सीता के खोज बर सात संमुदर पार करके लंका जाना, घमंडी रावण के गरब ला माटी म मिलाना, सोना के लंका ल बार के माटी बनाना, लछिमन बर संजीवनी बूटी लाना, राम रावन युद्ध म अपन पराक्रम देखाना, अउ सबले बड़े गुन के राम सिया के सेवा करना ये जम्मो ह हनुमान के लोक प्रिय रूप ला प्रदर्सित करथे. हनुमान के इही चरित ह त्रेतायुग म राम के राम रूप ल गढ़े म असल कड़ी के काम करथे. हनुमान के व्यक्तित्व के सहजता अउ राम के सवकई ह उनला भगत ले भगवान बनाथे. हनुमान के इही रूप के सुगंध बेद पुरान रामायन ले फइलत फइलत लोक म तको बगरथे. लोक अपन अनुसार हनुमान के कथा कहिनी ला आघू बढ़ाथे.
हनुमान जी के जनम अउ उंखर चरित गाथा ल आप जम्मो संगी मन जानत होहू, हम नान्हें पन ले हनुमान जी के कथा कहिनी ला सुनत गुनत अउ पढ़त आवत हन. बल, बुद्धि अउ बिद्या के देवइया हनुमान जी के हनुमान चालीसा ल संसार भर के मनखे मन आदर अउ सरधा ले रोज पढ़थें. हमर छत्तीसगढ़ी भाखा म हमर गांव मन म अजा बबा मन के जमाना ले हमर समाज म हनुमान रचे बसे हावय. आवव हमर पारंपरिक वाचिक परम्परा ले बोलत, सुनत, समझत हम हनुमान जी ल समझे के उदीम करबोन.
छत्तीसगढ़ी लोक गीत, हाना भांजरा अउ किस्सा कहिनी म हनुमान के नाव, उंखर लीला घेरी बेरी आथे. छत्तीसगढ़ के लोक ह हनुमान के कइसन रूप ल स्वीकारत रहिस ये बात हमला, हमर पारंपरिक गीत मन म पता चलथे. छत्तीसगढ़ी पारंपरिक लोक गीत मन म जस गीत म सबले जादा हनुमान के उल्लेख आथे. जउन म उंनला लंगुरे अउ दुलरूवा के नाव ले जाने चिन्हें जाथे. एक छत्तीसगढ़ी जस गीत म हनुमान के जनम के किस्सा आथे तेमा हनुमान के जनम अंजनी के कोंख ले पानी म होए के बात आघू आथे-
झुरहुर झुरहुर नार बहत हे, बइठे अंजनी नहावे
जौं जौं अंजनी अंग नवावे, तौं तौं पीरा जनावे
चार गोड़ एक मूड़ झकत हे, लंबें पूछ जमावे.
लोक अउ सास्त्र के बीच कउनो बिरोध बिचार करे बिना येला सिरिफ लोक म हनुमान के उल्लेख के रूप म लेवन त सुघ्घर होही. ये गीत म मंद मंद बहत नदी म दाई अंजनी के कोंख ले चार गोड़ अउ पूछी वाले बालक के जनम के बिबरन आथे. ये गीत ल जस गीत के रूप म गाए जाथे फेर ये गीत के पहिली दू कड़ी ला पुरातत्वविद राहुल fसंह जी ह छत्तीसगढ़ी साबर मंतर मानथे.
चइत महिना म पुन्नी के दिन जनमें, सुमेरू पर्वत के राजा केसरी अउ माता अंजनी के महाबली बालक के तुरते ताही सुरूज नरायन ला फर समझ के खाए बर झपटई के किस्सा आप जम्मो संगी मन जानत होहू. अतुलित बल, बुद्धि अउ विवेक वाला हनुमान बालके पन ले उतियइल हे वो ह हमर एक ठन गीत म रावन ला बिजरावत कहिथे-
लंका के रावन का मोर करिहैं हो
अढ़ई दिन के मैं हनुमंता, टोर दिएंव गढ़ लंका,
लंका के रावन का मोर करिहैं हो
के तोर लंका टोरौं, कुम्भकरन घननाद ला मारौं,
लंका के रावन का मोर करिहैं हो
पकड़ मंदोदर खैंचत लाहूं, का मोर करिहैं,
लंका के रावन का मोर करिहैं हो
हनुमान जी ल बाल बरमचारी कहे गए हे, नारी परानी ल हनुमान जी ह दुरिहा ले परनाम करथे फेर अतियाचारी रावन ला दपकारे बर मंदोदर ल खैंचत लाहूं तको कहिथे.
जइसे हम आप ल पहिली बतायेन के हमर जस गीत मन म हनुमान ह लंगुरे के नाव ले त कहूं दुलरूवा के नाव ले परगट होथे. हमर हनुमान ‘इक्कईस बहिनी के भईया लंगुरवा’ हे, वो ह ‘जियरा के परान अधार’ हे. त काबर ना लंगुरवा उतियइल करय. जब नान्हे दुलरूवा लंगुरे बहिनी मन ले रिसा के चल देवय त ओला मनाये खातिर जगद जननी ‘महामाई दुलरू लेवन बर’ जावय. ओला ‘तुम खेलव दुलरूवा रनबन रनबन’ कहि के अंगना म खेलावैं. अउ इही मया के खातिर ‘लंगुरे जगावय नवराते’ . छत्तीसगढ़ के देवी 21 बहिनी मन के लंगुरे बर परेम अइसे के ओखर पोंसे हरिन मिरगवा सगरो बारी ल चर देवय तभो ले बहिनी मन ओखर गलती ला माफ कर देवंय. पंच लकरिया जस गीत म सवाल जवाब आथे-
मोर अहो पूत बंगलिया पुर पाटन के हैं चोलिया,
मोर राम गौर के लंहगा, बिजली अस चमकै डंडिया.
काखर हावय आरी बारी, काखर है फुलवारी,
काखर हावै, हरिन मिरगवा चर गय सगरो बारी
बूढ़ी माय के हावय आरी बारी, धनैया के फुलवारी,
लंगुरे के हावय हरिन मिरगवा चर गए सगरो बारी
लोक मानस तको ला पता हे के इही लंगुरे माता के मयारूक ये इही ह हमर संउख पूरा करही अउ इही हमला माता के तीर पहुचाही त लोक गाथें ‘मोला ढ़ेलुवा झूले के बड़ा संउख, झुला दे भईया लंगुरे, पंहुचा दे हो मईया के अंगना, मैं झूलंव का रे, झूलना हो माय’
हनुमान के लइकई पन के बात के संगें संग हमर गीत मन म ओखर बजरंगबली रूप ह घलव आघू आथे एक ठन गीत म हनुमान के लंका़ के दुवारी म पहरा देवईया लाल बराईन संग मुहा चाही होवत झगरा लरई हो जाथे. लाल बराईन के घेरी बेरी लंगुरे ल बेंदरा, बेंदरा कहई म लंगुरे बगिया जथे, कथे
बेंदरा, बेंदरा झन क बराईन, मैं हनुमंता बीरा
मैं हनुमंता बीरा, ग देव मोर, मैं हनुमंता बीरा
जब सरिस सोन के तोर गढ़ लंका
कलसा ला टोरे फोर हॉ, समुंद म डुबावव,
कलसा ला टोर फोर हां…
संजीव तिवारी