अ के अमली खूबिच फरगे। आ के आंखी देखत जरगे। इ इमान ल मांगिस मंगनी। ई ईहू हर लाइस डंगनी। उ उधो ह दौड बलाइस। ऊ ऊघरू ल घला बलाइस। ऋ ऋ के ऋषि हर लागिस टोरे। सब झन लागिन अमली झोरे॥ ए ए हर एक लिहिस तलवार। ऎ ऎ हर लाठी लिंहिस निकार ॥ ओ ओहर ओरन ल ललकारिस। औ औहर बोला कोहा मारिस॥ अं अं के अंग हर टूटगे| अ: अ: ह अअ: कहत पहागे।
वर्णमाला के व्यंजन
क क के कका कमलपुर जाही। ख ख खरिया ले दूध मंगाही। ग गनपत हर खोवा अँउटाही। घ घर घर घर ओला बंटवाही। ड ड पढ़ गपल हम खोबोन। तब दूसर आन गीत ला गाबोन। च चतरू हर गहना पहिरिस। छ छबिलाल अछातेन बरजिस। ज जनकू हर सुन्ना पाइस। झ झट झट ओला मारिच डारिस। झन गहना पहिरौ जी गिंया ञ ञपढ़ ञ पढ़ पढञ। ट टेटकू ह आवत रहिस। ठ ठकुरी हर घला रहिस। ड डियल बावा हर आईस। ढ ढकेल खंझरी बनाईस। ण ण ण कहिके डेरवाइस। बम बम बम कहत फरइस। त त तरकारी भात बनायेन। थ थ थरकुलिया दार मंगायेंन। द द देवी ला घला चघायेन। ध धनऊ संग सब झन खायेव। न न नदिया के पानी पीबोन। अब हम आन गीत गाबोन।
सुकलाल प्रसाद पाण्डेय वर्णमाला संबंधी गीत रचनाकाल – 1906 बाल पहेली म संकलित