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जीवन परिचय

सुरता: लोक संगीत म जीवन ल समर्पित करइया महान कलाकार – खुमान साव

कोनो भी अंचल के संस्कृति वो क्षेत्र के पहिचान होथे. येमा वोकर आत्मा ह वास करथे. जब अपन संस्कृति ल जन मानस समाज ह कोनो मंच म प्रस्तुति के रूप म देखथे त ऊंकर हिरदे म गजब उछाह भर जाथे. ढाई करोड़ के आबादी वाला हमर छत्तीसगढ़ के लोक संस्कृति के अलगे पहिचान हे. येला जन जन तक बिखेरे म जउन महान कलाकार मन के हाथ हे वोमन म स्व. दुलार सिंह साव मंदराजी, स्व. दाऊ रामचंद्र देशमुख, स्व. महासिंग चन्द्राकर, स्व. हबीब तनवीर, स्व. देव दास बंजारे, स्व. झाड़ू राम देवांगन, श्रीमती तीजन बाई, स्व. केदार यादव, स्व. लक्ष्मण मस्तुरिया,स्व.शेख हुसैन, झुमुक दास बघेल, निहाई दास मानिकपुरी, ममता चन्द्राकार, कविता वासनिक, पूना राम निषाद, लालू राम साहू, स्व. मदन निषाद, स्व. गोविन्द निर्मलकर,माला मरकाम, फिदा बाई मरकाम, सूरुज बाई खांडे, चिन्ता दास बंजारे, रामाधार साहू, दीपक चन्द्राकार, शांति बाई चेलक, स्व. भैया लाल हेड़ाऊ,स्व.गंगा राम शिवारे, बद्री विशाल यदु परमानंद,शिव कुमार तिवारी, मिथलेश साहू, घुरवा राम मरकाम, डॉ. पीसी लाल यादव, शिव कुमार दीपक, नवल दास मानिकपुरी अउ संगीतकार श्रद्धेय स्व. खुमान साव के नांव ल आदर के साथ लेय जाथे. स्व. साव जी ह अपन साधना के बल म छत्तीसगढ़ी लोक संगीत ल खूब मांजिस. हमर लोक गीत ल पश्चिमी अउ फिल्मी संस्कृति ले बचा के माटी के खुशबू ल बिखेरिस. खुमान साव ह छत्तीसगढ़ के नामी कवि अउ गीतकार मन के गीत ल संगीतबद्ध कर के चंदैनी गोंदा के मंच म प्रस्तुति दिस.
छत्तीसगढ़ी गीत संगीत बर समर्पित खुमान साव के जनम 5 सितंबर 1929 म राजनांदगॉव के खुर्सीटिकुल (डोंगरगॉव) म होय रिहिस. बाद म ठेकवा (सोमनी )म बसगे. वोकर बाबू जी के नांव टीकमनाथ साव रिहिस. खुमान ल लोक गीत- संगीत के घर म सुग्घर वातावरण मिलिस काबर कि वोकर बाबू जी ह हारमोनियम बजाय. लइका खुमान ह घर म हारमोनियम बजाय म धियान लगाय. फेर वोहा रामायण मंडली म हारमोनियम बजाय ल शुरु करीस. खुमान ह नाचा के भीष्म पितामह स्व. मंदराजी दाऊ के मौसी के बेटा रिहिस .मंदरा जी दाऊ ह खुमान ल हारमोनियम बजाय बर प्रोत्साहित करे. खड़े साज म वोहा पहिली बार 13 साल के उमर म बसन्तपुर (राजनांदगॉव) के नाचा कलाकार मन सँग हारमोनियम बजइस. मंदरा जी दाऊ द्वारा संचालित रवेली नाचा पार्टी म वोहा 14 साल के उमर म शामिल होगे. वो हर नाचा म हारमोनियम म लोक धुन के सृजन कर छत्तीसगढ़ के माटी के महक ल बिखेरे के जब्बर काम करिस. साव जी ह बी. ए. तक शिक्षा प्राप्त करे रिहिस. वोहर म्युनिसीपल स्कूल राजनांदगॉव म शिक्षक रिहिस.
