साहित्य वाचस्पति
छत्तीसगढ़ के महान पुरातत्ववेत्ता पंडित लोचन पाण्डेय के जनम पूस सूक्ल दसमीं दिन मंगलवार याने 4 जनवरी 1886 म महानदी के तट कछार म बसे गांव बालपुर (चांपा-जांजगीर-जिला ) म होय रहिस। 1902 म सम्बलपुर हाईस्कूल ले मिडिल स्कूल परीक्षा अउ उहेंच ले 1905 म उन एन्टरेंस के परीक्षा परथम स्रेनी म पास करे रहीन उन गद्य अउ पद्य म 24 ठन किताब लिखे रहीन। जेमा कविता कुसुम माला (संपादन), मेंवाड़ गाथा, पद्म पुष्पांजली अड़बड़ परसिद्ध हवय। केदार गौरी अउ मृगी दुखमोचन आपके कालजयी रचना आय। इन महान पुरातत्वबेत्ता के निधन 18 नवम्बर 1959 म तिहत्तर बरिस के उमर म होइस।
आचार्य रामचंद सुक्ल के अनुसार सं. 1962 से ही इनकी कविताएं सरस्वती तथा मासिक पत्रिकाओं म निकलने लगी थी। मृगी दुख मोचन में इन्होंने सवैया में एक मृगी का अत्यन्त दारूण परिस्थिति का वर्णन सरस भाषा में किया है जिससे पशुओं तक पहुंचने वाली इनकी व्यापक और सर्वभूत दयापूर्ण काव्य दृष्टि का पता चलता है। (हि.सा.का इतिहास पृ.466 संस्करण 2008)
गुरतुर गोठ म संजोए उंखर रचना –