ए डेढ़ सौ साल म सबले बड़े बात उंखर मन के बारे म बताये लाईक हावय तेन ए आय के ओमन अभी घला एही गुरतुर भाखा म ही गोठ बात करथें। अउ अब ओमन असम राज्य के सब कोती अपन नाव अउ पहिचान बना डारे हांवय। कोनो बेरा के मज़दूर मन के वंसज मन आज पढ़ लिख के बड़े-बड़े पद म बूता करत हें अउ बिधायक अउ सांसद तक बन गए हें। बेपार म घला ओमान खूब आघू बढ़ गे हांवय।
थोर किन मन म बिचार कर के देखव के इन्हां ले अढ़ाई हज़ार किलोमीटर दूरिहा जाये के बाद आप मन ल छत्तीसगढ़ी बोल के स्वागत करै अउ उँहा जतका दिन राहव आप ल एही भासा म ही गोठियाये के मौका मिलत राहय, अउ तो अउ आप सांझ कुन चाय बगान के बीच बसे कोनो गाँव पहुँच जाव जिंहां मांदर बजा के मनखे मन सुआ अउ ददरिया गावत राहय त कईसे लागही। सचमुच अद्भुत आनंद के जघा आय हमर असम के प्रवासी छत्तीसगढ़िया मन के बस्ती मन।
इही बस्ती मन ले दू अढ़ाई दर्ज़न छत्तीसगढ़िया भाई बहिनी मन के एक ठन दल रायपुर आवत हे। एक ठन परिचर्चा या गोठ बात म सामिल होये बर, जेला छत्तीसगढ़ सरकार के संस्कृति विभाग हर आयोजित करत हे, अपन महंत घासीदास संग्रहालय के हाल म। ‘पहुना संवाद’ नाव के कार्यक्रम म हमर असमिया सगा मन के इतिहास ले लेके आज तक के बारे म जाने के मौका मिलही अउ एहू सोचे में घला मौक़ा मिलही के हमन संस्कृति अउ भासा के बारे म ओमन से का सीख सकत हवन अउ उंखर मन बर काय कर सकत हवन।
अशोक तिवारी