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कविता

नवा बछर के मुबारक हवै

जम्मो झन हा सोरियावत हवै, नवा बछर हा आवत हवै।
कते दिन, अऊ कदिहा जाबो, इहिच ला गोठियावत हवै।।
जम्मो नौकरिहा मन हा घलो, परवार संग घूमेबर जावत हवै।
दूरिहा-दूरिहा ले सकला के सबो, नवा बछर मनावत हवै।।

इस्कूल के लईका मन हा, पिकनिक जाये बर पिलानिंग बनावत हवै।
उखर संग म मेडम-गुरूजी मन ह, जाये बर घलो मुचमुचावत हवै।।
गुरूजी मन पिकनिक बर लइका ल, सुरकछा के उदिम बतावत हवै।
बने-बने पिकनिक मनावौ मोर संगी, नवा बछर ह आवत हवै।।

नवा बछर के बेरा म भठ्ठी म, दारू के खेप हा आवत हवै।
दारू पियईया भईया मन घलो, पी के नवा बछर मनावत हवै।।
इही दारू के सेतिन घलो त, दुरघटना हा अब्बड़ होवत हवै।
दारू पियई ल अब छोड़ देवौ संगी, नवा बछर ह आवत हवै।।

मास-मछरी के खवईया मन ह, कुकरी बोकरा ला पुजवावत हवै।
निरबोध जिनिस मन के बलि चघाके, अपन ल धन्य कहावत हवै।।
इही मास-मछरी खाय के सेतिन, जम्मो चिरई-चिरगुन ह नंदावत हवै।
साग-भाजी ल अपनावौ संगी हो, नवा बछर ह आवत हवै।।

जम्मो झन ह खुश हे अब्बड़, फेर किसान भाई मन के मुड़ी पिरावत हवै।
कब, का हो जाहि नवा बछर म, उखरेच चिनता सतावत हवै।।
भगवान् ले करथौ इहिच बिनती, जम्मो लईका-सियान ह मुचमुचावत रहै।
“राज” डाहर ले जम्मो झन ल संगी, नवा बछर के मुबारक हवै।।

पुष्पराज साहू
छुरा(गरियाबंद)
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15 replies on “नवा बछर के मुबारक हवै”

deepak patelsays:

Bahut accha likhe ho sir

Thank u deepak ji.

virendra kumar sahusays:

mst chhtisgrhi .pankti h bhai

धन्यवाद वीरेंद्र भाई

Yesh kumarsays:

Gajab ?creativity level

Aap man LA bhi Naya varsh ke hardik badhai

Raipur strikersays:

Bahut sunder bhaiya ji

Thanku ji…. Raipur striker….

Yesh vermasays:

Bahut bahut achcha bhaiya ji…

Bahut achha Pushpraj

धन्यवाद निलेश भाई

md ibran ansarisays:

Ekdam mast puspa Darling ???????super se bhi uper yr

धन्यवाद इबरान भाई

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