अभिनय के भूख कभी मिटय नइ: हेमलाल

हास्य अभिनेता हेमलाल अउ विजय मिश्रा के गोठबात
‘भोजन आधा पेट कर दोगुन पानी पीवा, तिगुन श्रम, चौगुन हंसी, वर्ष सवा सौ जीवा।’ हंसना उत्तम स्वास्थ्य अउ लम्बा जीवन खातिर एक अरथ म बहुत बड़े ओखद आय। कवि काका हाथरसी के लिखे कविता के ए लाईन मन हर बतावत हावंय। हंसी हर बिना दुख तकलीफ के कसरत तको आय। तभो ले आज के जमाना म लोगन कहिथें कि जउन हँसही तउन फंसही- अइसन गलत विचार ल बदल के जउन हँसही तउन बसही। ल जन-जन म फैलाय खातिर भिड़े दुर्ग म रहवईया हास्य कलाकार के नाव आय- हेमलाल कौशिक।
छत्तीसगढ़ लोक मंच अउ हिन्दी रंगमंच के संगेसंग छत्तीसगढ़ी फिलिम और एलबम म तको अपन कला ल देखाने वाला कलाकार हेमलाल ल दर्शक मन के तरफ ले वाहवाही तो मिलबे करीस साथे साथ कई ठिन राय अउ राष्ट्र स्तरीय मुकाबला म मंच म ‘बेस्ट कामिडियन’ के अवार्ड भी मिले हावय। हेमलाल संग मुंहाचाही करे के बढ़िया मउका रायपुर के मुक्तांगन में मिलिस। जेकर थोर बहुत गोठ बात ए मेरन हावय-
0 आपमन हर रंगमंच में अभिनय के शुरुआत ल कब, कइसे करेव?
– मोर रंगमंच के यात्रा के शुरुआत हर इस्कूली जीवन ले होय हे। सुरू म मोर मार्गदर्शन बनीन दुर्ग के नामी रंगकर्मी कृष्णकुमार चौबेजी। ओकरे निर्देशन म स्व. महासिंग चन्द्राकरजी के संस्था सोनहा बिहान म मोला बड़े अवसर मिलीसे अउ मोर अभिनय हर दहकत अंगरा म तपत सोन कस दमकत गीस।
0 आप मन के अभिनय ल बढ़ावा देहे बर कोन-कोन से नाटक-संस्थान के योगदान रहीसे?
– परदेस के नामी हिन्दी-लोक नाटय निर्देशक रामहृदय तिवारी जी के संस्था ‘क्षितिज रंग शिविर’ म स्व. प्रेम साइमन द्वारा लिखे नाटक ल संतोष जैन के निर्देशन म करेंव। अइसनेहे वर्ष 1985 म छत्तीसगढ़ म प्रचलित लोकगाथा लोरिक चंदा म हास्य अभिनेता के रूप में अपन पहचान बनाय के मोला बड़े मउका मिलीस।
0 हास्य अभिनेता के रूप म स्थापित होय बर काकर-काकर सहयोग मिले हावय?
– हास्य अभिनेता शिव कुमार दीपक एवं स्व. कमलनारायण सिन्हाजी के साथ मोला हास्य अभिनेता के विशेष लटका-झटका अउ खासकर जनाना बन के बारिक-बारिक अभिनय सीखे के मउका मिलीस। छत्तीसगढ़ के बड़े लोकसंस्था ‘चंदेनी गोंदा’ म मोला हँसाय बर अवसर तको मिलीस।
0 हिन्दी लोकमंचों के साथ ही फिल्म जगत म जुड़ना कइसे होइस?
– छत्तीसगढ़ी फिल्म के पहिली मैं हर कई ठीक एलबम म अपन कला ल प्रदर्शित करेंव। इही रद्दा म आगू बढ़त मोला सतीश जैन के फिल्म ‘टूरा रिक्शा वाला’ म अपन प्रतिभा ल देखाय के मोला मउका मिलीस। एखर पाछू मोर बर कईठिन फिलिम के दुवार खुल गे। मैं हर ‘मिस्टर टेटकुराम’, ‘मितान 420’, ‘लैला टीपटाप छैला अंगूठा छाप’, ‘कारी’ अउ ‘दू लफाड़ू’ म मोर हास्य अभिनय ल जनता जनारदन ल देखायेंव।
0 आगे आने वाली फिल्मों की दशा-दिशा का हे?