साव जी ह सन 1950-51 म राजनांदगॉव म आर्केस्टा पार्टी घलो चलाइस. छत्तीसगढ़ के कतको शहर के सँगे सँग महाराष्ट्र अउ मध्यप्रदेश म आर्केस्टा के प्रस्तुति दिस. धीरे से वोकर मन ह आर्केस्टा डहर ले उचट गे. 1952 म सरस्वती कला मंडल के गठन करीस. खुमान साव जी के प्रतिभा ल देखके दाऊ रामचंद्र देशमुख ह अब्बड़ प्रभावित होगे रिहिस. 1952 म दाऊ रामचंद्र देशमुख के गांव पिनकापार (बालोद )म मंडई के समय म नाचा होइस. ये कार्यक्रम म देशमुख जी हा साव जी ल हारमोनियम बजाय बर बुलाइस.1953 म घलो अइसने होइस.ये कार्यक्रम के अइसे प्रभाव पड़िस कि रवेली अउ रिंगनी नाचा पार्टी के विलय होगे. काबर कि येमा रवेली अउ रिंगनी पार्टी के संचालक मन ल छोड़ के बाकी नामी कलाकार मन ह आमंत्रित होय रिहिस हे. लोक संगीत अउ कला डहर कुछ अलग काम करे के इच्छा के सेति वोहा 1960 म शिक्षक सांस्कृतिक मंडल के गठन करिस. येमा भैया लाल हेडाऊ, गिरिजा सिन्हा, रामनाथ सोनी जइसे बड़का कलाकार मन शामिल होइस.
साव जी ह सबले पहिली स्व. रामरतन सारथी के 3 गीत मोला मइके देखे के साध, सुनके मोर पठौनी परोसिन रोवन लागे, सोन के चिरइया बोले ल लयबद्ध करिस. 1971 म आकाशवाणी रायपुर म वोकर संगीत निर्देशन म गाना रिकार्ड होइस .भैया लाल हेड़ाऊ अउ दूसर कलाकार मन ह गीत गाइस.
दाऊ रामचंद्र देशमुख ह रेडियो म खुमान साव अउ ऊंकर कलाकार मन के गीत ल सुनिस त साव जी ल अपन गांव बघेरा बुलाइस. वो समय दाऊ जी ह छत्तीसगढ़ के लोक कलाकार मन ल सकेल के सांस्कृतिक पुनर्जागरण के उदिम करत रिहिस. साव जी ह दाऊ रामचंद्र देशमुख द्वारा स्थापित चंदैनी गोंदा म हारमोनियम वादक के रूप म जुड़गे. चंदैनी गोंदा म साव जी ल अपन प्रतिभा देखाय के सुग्घर मौका मिलिस. चन्दैनी गोंदा के प्रसिद्धी म संगीत पक्ष के गजब रोल रेहे हे. येकर श्रेय खुमान साव ल जाथे जउन ह अपन साधना के बल म नामी कवि /गीतकार लाला फूलचंद, द्वारिका प्रसाद तिवारी विप्र, रविशंकर शुक्ल, पवन दीवान, प्यारे लाल गुप्त, कोदू राम दलित, राम रतन सारथी, लक्ष्मण मस्तुरिया के गीत ल संगीतबद्ध करके चंदैनी गोंदा म प्रस्तुति दिस. साव जी ह मोर संग चलव रे…, धन धन मोर किसान, घानी मुनी घोर दे, छन्नर छन्नर पैरी बाजे, चिटिक अंजोरी निर्मल छइंहा, मोर धरती मइया जय होवय तोर, पता ले जा रे गाड़ी वाला, बखरी के तुमा नार बरोबर, मोर खेती खार रुमझुम जइसे कतको छत्तीसगढ़ी गीत ल संगीत दिस. ये गीत मन हा अब्बड़ लोकप्रिय होइस अउ आजो जनता के जुबान म बसे हे. छत्तीसगढ़ी लोकगीत गौरा गीत, सुवा गीत, बिहाव गीत, करमा ये मन ला लयबद्ध करे म ऊंकर गजब योगदान हवय.
लोक संगीत के ये महान कलाकार से मोर पहिली भेंट 17 मार्च 2002 म दिग्विजय स्टेडियम के सभागार म आयोजित साहित्यिक कार्यक्रम म होय रिहिस.
