देवी सेवा गीत

झूला झुले निमुवा के डार,
भवानी मइया मोर अँगना।
छागे ख़ुशी के इंहा बहार,
खनकन लगे मोर कंगना।।

गोबर मगायेंव खुंट अँगना लिपायेंव।
रिगबिग चुकचुक ले चउंके पुरायेंव।।
चन्दन पिढ़ा फुलवा के हार,
भवानी मइया मोर अँगना।
झूला झुले निमुवा के डार,………….

रेशम चुनरी अउ कलशा सजायेंव।
पांव में आलता बिंदियाँ लगायेंव।।
नौ दिन राती करौं सिंगार,
भवानी मइया मोर अँगना।
झूला झुले निमुवा के डार,…………

हँस हँस के सबो झुलना झुलायेंन।
माँग में सिन्दुर के आशीष पायेन।।
बिनती निषाद के मया दे अपार,
भवानी मइया मोर अँगना।
झूला झुले निमुवा के डार,…………



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जोत जलत हे मइया,जोत जलत हे।
जगमग-जगमग,जोत जलत हे माँ।।

फूल फुलवारी सोहे,अँगना दुवार ओ।
भुवन सजे हे सुघ्घर,आ गे तिहार ओ।।
बने तोर रूप मइया,जोगनी बरत हे।
जगमग-जगमग,जोत जलत हे माँ।

आ गे नवरात माई,महीना कुंवार के।
जुरे नर-नारी सबो,देखतहे निहार के।।
तोर गुन गावत-झुपत,चरन परत हे।
जगमग-जगमग,जोत जलत हे माँ।

दाई तोर कोरा में,महुँ ल बइठार लेबे।
आयेंव मैं तोर दुवारी,मोला तैँ तार देबे।।
सबो मिल दाई तोर,सेवा ल करत हे।
जगमग-जगमग,जोत जलत हे माँ।

बोधन राम निषाद राज
स./लोहारा , कबीरधाम (छ.ग.)

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