Dinesh Gautam

कबिता : चंदा

रोज रात के आवै चंदा,अउ अंजोर बगरावै चंदा।सुग्घर गोल सोंहारी बनके,कतका मन ललचावै चंदा।होतेच संझा चढ़ अगास मा,बादर संग इतरावै… Read More

14 years ago