– छत्तीसगढ़ के फिलमी दुनिया ल अभी लम्बा रद्दा रेंगना बाकी हावय। हालांकि नवा लइका रेंगना शुरू करथे त गिरबेच करथे इही हालत अभी छत्तीसगढ़ी फिलिम के हावय फेर धीरे-धीरे एमे पोठ अब दिखथ हावय। आज के दशा म पूरा छत्तीसगढ़ के कई ठिन टाकीज म छत्तीसगढ़ी फिलिम एक साथ लगत हावय। ये हर एक ठिन सुभ संकेत आय। संगेसंग छत्तीसगढ़ी फिलिम जगत ले जुड़े सब्बो झन ल अपन स्तर म सुधार लाये के ताकत तको आय हे।
0 हिन्दी रंगमंच, लोकमंच अउ फिलिम तीनों म कोन माध्यम ल आप जादा बड़े मानथो?
– मोर हिसाब से तो लोकमंच हर सबले यादा ताकतवर माध्यम आय। काबर कि ये हर कई हजार देखईया मन ल ठंड, गरमी अउ रिमझिम गिरत पानी म तको बांधे राखथे। ऐला देखईया मन हर खतम होथ ले टस ले मस नई होवयं। एखर तुलना म हिन्दी रंगमंच अउ फिलिम बहुत जादा साधन सम्पन्न अउ सुविधाजनक होथे। तभो ले कई ठन संकट के बीच लोकमंच न केवल जीवित हावय, बल्कि छत्तीसगढ़ के नाव ल राष्ट्रीय अउ अंतर्राष्ट्रीय स्तर म स्थापित तको करे हावय।
0 हेमलाल जी अपन कला यात्रा म मिले पुरस्कार के बारे म कुछ बतावव?
– मिश्राजी, पुरस्कार तो मोला बहुत मिले हावय। फेर अखिल भारतीय नाटय स्पर्धा शिमला म हमर टीम हर मुंशी प्रेमचंदजी के लिखे नाटक ‘सवा शेर गेहूं’ ल प्रस्तुत करीस। वो नाटक म बढिया अभिनय मैं हर करेंव। तब मोला ‘बेस्ट एक्टर’ के पुरस्कार मिलीस। वो दिन ल मैं हर जीवन भर नइ भुला सकवं। अइसनेहे वर्ष 2010 म ‘टूरा रिक्शा वाला’ फिल्म म हास्य अभिनय खातिर ‘बेस्ट कामिडियन’ के अवार्ड भी मोला मिलीस।
0 कला यात्रा म सतत् सक्रियता कैसे बनाए रखथव?
– कला के भूख कभू मिटय नइ। एकरे सेति सतत् सक्रियता ल बनाय रखे बर छत्तीसगढ़ के जाने-माने लोक गायिका कविता वासनिकजी के संस्था ‘अनुराग धारा’ से जुडे हंव। ये लोक मंच के तरफ से दिल्ली, मुम्बई जइसे महानगर में आयोजित कई ठिन राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय महोत्सवों में मैं हर छत्तीसगढ़ी कला-संस्कृति ल प्रदर्शित करे हावंव।
0 हंसोड़ होय के महत्ता ल कोन रूप म परिभाषित करहू?
– मोला अइसे लागथे कि पूरा प्राणी जगत म खाली मनुष ल हांसे के गुण प्रभु हर दे हे हावय। हंसोड़ मनखे तनाव अउ कटुता ल जनमानस के बीच ले दूर भगाथे। इही पाय के हंसोड़ मनखे ल ‘आजाद शत्रु’ कहना सही समझथों। ये कला हर इही संदेश देथे कि- यूं तो जिन्दगी कम है दोस्ती के लिए, वक्त कहां से निकलता है दुश्मनी के लिए।
कौशल जी के ये हृदयस्पर्शी संदेश के संग गोठबात ल सोचत-सोचत घर लहुटत रहेंव त मेहर सोचत रहेंव कि हंसी के मामले में कंजूसी आदमी ल आदमी से दूरिया करथ हावंय। इही पाय के दिन भर में एक न एक बार ठहाका लगाय के मउका जरूर निकालना चाही।

विजय मिश्रा ‘अमित’

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One Thought to “अभिनय के भूख कभी मिटय नइ: हेमलाल”

  1. Asutosh Gupta

    Bahut sundar aur marmik chitran h…
    Basanti kahani m.

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