Dr.Raghavendra Kumar “Raj”

घाम बइसाख-जेठ के : कबिता

बइरी हमला संसों हे, बीता भर पेट के।खोई-खोई भुंज डरिस, घाम बइसाख जेठ के।तिपत हे भुइंया, तिपत हे छानी।तात-तात उसनत… Read More

13 years ago

दमांद बाबू : कबिता

मही म रांधे हे, नोनी भुंज बघार के।ले-ले सुवाद, 'दमांद बाबू' भाजी बोहार के।डारे हे नोनी मिरचा के फोरन।कब चुरही… Read More

14 years ago

नान्हे कहिनी : सात फेरा

नोनी रूखमनी ह अपन परिचय देवत कहिथे आदमी अपन मन ले सुखी अऊ दु:खी होथे। मैं हां तुंहर पांव बनहू।… Read More

14 years ago