गुंडाधूर

जल, जंगल, माटी लुटे,
ओनीस सौ दस गोठ सुनावं
रंज देखइया बपरा मन ला,
हंटर मारत चंउड़ी धंधाय
गॉंव-टोला म अंगरेज तपे,
ळआदिबासी कलपत जाय
मुरिया, मारिया, धुरवा बईगा,
जमो घोटुल बिपत छाय

भूमकाल के बिकट लड़इया,
कका कलेंदर सूत्रधार
बोली-बचन म ओकर जादू,
एक बोली म आए हजार
अंगरेजन के जुलूम देखके,
जबर लगावे वो हुंकार
बीरा बेटा गोंदू धुरवा ला,
बाना बांध धराइस कटार

बीर गुडाधूर जइसे देंवता,
बस्तर के वो राबिनहुड
गरीबन के मदद करइया,
वो अंगरेजन ल करे लूट
आमा डार म मिरी बांधके,
गांव म भेजे क्रांति संदेस
“डारामिरी” निसानी बनगे,
लड़े ल परगे अपने देस

नेतानार के गोंदू धुरवा,
अंगरेज ”गुंडा“ धूर कहाय
दंतेसवरी दाई के सेवइया,
अनियाव सहे नइ जाय
एलंगनार के डेबरीधुरवा,
गुंडाधूर ले हांथ मिलाय
जुरमिल दूनों लड़िन बीरा,
भूमकाल क्रांति कहाय

लोकनाथ साहू ललकार
बालकोनगर, कोरबा (छ.ग.)

Share
Published by
admin