुहावरा बनता है, छत्तीसगढ़ी में उनमें से कोई शब्द बदलकर मुहावरा बना लिया जाता है, जैसे- ‘अंगुली पकडकर हाथ पकङडना’ के लिए ‘अंगठी धर के धरना’ (महरोत्रा: छत्तीसगढ़ी मुहावरा कोश. छत्तीसगढ़ी के बहुप्रचलित मुहावरे इस प्रकार हैं –
अकल लगाना = विचार करना
अंगठी देखाना = उंगली दिखाना
अंग म लगना = अंग में लगना
अंगरी जरना = उंगली जलना
अंधियारी कुरिया = अंधेरी कोठरी
अइसे के तइसे करना = ऐसी की तैसी करना
अकल के अंधवा होना = अक्ल का अंधा होना
अजर-गजर खाना = अलाय-बलाय खाना
अद्धर करना = अलग करना
अपन घर के बडे होना = अपने घर का बडा होना
आँखी-आँखी झूलना = आँखों ही आँखों में झूलना
आँखी-कान मूंदना = आँख-कान मूंदना
आँखी के कचरा = आँख का कचरा
आँखी के तारा = आँख का तारा
आँखी = आँख गड़ाना
आँखी गुडेरना = आँख दिखाकर क्रोध करना
आँखी फरकना = आँख फड़कना
आँखी फार फार के देखना = आँखें फाड़ फाड़कर देखना
आँखी म समाना = आँख में समाना
आँखी मटकाना = आँख मटकाना
आँखी मारना = आँख मारना
आँखी मिलना = आँखें मिलना
आँसू पी के रहि जाना = आँसू पीकर रह जाना
आगी उगलना = आग उगलना
आगी देना = आग देना
आगी बूताना = आग बुझाना
आगी म घी डारना = आग में घी डालना
आगी म मूतना = आग में मूतना
आगी लगना = आग लगना
आगी लगाके तमासा देखना = आग लगाकर तमाशा देखना
आघू-पीछु करना = हीला हवाला न करना
आघू-पीछु घुमना = चमचागिरी करना घुमना
आडी के काडी नि करना = कोई काम न करना
आन के तान होना = कुछ का कुछ हो जाना
आसन डोलना = आसन डोलना
आसरा खोजना = सहारा खोजना
इज्जत कमाना = इज्जत कमाना
उबुक चुकुक होना = डूबना उतराना
उलटा पाठ पढाना = उल्टा पाठ पढाना
एडी के रिस तरवा म चढना = अत्यधिक क्रोधित होना
एक कान ले सुनना = एक कान से सुनकर
दुसर कान से बोहा देना = दूसरे कान से निकाल देना
एक खेत के ढेला होना = एक खेत का ढेला होना
एक ताग नि उखाड सकना = कुछ भी न बिगाड सकना।
एक दु तीन होना = नौ दो ग्यारह होना
एक हाथ लेना दूसर हाथ देना = बराबरी का सौदा करना
एके लवडी म खेदना एक ही लाठी से हाँकना
एती के बात ओती करना = इधर की बात उधर करना
कचर-कचर करना = बकबक करना
कठवा के बइला = काठ का उल्लू
कन्हियाँ टूटना = कमर टूटना
कमर कसना = कमर कसना
करजा बोड़ी करना = कर्ज आदि करना
करम फूटना = भाग्य फूटना
करेजा निकलना = कलेजा निकल आना
काटे अंगरी नि मूतना = कटि अंगूली में न मूतना
कान म तेल डारे बइठना = कान में तेल डालकर बैठना
कान ल कौंआ ल जाना = कान को कौंआ ले जाना
कुल के दिया होना = कुल का दीपक होना
कोन खेत के ढेला होना = किस खेत का ढेला होना
कोरा भरना = गोद भरना
कोरा म लेना = गोद में लेना
खटपट होना = यथावत
खटिया धरना = खाट पकडना
खांध देना = कंधा देना
खाक छानना = खाक छानना
खाए के दाँत अलग = खाने के दाँत अलग और
देखाए के दाँत अलग = दिखाने के दाँत अलग होना
खुसुर पुसुर करना = खुसुर फुसुर करना
गंगा नहाना = गंगा स्नान करना
गडे मुरदा उखाङना = गडे मुर्दे उखाङना
गरवा पुछी छुना = गाय की पूँछ छूना
गांड जरना = मलद्धार जरना
गुड गोबर करना = गुड गोबर करना
गोड धोके पीना = पैर धो के पीना
परना = गांठ पडना
घुचुर-पुछुर करना = आगे-पीछे करना
चारी करना = चुगली करना
चुरी उतरना = विधवा होना
चुरी पहिराना = चूडी पहनाना
छाती म दार दरना = छाती पर मूंग दलना
जरे म नून = जले पर नमक छिडकना
जहाँ गुर तहाँ चाँटा होना = जहाँ गुड वहाँ चिंटा होना
जुच्छा हाथ होना = खाली हाथ होना
जे थारी म खाना ओही म छेदा करना = जिस थाली में खाना उसी में छेद करना
झक मारना = झक मारना
टुकुर-टुकुर देखना = टुकुर-टुकुर देखना
पीटना = टिंडोरा पीटना
डेरी हांथ के खेल होना = बाँए हाथ का खेल होना
तिडी-बिडी होना = तितर बितर होना
दाँत ल खिसोरना = दाँत निपोरना
धरती म पाँ नि मढाना = जमीन पर पैर न रखना
नाक कटोना = नाक कटाना
नाक घसरना = नाक रगड्ना
पहुना बनना = मेहमान बनना
पाठ-पीढा लेना = शिक्षा-दीक्षा लेना
पिंजरा के पंछी उड जाना = पिंजरे का पंछी उड जाना
पुदगा नि उखाड सकना = बाल न बाँका कर सकना
पेट म आगी बरना = पेट में चूहे कूदना
पोटार लेना = गले लगना
फूटहा आँखी म नि सुहाना = फूटी आँख न सुहाना
बनी भूति करना = मजदूरी करना
भोरका म गिरना = गडढे में गिरना
माटी के माधो = गोबर गणेश
मीट लबरा होना = मीठी छुरी होना
मुंह करिया कर डारना = मुंह काला कर डालना
मुड्भसरा गिरना = सिर के बल गिरना
मोर चिरई के एक गोड = मेरी मुर्गी की एक टांग
लुगरा चेंदरा तक बेचा जाना = कंगाल हो जाना
एक हंसिया के टेडगा होना = अनुशासन में रखना
हर्रा लागय न फिटकरी = हर्रा लगे न फिटकरी
हाथ उचाना = हाथ उठाना
हाथ झर्राना = पल्ला झाडना
हाडा गोड नि बाचना = हड्डी पसली न बचना।
शोधार्थी – राजेन्द्र कुमार काले, रायपुर. निदेशक – चित्तरंजन कर
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