पं. सुन्‍दर लाल शर्मा

छत्‍तीसगढ़ के गांधी

Chhattisgarh ke gandhi

सुन्‍दरलाल सरमा के जन्‍म पूस अमावस्‍या वि.स.1938 (सन् 1881) म ग्राम चमसूर में मालगुजार पं. जियालाल त्रिपाठी के घर होय रहिस। उकर प्राथमिक सिक्‍छा राजिम में अउ अंग्रेजी संस्‍कृत बंगला मराठी उडि़या भासा के गियान उनला घरेच म होय रहीस। सरमा जी 1905-06 ले राजनीति म भाग लेहे लगिन। स्‍वदेसी आंदोलन अउ अछूत मन के उद्धार के कारन गांधी जी उन ला अपन गुरू माने रहिन। शर्मा जी छत्‍तीसगढ़ के प्रमुख स्वाधीनता संग्रामी रहिन, ओ मन उच्‍च कोटी के कवि घलोक रहिन। शर्मा जी ठेठ छत्तीसगढ़ी म काव्य सृजन करे रहिन। पं. सुन्दरलाल शर्मा ल महाकवि कहे जाथे। किशोरावस्था ले ही सुन्दरलाल शर्मा जी लिखे लगे रहिन। ओ मन ल छत्तीसगढ़ी अऊ हिन्दी के संग संस्कृत, मराठी, बगंला, उड़िया अउ अंगरेजी आत रहिस। सन् 1898 अउ 1912 के बीच उन हिन्दी अऊ छत्तीसगढ़ी म बाइस पुस्‍तक मन के रचना करिन। सुतंत्रता आंदोलन के बखत उन कई बार जेल गइन। इन महान क्रान्‍तिकारी कवि के नि‍धन 28 दिसम्बर 1940 के हो गीस। स्वतन्त्रता सेनानी पं. सुन्दरलाल शर्मा जी देश के आज़ादी ल नइ देख पाइन।

छत्‍तीसगढी़ दानलीला

छत्‍तीसगढी़ दानलीला उंकर अक्षयकीर्ति के आधार आय। दानलीला के भूमिका म रायबहादुर हीरालाल ह लिखे हावयं, मेरी राय में जउने हर एला बनाइस है त उने हर नाम कमाइस हे क्‍योंकि भविष्‍य में छत्‍तीसगढ़ी का प्रथम कवि इस दानलीला का कर्ता ही समझा जावेगा।
गुरतुर गोठ म संजोए उंखकर रचना –