कहानी

चुनाव अउ मंदहा सेवा

चुनाव तिहार के बेरा आवत देख मंदहा देवता हा अइलाय भाजी मा पानी परत हरियाय बरोबर दिखे लगथे।थोकिन अटपटहा लगही कि मेहा मंदहा ला देवता कहि परेंव फेर चुनाव के बेरा मा सबके बिगड़ी बनइया काम सिधोइया इहीच हा आय। जइसे चुनाव के लगन फरिहाथे दिन तिथी माढ़थे तब गाँव के मंदहा समूह के खुशी ला झन पूछ ,शेर बर सवा शेर हो जाथे।
मंदहा ला का चाही, तीन बेर पीना शेर बरोबर जीना।
अब तो कोनो संस्था , समाज, लोकतंत्र के चुनई हा बिगर मंद, मंदहा के निपट जाही कहिबे ता लबारी आय।चुनाव बेरा आइस तहान मंदहा देवता के पूजा शुरु। अन्ते बेरा मा जेन ओकर घर मा थूँकेबर नइ जाय चुनाव मा चाटे बर जथे।आज हर पार्टी हा मंदहा के सेवा बर दूनो हाथ जोड़के एक पाँव मा खड़े हो जथे। ओहा जेन चढ़ावा माँगथे , देयबर तैयार हो जथे।
मंदहादेव मन त्रिदेव, पंचपरमेश्वर के समूह घलाव बना लेथे।एक गाँव मा दू-तीन समूह ले जादा घलाव रहिथे।हर पार्टी बर अलगेच अलग समूह मन बूता करथे। चुनाव तिथि के घोषणा पाछू पार्टी के जिला, ब्लाक पदाधिकारी मन इकर सेवा करे अउ मेवा पाय बर खोजत दउड़त आथे। जौन पार्टी संग भाव ठस जथे उँकर भाग खुल जथे। मंदहा मन के पंन्दरा महिना दिन के पीये खाय के बेवस्था हो जथे। घर वाले मन कुछ बोल नइ सकय काबर कि अब एमन पचास पचीस माँगे के जगा घर मा ओतकी लान के देथे अउ भामाशाह बन जथे। घर के सब बूता छोड़ छाड़ के चुनाव के बूता ला राष्ट्रीय धरम समझके निभाय बर समूह मा भिड़ जथे।
बिहनिया ले तैयार होके पार्टी कार्यालय जाके अपन पहिचान बर टीशर्ट, टोपी, गमछा, पहिरथे।बेनर, पोस्टर, पाम्पलेट, पर्चा,स्टीकर, झंडा,बेनर, अउ जरुरत के जतका जिनिस रथे ओला गाड़ी मा जोरथे। नास्ता पानी के संग बिहनिया के तरपनी लेथे।अउ निकल जथे परचार मा।मंदहा मन जतका दिन तक पार्टी मा बने रथे ओतका दिन ले ईमानदारी ले चंदन मा लपटाय साँप बरोबर संग देथय। सादा मनखे हा तो पार्टी ले गाय अउ शेर असन दुरिहा बनाय रहिथे।
सब जानथे आज के बेरा मा कोनों रैली, सभा ला सफल करेबर कतका पसीना बोहायबर परथे। फेर मंदहा समूह के रहे ले ये बोझा कतका हरु हो जथे।सादा मनखे रैली मा एक तो आवय नइ दूसर कोनों ला लावय नइ। ये बखत मंदहा समूह हा हनुमान बरोबर आके संजीवनी बूटी के पहाड़ लान देथे।मंदहा समूह हा सब बूता मा निपुण रहिथे। बेनर पोस्टर लगाना, पर्चा पाम्पलेट बाँटना , नारा लगाना, अपन उम्मीदवार के बखान करना सब एक पाव चढ़े के पाछू लघियाँत हो जथे। मंदहा मन अपन उम्मीदवार के अतका गुण बताही जइसे बचपना ले एके तरिया मा नहाय हे, एके पतरी मा भात खाय हे।घर मा रोजेच आना जाना हे।सादा मनखे मन नारी परानी, बेपारी, बड़हर, निच्चट गरीब कर परचार मा जाय बर छिनमिनाथे।मंदहा बर ये सब एक बरोबर आय।गहिरा बरोबर सबो ला एक ला उडठी मा हाँक डारथे।
गाँव मा कभू कभू ये मंदहा समूह मन लड़ई घलाव करवा देथे।अपन मालिक के वफादार कुकुर दूसर गली के कुकुर ला आवत देखतेच गुरेरथे, भुँकथे अउ झपट पड़थे अइसने अलग अलग पार्टी बर सेवा देवइया मन लड़ पड़थे। सेवा मा कोनों परकार के कमी हो जाय तब ये देवता मन भस्मासुर बन जथे।कतको घाँव पार्टी वाले मन ला अंगठा अउ डुँड़ी अंगठी देखावत धमकी घलाव दे देथे। अब मंदहा के काय बिगाड़ लेहीं।मंदहा मन बिगड़ जहीं ता पार्टी अउ उम्मीदवार के सबो बिगड़ जही।ऐकरे सेती सबो पार्टी मन मंदहा देव के पूजा करथेअउ नराज झन होवय तेकर उदिम करथे।

हीरालाल गुरजी “समय”
छुरा, जिला-गरियाबंद

Share
Published by
admin