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गोठ बात

दाई के आँखी मा आंसू

बिसाहिन अबड़ेच कमेलिन तो रहय। गवन आइस अउ बिहान दिन ले खेत जाय के सुरु करे रहिस। उमर 65 बच्छर होगे फेर कमइ ल नी छोड़े हवय। चार बेटा के महतारी नाती नतनीन वाली होगे हवय, फेर कमइ मा बहूमन नी सकय। अपन हाथ मा सियानी करत 48 बच्छर बिता डरिस। अपन रहे के पुरतिन घर कुरिया, बोय खाय के पुरतिन खेत पहिलीच बना डरे रहिस। बेटामन के बिहाव करे पाछू सब ल हिल्ले हिल्ले लगा दिस। सबोमन अपन लोग लइका ल धर के आन सहर मा जियत खात हे।
एक दिन ओकर बड़े बेटा पोष्टमास्टर ह गांव आइस। पांव पलगी करे के पाछू गांव गली किंजरेबर निकल गे। संझौती घर आइस त दाई के आँखी मा आंसू देख परिस। पहिली तो समझिस कि चुल्हा मा आगी सिपचाय होही तेकर गुंगवा के सेती आँसू आय होही। फेर लगिस कि,दाई ह तो गैस सिलेंडर मिले चुल्हा मा रांधत हवय। ओकर आँखी मा आंसू कइसे आय हवय। दाई ह फेर एक बेर लुगरा के अछरा मा आंसू ला पोंछिस। कुरसी मा बइठत मास्टर हा पूछिस- दाई तोर आँखी मा आंसू कइसे आवत हे। डाक्टर ल देखायबर लागही का ?
दाई ह कहिस- नहीं, ये हा डाक्टर देखाय वाला आँसू नोहय।
मास्टर कहिस- का बात आय तौन ला फोरिया के बताबे तब जानबो दाई..।
दाई कहिस – का दुख ल गोठियांव।
इहाँ दुख हा बाढ़ते जात हे कम होय के नावेच नी लेवय।




बने गांव मा पेंसन मिलत रहिस। सरपंच सचिव मन लान के देवय। अब बैंक मा सीधा आही कहिके बैंक खाता खोलवा दिस। दू – तीन महिना बने आइस घलाव। अब तीन महिना पूरगे, बैंक मा पेंसन के आरो नी मिलत हे। बैंक वाले मन खिसियाथे अलग, पंचायत सचिव सूची भेजही तब देबो कहिथे। घाम पियास मा जाय रबे अउ जुच्छा आय बर परथे। एकरे सेती आँखी मा आंसू आ जाथे। पंचायत मा सचिव ला पूछेंव तब बताइस कि सरकार ह पइसा भेजेच नइ हे। तब हमन सूची नी बनाय हन अउ बैंक मा भेजे नइ हन।
फसल बीमा करवाय रहेन, अंकाल परही ता जोरा हो जाही कहिके। सब साहब मन गांव मा बताय बर आय रहिन। अंकाल घोसित होही ता बीमा के पइसा ये मन देही कहिस। फारम भरेंव अउ पइसा घलो देहंव। अंकाल घोसित होगे घलो, फेर सुनत हन कोनो ल चार सौ,कोनों ल छै सौ मिलत हे। हमर तो खेत कमती हावय, कोन जनी मिलही घलाव कि नहीं। अंकाल मा एक तो धान नइ होइस, उपर ले बीमा वाले पइसा लेगे,अब ठगत हे। हमर तो दुधो गे अउ दुहना गे। एकरे सेती आँखी मा आंसू आ जाथे।
दू सौ रुपया मा सिलेंडर चूल्हा तो सरकार दे दिस। रगी छुट्टी मा सबो नाती नतनीन मन आय रहिन। उही बखत के रंधई मा पन्द्रही होइस हे सिलेंडर के गैस सिरागे। भरवायबर आठ सौ चालीस रुपया लागगे। तोर पटेल कका ला तुरते करजा मांग के भरवाय हंव। छेना लकड़ी मा रांधत बुढ़ागेन, अब के नवा बहूमन के चरित्तर ल देख के गैस सिलेंडर बँटवा दिस। फोकट मा दार भात चुरत रहिस तब काकर आँखी फूटगे। अब आठ सौ रुपया गने मा आँखी डहर ले आंसू आ जाथे। पेंसन अउ बीमा पइसा ला बैंक मा पूछेबर घेरी बेरी जवई मा कतको पइसा सिरात हे। डीजल गे भाव बाढ़गे कहिके बस वाले जादा पइसा मांगथे। एकरे सेती आँखी मा आंसू आ जाथे।
ओ दिन अस्पताल गे रहेंव। स्वास्थ्य कारड ला मांग के देखिस, ओमे के एकोच पइसा खरचा नइ होय रहिस। उहाँ के कम्पूटर चलाइया कहिस-एहा लेप्स हो जाही दाई, अउ दू दिन ले भरती करके गुलुकोस बाटल ला चढ़ाय रहिस। कोन जनी कतका रुपया ला काट लीन। सचिव भाँचा ल बताएंव तब मोला खिस्यात रहिस।




अगहन महिना मा पंचायत मा जाके सौचालय बनाहूं कहिके गोहार बिनती करे रहेंव। आधार कारड ला जमा करेंव । उपसरपंचीन ह पास कराइस घलाव। एक किस्त के पइसा बैंक खाता मा आय रहिस। कोमल पंच हा गांवभर के सौचालय ला बनाके देहूं कहिके ठेका लेय रहिस। गड्ढा कोड़के उपर मा चारो मुड़ा देवाल खड़ा कर दिस। अब दुसरइया किस्त आय नइ हे। सौचालय मा कपाट, छत,सीट लगाय के अधवन परे हे। जेठ आधा होगे, बरसात आ जही तब कब बनाही कहिके गुनत गुनत आँखी मा आंसू आ जाथे। उपर ले पंचायत के बोर के मोटर अठोरिया होगे जल गे हावय। नल मा पानी बंद हे। कोतवालिन घर ले पीये बर पानी लाथंव।
इही गांव मा गवन आयेंव, चार लइका के महतारी बनेंव,अब इही भुइयाँ के माटी मा समाहू कहिके टरत नइ हंव। फेर नवा नवा बेवस्था के देखत आँखी मा आंसू आ जाथे। दाई के गोठ ल सुनके मास्टर के आँखी घलाव डबडबा गे फेर काय कर सकत हे?

हीरालाल गुरुजी “समय”
छुरा, जिला- गरियाबंद