दूसरइया भेंट मानस भवन दुर्ग मा आयोजित छत्तीसगढ़ी साहित्य समिति के प्रांतीय अधिवेशन म होइस .इहां के एक संस्मरण बतावत हवँ. कार्यक्रम ह चालू नइ होय रिहिस. साहित्यकार /कलाकार मन के पहुंचना जारी रिहिस. नामी साहित्यकर दानेश्वर शर्मा जी, खुमान साव जी सहित पांच -छै साहित्यकार स्वागत द्वार के पास खड़े होके एक दूसर ला पयलगी /जय जोहार करत रेहेन. इही बीच एक नव जवान कवि ह अइस अउ साव जी ल नइ पहिचान पाइस. हमर मन ले वो नव जवान कवि ह पूछे लागिस कि ये सामने म खड़े हे वोहा कोन हरे. मेहा साव जी के परिचय बताय बर अपन जबान खोलत रेहेंव त साव जी ह मोला रोक दिस अउ ओकर से पूछिस कि पहिली तँय ह बता तैंहा कोन गांव के हरस. नव जवान सँगवारी ह बोलिस – मेहा बघेरा (दुर्ग) के रहवइया अंव.
साव जी ह बोलिस कि- तैंहा बघेरा के हरस तब तो मोला तोला जानेच ल पड़ही. अउ मोर नांव नइ बता पाबे त तोला मारहू किहिस “. ये बात ल सुनके वो नव जवान ह सकपकागे!
वइसे मेहा साव जी के अख्खड़ स्वभाव ले परीचित रेहेन त देरी नइ करत वोला बतायेंव कि – यह महामानव चंदैनी गोंदा के संचालक आदरणीय खुमान साव जी हरे. अइसन सुनके वोहा तुरते साव जी ल पयलगी करिस. जे साव जी ह वोला मारहू केहे रिहिस वोहा वोकर मुड़ी म हाथ रखके आशीर्वाद प्रदान करिस. ये प्रसंग म हमन मुस्कात रहिगेन.
फेर साव जी ह नम्र स्वभाव ले वोकर से किहिस कि – तैंहा बघेरा रहिथो केहेस तेकर सेति केहेंव कि मोला जाने ल पड़ही .फेर वो नव जवान ल पूछिस कि दाऊ रामचंद्र देशमुख जी ल जानथस? श्री विश्वंभर यादव मरहा जी ल जानथस? त वोहा किहिस कि हव दूनों ल जानथव.
साव जी ह बोलिस कि महू ह दाऊ रामचंद्र देशमुख जी के घर रिहर्सल मा आंव जी .तेकर सेति तोला केहेंव रे बाबू कि मोला तोला जाने ल पड़ही.
ये घटना ले पता चलथे कि साव जी ह नारियल जइसे ऊपर ले
कठोर जरूर दिखय पर अंदर ले गजब नरम स्वभाव के रिहिस.
साव जी ह हमर साकेत साहित्य परिषद् सुरगी जिला राजनांदगॉव के वार्षिक समारोह म चार बेर पहुंचिस. 2012 म करेला (खैरागढ़) भवानी मंदिर मा आयोजित कार्यक्रम म, 2013 म सुरगी के पंचायत भवन म, 2015 म सुरगी के कर्मा भवन म अउ 2016 म सुरगी शनिवार बाजार चौक के मुख्य मंच मा आयोजित कार्यक्रम म पहुंच के हमन ल कृतार्थ करिस. 2015 म खुमान साव जी ह साकेत सम्मान स्वीकार कर हमन ल गौरवान्वित कर दिस. वर्ष 2016 म 87 साल के साव जी के चयन संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार -2015 बर चयनित होय के खुशी म साकेत साहित्य परिषद् सुरगी द्वारा नागरिक अभिनंदन करे गिस.
2015 अउ 2016 म सम्मानित होय के बेरा म साव जी ह किहिस कि -” मोला जनता से जउन सम्मान मिलथे उही मोर बर सबले बड़का सम्मान हरे. आज तक मेहा राज्य सम्मान अउ पद्म श्री बर आवेदन नइ करे हवँ न अवइया बेरा म करव! हां शासन ह खुद मोला सम्मान देना चाहत हे त दे सकथे. छत्तीसगढ़ के लाखो जनता के प्रेम ह मोर बर सबसे बड़े पुरस्कार हरे. ”
हमर छत्तीसगढ़ी लोक संगीत के अइसन महान कलाकार ह 9 जून 2019 के दिन 89 साल के उमर म ये दुनियां ल छोड़ के स्वर्गवासी होगे.

ओमप्रकाश साहू “अँकुर”
सुरगी, राजनांदगॉव (छत्तीसगढ़)