कभू-कभू मोर मन मं,
ये सुरता आवत हे।
इडली-दोसा ह संगी,
सबो झन ल मिठावत हे।
चिला-फरा ह काबर,
कोनो ल नइ भावत हे।
छत्तीसगढ़ी बियंजन ह,
छत्तीसगढ़ मं नंदावत हे।
दूसर के रंग मं संगी,
खुद ल रंगावत हे।
बासी-चटनी बोजइया,
पुलाव ल पकावत हे।
पताल के झोझो नंदागे,
मटर-पनीर सुहावत हे।
छत्तीसगढ़ी बियंजन ह,
छत्तीसगढ़ मं नंदावत हे।
अंगाकर के पूछइया,
पिज्जा हट जावत हे।
बोबरा-चौसेला छोर के,
सांभर-बड़ा सोरियावत हे।
भुलागे खीर बनाय बर,
लइका ल मैगी खवावत हे।
छत्तीसगढ़ी बियंजन ह,
छत्तीसगढ़ मं नंदावत हे।
तिहार मं नइये संगी,
ठेठरी-खुरमी खवइया।
आजकल के बहू भइया,
नवा-नवा रोटी बनइया।
अइरसा-पोपची भुला के,
नमकीन-गुजिया बनावत हे।
छत्तीसगढ़ी बियंजन ह,
छत्तीसगढ़ मं नंदावत हे।
अपन भाषा,अपन बोली,
बचावव नारा लगावत हे।
जेने ह नरियावत हे।
तेने ह मिटावत हे।
छोर के हमर भाषा,
अंग्रेजी मं गोठियावत हे।
छत्तीसगढ़ी भाषा ह,
छत्तीसगढ़ मं नंदावत हे।
कु. सदानंदनी वर्मा
रिंगनी{सिमगा}
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